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आयुर्वेद (संस्कृत आयुर्वेद, अङ्ग्रेजी उच्चारण /ˌaɪ.ərˈveɪdə/[१]) विश्वकै प्राचिन चिकित्साशास्त्र छी। ई अथर्ववेदक उपवेद छी। आयुर्वेद इशापूर्व ३ हजारसँ ५० हजार वर्ष अगाडी भारतवर्षसँ विकास भेल मानैत अछि। [२] मानव स्वास्थ्य शरीर, मन आ आत्माक सन्तुलनमा निर्भर करैत अछि तहिना रोग त्रि-दोषसभ (वात, पित्त आ कफ) क असन्तुलनक कारणसँ भेल विश्वास आयुर्वेदमे अछि । स्वास्थ्य आ रोगबारे आयुर्वेदक अवधारणासभ जडीबुटी मिश्रण, विशेष आहार आ अन्य अद्वितीय स्वास्थ्य पद्धतिसभ(योग, पञ्चकर्म, क्षारसूत्र)क प्रवर्तन करैत अछि।
धनवन्तरी आयुर्वेदक भगवान छथि। समुन्द्र मन्थनक समयमे धनवन्तरी अमृत, संख, चक्र आ जडीबुटीक साथ प्रकट भेल छथि । कात्तिक कृष्ण त्रयोदशीका दिन धनवन्तरि जयन्ती मनावैत अछि । वि.सं १९७४ मे आयुर्वेद चिकित्सा क्याम्पस, नरदेवी स्थापना भेल सँ नेपालमे 'धनवन्तरि जयन्ती' मनाबै लगल अछि । विसं २०५६ सालसँ धनवन्तरि जयन्तीके राष्ट्रिय आरोग्य दिवसक रूपमे सेहो मनाबै लगल अछि । नेपाल, भारत, श्रीलंका लगायतक दक्षिण एसियाली मुलुकसभमे आयुर्वेदक प्रयोग बहुत बेसी अछि। हाल विश्वभरी आयुर्वेद वैकल्पिक उपचार पद्धतिक रुपमे प्रख्यात भऽ रहल अछि ।
व्युत्पत्ति
आयु र वेद शब्दक योगसँ आयुर्वेद शब्द बनैत अछि। शरीर, इन्द्रिय, मन आ आत्माक संयोगके आयु कहैत अछि। वेद शब्द 'विद' धातुसँ प्रत्ययक योगसँ बनैत अछि, जेकर अर्थ 'ज्ञान' छी। [३] ई प्रकार आयुर्वेद शब्दक अर्थ होएत अछि 'आयुक ज्ञान'। जे शास्त्रक अध्ययन करैके आयुक सत्ता, आयुसम्बन्धी ज्ञान आ पूर्ण आयुक साथ शारीरिक आ मानसिक स्वस्थता प्राप्तिक विषयमे ज्ञान होएत अछि, आयुर्वेद शास्त्र कहैत अछि। [४]
आयुर्वेदक इतिहास
आयुर्वेदक रचनाकाल ईस पूर्व ३,००० सँ ५०,००० वर्ष पहिल भेल मानैत अछि। [५] ब्रह्मा आयुर्वेद ज्ञानक मुख्य स्रोत छथि। ब्रह्मा ई ज्ञान दक्ष प्रजापतिके देलक। प्रजापति आयुर्वेदक ज्ञान अश्वनी कुमारसभके प्रदान केलक आ अश्वनी कुमारसभ भगवान इन्द्रके । भगवान इन्द्र ई ज्ञान के -केकरा प्रदान केलक बारे विभिन्न मतसभ रहल अछि । चरक सन्हिता अनुसार अश्वनी कुमारसभ आयुर्वेदको ज्ञान भगवान इन्द्र, भारद्वाज आ आत्रेयके प्रदान केलक। [६][७][८] अत्रेय आयुर्वेदक विधा अपन ६ शिष्यसभके देलक। ओसभ छल – अग्निभेष, भेल, अतुकर्ण, परासर, हारित आ क्षारपाणी। सुश्रुत संहिता अनुसार कहलक भगवान इन्द्र अपन प्राप्त कएल आयुर्वेदक ज्ञान धनवन्तरीके प्रदान केलक। धनवन्तरी ई ज्ञान अपन ७ जना शिष्य – औषधेनव, वैतरण, उरभ, गोपूररक्षित्, पौषकलावत, करविर्य आ सुश्रुतके प्रदान केलक। कश्यप संहिता अनुसार इन्द्रमार्फत ई ज्ञान कश्यप, वशिष्ठ, भृगु, अत्रिके प्राप्त भेल । [९] चरक, सुश्रुत, वागभट आयुर्वेदके अथर्ववेदक उपवेद रुपमे मान्ने अछि कश्यप एकरा छुटै वेदक रुपमे परिभाषित केने अछि।
आयुर्वेदक सिद्धान्त
आयुर्वेदक अनुसार मानव शरीर त्रि-दोष, सप्त धातु आ मलसँ निर्मित अछि। त्रि-दोषक सिधान्त ही आयुर्वेदक मुख्य आधार छी। बात, पित्त आ कफ त्रि-दोषसभ छी। प्रत्येक लोगमे कुनै एक या दुइ दोषसभ प्रभावशालि होएत अछि। चिकित्सकसभ विरामीक दोष अनुसारहि रोग निदान करैत अछि। [१०] सप्त धातुसभ रक्त, रस, मंस, मेद, अस्थी, मज्जा आ शुक्र छी । तहिना , मानव शरीर पञ्चमहाभूतसभ सँ बनैत अछि ।
सन्दर्भ सामग्रीसभ
- ↑ Wells, John C. (2009). Longman Pronunciation Dictionary. London: Pearson Longman.
- ↑ "देवताका डाक्टर धन्वन्तरी"। स्वास्थ्य खबर। Swasthyakhabar। अन्तिम पहुँच 14 January 2015।
पुरातत्वविद्क अनुसार आयुर्वेदक रचना इशापूर्व ३ हजारसँ ५० हजार वर्षमे भेल अछि ।
- ↑ पण्डित कृष्ण प्रसाद कोइराला. हिन्दु चिन्तन (शास्त्रीय सामान्य ज्ञान).
- ↑ आचार्य विश्वनाथ दिवेषी. औषधि विज्ञान शास्त्र.
- ↑ डा. रविदत्त त्रिपाठी. आयुर्वेद इतिहास एंव परिचय.
- ↑ आचार्य प्रियव्रत शर्मा. आयुर्वेदको वैज्ञानिक इतिहास.
- ↑ गिरिन्द्रनाथ मुखोपाध्यय. हिस्ट्री अफ इन्डियन मेडिसिन.
- ↑ पण्डित शिव शर्मा. आयुर्वेदिक मेडिसिन-पास्ट एण्ड प्रिजेन्ट.
- ↑ पण्डित हेमराज शर्मा. काश्यप संहिताक उपोद्घात. प॰ ३३५.
- ↑ शर्मा, डा. विनोद (2007). कार्य क्षेमता के लिए आयुर्वेद और योग. भारत: राजकमल प्रकाशन. प॰ १८६. आइएसबिएन 978-81-8361-143-5. http://books.google.co.in/books?id=fvH0B25xtaMC&source=gbs_navlinks_s. अन्तिम पहुँच तिथि: 8 January 2015.
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