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होलीक बारेम पौराणिक भनाइ अनुसार प्राचीन समयमा अथवा [[सत्य युग]]मे नास्तिक हिरण्यकश्यपु नामक एक गोटे [[राक्षस]]क जन्म भेल छल । हिरण्यकश्यपुक भगवान [[विष्णु]] [[नृसिंह अवतार]]म प्रकट भक संघहार केलक । हिरण्यकश्यपुक सुपुत्र भक्त [[प्रह्लाद]] छल । भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णुक निक भक्त छल । |
होलीक बारेम पौराणिक भनाइ अनुसार प्राचीन समयमा अथवा [[सत्य युग]]मे नास्तिक हिरण्यकश्यपु नामक एक गोटे [[राक्षस]]क जन्म भेल छल । हिरण्यकश्यपुक भगवान [[विष्णु]] [[नृसिंह अवतार]]म प्रकट भक संघहार केलक । हिरण्यकश्यपुक सुपुत्र भक्त [[प्रह्लाद]] छल । भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णुक निक भक्त छल । अपन पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णुक भजन करैत हिरण्यकश्यपुक रास नै भेल । अहिल ओ राजा प्रह्लादक मारक लेल योजनासभ बनावैत छल । एक योजना अनुसार हिरण्यकश्यपु पुत्रके अग्निकुण्डमे फेक माइर अपन बहिन होलिका(''जे अग्निसँ नै डहत वरदान भेटल छल'')क जिम्मा देलक । हिरण्यकश्यपुक आदेशानुसार होलिका प्रह्लादक काखम लक अग्निम वैठ आगनि धर्मक साथ देलक होलिक डहैक नष्ट भेल प्रह्लादक किछ नै भेल । होलिका दहनकै खुसियाली मनाउन आपसमा रङ्ग र अविर छरेर होली पर्व मनाउने परम्परा चलेको धार्मिक मान्यता रहिआएको छ । भने अर्को एक प्रसङ्ग अनुसार [[द्वापर युग]]मा [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]]लाई मार्ने उद्देश्यले दूध खुवाउन गएकी कंशकी शेना पुतना नामकी राक्षसनीलाई उल्टै कृष्णले मारिदिनु भएकाले त्यसको शवलाई ब्रजवासीहरूले यसै दिन जलाएर आपसमा रङ्ग र अबिर छरी खुसियाली मनाएकोले त्यसैको सम्झनामा अद्यावधिक चीरदाह गरी होली खेल्ने परम्परा चलेको भनाइ रहेको छ ।<ref>विभिन्न हिन्दू धार्मिक ग्रन्थहरू</ref> होली हिन्दूहरूको अत्यन्त प्राचीन पर्व हो । [[इतिहासकार]]हरू मान्छन् कि यस पर्वको प्रचलन आर्यहरूमा पनि थियो। यस पर्वको वर्णन अनेक [[पुरातन]] [[धार्मिक पुस्तक]]हरूमा पाइन्छ । [[नारद पुराण]] र [[भविष्य पुराण]] जस्तो प्राचीन [[हस्तलिपी]]हरू र [[ग्रन्थ]]हरूमा पनि यस पर्वको उल्लेख छ। [[भारत]]मा पर्ने विंध्यक्षेत्रको राम गढ भन्ने स्थानमा स्थित ईसा भन्दा ३०० वर्ष पुरानो एउटा [[अभिलेख]]मा पनि यसको उल्लेख छ। [[संस्कृत]] [[साहित्य]]मा [[वसन्त ऋतु]] र वसन्तोत्सव अनेक कविहरूको प्रिय विषय थियो |
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अन्तिम परिवर्तन ०९:३३, १३ मार्च २०१७
होली रंगक पर्व | |
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आधिकारिक नाम | होली |
अन्य नाम | फगुवा . |
प्रकार | हिन्दु |
अनुष्ठान | होलीक पहिल राति: होलीका दहन होलीक दिन: अबीर रङ्ग लगेनाए, नाच गान होएत |
आरम्भ | फागुण पूर्णिमा |
तिथि | फाल्गुन पूर्णिमानमूना परिक्रम भेटल: आकृति:Infobox holiday/wd |
मानाएल | बार्षिक |
समबन्ध | नेपाल, भारत |
होली ( /ˈhoʊliː/; संस्कृत: होली Holī) हिन्दू संस्कृतिमे प्रत्येक वर्षक फागुन शुक्ल पूणिर्मा अर्थात होली पूर्णिमाक दिन मनावल जाईत अछि । ई पर्व नेपाल][१], भारत[२] तथा अन्य राष्ट्रसभमे बसोबास करैवाल हिन्दूसभक एकटा महत्वपूर्ण पर्व छी । ई पर्व वसन्त ऋतुक फागुन मासमे मानावैत अछि । होलीमे हमसभ नेपाली समुदायमे फागु पुर्णिमा[३] आ मिथिलामे फगुवाक नामसँ सेहो जानल जाइत अछि । होली रङ्गक पर्व छी । होलीक दिन सम्पूर्ण हिन्दूधर्मावलम्बी एक दोसरके विभिन्न प्रकारस रङ्ग आर अबीर लगावैत अछी । मिठाई आ पकवान खुवावैत अछि ।[४] होली पर्व मनेवाक एकटा कारण आर इतिहास अछी । एकता सचाई अछि होलीक दिन पूरान कटुता समाप्त कए आर दुस्मनी सेहो बिसैर आदमीसभ एक-आपसमे भेट करैत अछि । [५] होली पर्व घरपरिवार-साथीभाई आपसम रङ रङ्गक उल्लासपूर्वक फागुन पूणिर्माक अवसरमे पहाडसँ, तराई आर गाउँ आ सहरधरि बच्चा, युवा युवती तथा प्रौढसभक हूल तथा जत्थासभ हातमे रङ आर रङ्गीन घोल पदार्थ ल गीत गावैत, बजावैत, मनोरञ्जन होहल्ला करैत आपसी रिसईबी छोडिक उत्साह आर र उमङ्गक साथ मनावैत अछि ।
इतिहास
होलीक बारेम पौराणिक भनाइ अनुसार प्राचीन समयमा अथवा सत्य युगमे नास्तिक हिरण्यकश्यपु नामक एक गोटे राक्षसक जन्म भेल छल । हिरण्यकश्यपुक भगवान विष्णु नृसिंह अवतारम प्रकट भक संघहार केलक । हिरण्यकश्यपुक सुपुत्र भक्त प्रह्लाद छल । भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णुक निक भक्त छल । अपन पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णुक भजन करैत हिरण्यकश्यपुक रास नै भेल । अहिल ओ राजा प्रह्लादक मारक लेल योजनासभ बनावैत छल । एक योजना अनुसार हिरण्यकश्यपु पुत्रके अग्निकुण्डमे फेक माइर अपन बहिन होलिका(जे अग्निसँ नै डहत वरदान भेटल छल)क जिम्मा देलक । हिरण्यकश्यपुक आदेशानुसार होलिका प्रह्लादक काखम लक अग्निम वैठ आगनि धर्मक साथ देलक होलिक डहैक नष्ट भेल प्रह्लादक किछ नै भेल । होलिका दहनकै खुसियाली मनाउन आपसमा रङ्ग र अविर छरेर होली पर्व मनाउने परम्परा चलेको धार्मिक मान्यता रहिआएको छ । भने अर्को एक प्रसङ्ग अनुसार द्वापर युगमा श्रीकृष्णलाई मार्ने उद्देश्यले दूध खुवाउन गएकी कंशकी शेना पुतना नामकी राक्षसनीलाई उल्टै कृष्णले मारिदिनु भएकाले त्यसको शवलाई ब्रजवासीहरूले यसै दिन जलाएर आपसमा रङ्ग र अबिर छरी खुसियाली मनाएकोले त्यसैको सम्झनामा अद्यावधिक चीरदाह गरी होली खेल्ने परम्परा चलेको भनाइ रहेको छ ।[६] होली हिन्दूहरूको अत्यन्त प्राचीन पर्व हो । इतिहासकारहरू मान्छन् कि यस पर्वको प्रचलन आर्यहरूमा पनि थियो। यस पर्वको वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकहरूमा पाइन्छ । नारद पुराण र भविष्य पुराण जस्तो प्राचीन हस्तलिपीहरू र ग्रन्थहरूमा पनि यस पर्वको उल्लेख छ। भारतमा पर्ने विंध्यक्षेत्रको राम गढ भन्ने स्थानमा स्थित ईसा भन्दा ३०० वर्ष पुरानो एउटा अभिलेखमा पनि यसको उल्लेख छ। संस्कृत साहित्यमा वसन्त ऋतु र वसन्तोत्सव अनेक कविहरूको प्रिय विषय थियो
चित्र दीर्घा
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राधा आ गोपी होली मनाबैत
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कृष्ण आ राधा
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होलीमे जमावडा
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होलीक अवसरमे राजस्थानी
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होलिका दहन काठमाडौंमे
सन्दर्भ सामग्रीसभ
एहो सभ देखी
विकिमिडिया कमन्समे होलीसँ सम्बन्धित मिडिया अछि। |
- ↑ "Holi festivals of Nepalese"।
- ↑ The New Oxford Dictionary of English (1998) ISBN 0-19-861263-X - p.874 "Holi /'həʊli:/ noun a Hindu spring festival ...".
- ↑ "Date of Holi festival in Nepal and India as of Hindu Vikram Sambat Calendar"।
- ↑ http://www.thecolorsofindia.com/holi-celebrations.html
- ↑ : होली
- ↑ विभिन्न हिन्दू धार्मिक ग्रन्थहरू