रुद्राष्टकम्
हिन्दू धर्म |
इतिहास · देवता |
सम्प्रदाय · आगम |
विश्वास आ दर्शनशास्त्र |
---|
पुनर्जन्म · मोक्ष |
कर्म · पूजा · माया |
दर्शन · धर्म |
वेदान्त ·योग |
शाकाहार · आयुर्वेद |
युग · संस्कार |
भक्ति {{हिन्दू दर्शन}} |
ग्रन्थ |
वेदसंहिता · वेदांग |
ब्राह्मणग्रन्थ · आरण्यक |
उपनिषद् · श्रीमद्भगवद्गीता |
रामायण · महाभारत |
सूत्र · पुराण |
शिक्षापत्री · वचनामृत |
सम्बन्धित विषय |
दैवी धर्म · |
विश्वमे हिन्दू धर्म |
गुरु · मन्दिर देवस्थान |
यज्ञ · मन्त्र |
शब्दकोश · हिन्दू पर्व |
विग्रह |
पोर्टल: हिन्दू धर्म |
हिन्दू मापन प्रणाली |
श्री रुद्राष्टकम् (संस्कृत:श्री रुद्राष्टकम्) स्तोत्र महाज्ञानी लंकेश रावण या दशाननद्वारा भगवान् शिवक स्तुति हेतु रचित एवम प्रथम गायित अछि । एकर उल्लेख श्री रामचरितमानसक उत्तर काण्डमे आबति छै ।
श्री रुद्राष्टकम्
[सम्पादन करी]शिवके समर्पित ई स्तोत्र तुलसीदासक रामचरितमानस सँ लेल गएल अछि ।
॥ अथ रुद्राष्टकम् ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपम् ।
विभुम् व्यापकम् ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजम् निर्गुणम् निर्विकल्पम् निरीहम् ।
चिदाकाशमाकाशवासम् भजेऽहम् ॥१॥
निराकारमोङ्कारमूलम् तुरीयम् ।
गिराज्ञानगोतीतमीशम् गिरीशम् ।
करालम् महाकालकालम् कृपालम् ।
गुणागारसंसारपारम् नतोऽहम् ॥२॥
तुषाराद्रिसङ्काशगौरम् गभीरम् ।
मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारुगङ्गा ।
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥३॥
चलत्कुण्डलम् भ्रूसुनेत्रम् विशालम् ।
प्रसन्नाननम् नीलकण्ठम् दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरम् मुण्डमालम् ।
प्रियम् शङ्करम् सर्वनाथम् भजामि ॥४॥
प्रचण्डम् प्रकृष्टम् प्रगल्भम् परेशम् ।
अखण्डम् अजम् भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयः शूलनिर्मूलनम् शूलपाणिम् ।
भजेऽहम् भवानीपतिम् भावगम्यम् ॥५॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी ।
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारि ।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारि ।
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि ॥६॥
न यावद् उमानाथपादारविन्दम् ।
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखम् शान्ति सन्तापनाशम् ।
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥७॥
न जानामि योगम् जपम् नैव पूजाम् ।
नतोऽहम् सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानम् ।
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥८॥
रुद्राष्टकमिदम् प्रोक्तम् विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषाम् शम्भुः प्रसीदति॥
॥ इति श्री रुद्राष्टकम् सम्पूर्णम् ॥
भगवान रुद्रक यी अष्टक शंकर जी कs स्तुतिक लेल छै । जे मनुष्य एकरा प्रेमस्वरूप पढ़ति छै , श्रीशंकर जी अहि सं प्रसन्न होति अछि ।
एहो सभ देखी
[सम्पादन करी]click to go to a copy of this page as wikisource.org page having Hindi text of शिव रुद्राष्टक