बहादुर शाह जफर
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बहादुर शाह ज़फ़र (१७७५-१८६२) भारत मे मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह छल आर उर्दू भाषा के मानल जाए वाला शायर छल।
उर्दू के कवि
[सम्पादन करी]लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में,
किस की बनी है आलम-ए-नापायदार में।
बुलबुल को बागबां से न सैयाद से गिला,
किस्मत में कैद लिखी थी फसल-ए-बहार में।
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें,
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में।
एक शाख गुल पे बैठ के बुलबुल है शादमान,
कांटे बिछा दिए हैं दिल-ए-लाल-ए-ज़ार में।
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाये थे चार दिन,
दो आरज़ू में कट गये, दो इन्तेज़ार में।
दिन ज़िन्दगी खत्म हुए शाम हो गई,
फैला के पांव सोएंगे कुंज-ए-मज़ार में।
कितना है बदनसीब 'ज़फर' दफ्न के लिए,
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में॥
मुग़ल सम्राटसभ क कालक्रम
[सम्पादन करी]गैलरी
[सम्पादन करी]-
The Emperor Bahadur Shah II Enthroned
-
"Capture of the King of Delhi by Captain Hodson"
बाह्य जडीसभ
[सम्पादन करी]- ज़फ़र क रचनासभ कविता कोश मे सङ्ग्रहित २००९-०२-०४ वेब्याक मेसिन
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम