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तारा (रामायण)

मैथिली विकिपिडियासँ, एक मुक्त विश्वकोश
लक्ष्मण तारा (सभसँ बाँया) सँ मिलैत, ओकर दोसर पति सुग्रीव (बाँयासँग दोसर) तथा हनुमान (सभसँ दाँया) किष्किन्धाक महलमे

तारा हिन्दू महाकाव्य रामायणमे वानरराज वालीक पत्नी छी। ताराक बुद्धिमता, प्रत्युत्पन्नमतित्वता, साहस तथा अपन पतिक प्रति कर्तव्यनिष्ठाक सभ पौराणिक ग्रन्थसभमे सराहल गेल अछि। ताराक हिन्दू धर्म पञ्चकन्यासभमे सँ एक मानल गेल अछि।[] पौराणिक ग्रन्थसभमे पञ्चकन्यासभक विषयमे कहल गेल अछि:-

अहिल्या द्रौपदी कुन्ती तारा मन्दोदरी तथा।

पञ्चकन्या स्मरणित्यं महापातक नाशक॥[]

(अर्थात् अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा तथा मन्दोदरी, एही पाँच कन्यासभक प्रतिदिन स्मरण करै सँ सभ पाप धुलि जाएत अछि)[]
मुद्दा ताराक मुख्य भूमिकामे वाल्मीकि रामायणमे केवल तीन ही जगह दर्शाएल गेल अछि, मुद्दा ओकर चरित्र रामायण कथाक समझे वालाक मनमे एक अमिट छाप छोडि दैत अछि। जे तीन जगह ताराक चरित्र मुख्य भूमिकामे अछि, ओ ई प्रकार अछि:-

  • सुग्रीव-वालीक द्वितीय द्वंद्वसँ पहिने ताराक वालीक चेतावनी।
  • वालीक वधक पश्चात् ताराक विलाप।
  • सुग्रीवक पत्नी बनै के पश्चात् क्रोधित लक्ष्मणक शान्त केनाए।

किछ ग्रन्थसभक अनुसार ओ देवतासभक गुरु बृहस्पतिक पौत्री छल।[] एक कथाक अनुसार समुद्र मन्थनक दौरान चौदह मणिसभमेसँ एक अप्सरासभ छल। ओही अप्सरासभमे सँ एक तारा छल।[] वाली आ सुषेण दुनु मन्थनमे देवतागणक मदत करि रहल छल। जखन ओ ताराक देखलक् तँ दुनुमे ओ पत्नी बनावेक होड लगल। वाली ताराक दाहिनी तरफ तथा सुषेण ओकर बाँया तरफ खडा भ गेल। तखन विष्णु फैसला सुनौलक् कि विवाह के समय कन्याक दाहिना तरफ ओकर होम्ए वाला पति तथा बायाँ तरफ कन्यादान करै वाला पिता होएत अछि। अतः वाली ताराक पति तथा सुषेण ओकर पिता घोषित कएल गेल।[]

वालीक वध

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रामक ई आश्वासन दै पर कि राम स्वयं वालीक वध करत् , सुग्रीव वालीक ललकारलक्। वाली ललकार सुनि बाहर आएल। दुनुमे घमासान युद्ध भेल, मुद्दा किया कि दुनु भाइसभक मुख तथा देह रचना समान छल, एही लेल राम असमंजसक कारण अपन वाण नै चलौलक्। अन्ततः वाली सुग्रीवके खराब तरिकासँ परास्त करि दूर खदेड देलक। सुग्रीव निराश भ फेर रामक पास आवि गेल।[] राम ई बेर लक्ष्मणसँ सुग्रीवक गलामे माला पहनावे के कहलक् जाहिसँ ओ द्वंद्वक दौरान सुग्रीवके पहचानेमे गलती नै करत् आ सुग्रीवसँ वालीक पुन: ललकारि ते कहलक्।

सन्दर्भ सामग्रीसभ

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  1. १.० १.१ १.२ १.३ Bhattacharya, Pradip (March–Apr 2004)। "Five Holy Virgins, Five Sacred Myths: A Quest for Meaning (Part I)" (PDF)Manushi (141): 7–8। {{cite journal}}: Check date values in: |date= (help)
  2. "तारा"मूलसँ 2009-09-21 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2012-05-01 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  3. "तारा का विवाह"मूलसँ 2010-11-06 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2012-05-01 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  4. "सुग्रीव-वालि प्रथम द्वंद्व"मूलसँ 2012-02-17 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2012-05-02 {{cite web}}: Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)

बाह्य जडीसभ

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एहो सभ देखी

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