"दुर्गा सप्तशतीक सिद्ध-मन्त्र" के अवतरणसभमे अन्तर
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दुर्गा सप्तशतीक सिद्ध-मन्त्र क अर्थ होयेत अछि कि जे मन्त्र माँ दुर्गा कs लेल प्रयुक्त कएल जाएत अछि अर्थात माँ दुर्गा कs नमन करति हुनकर चरणमे अपनाक समर्पित करति हुनकर सिद्ध मन्त्रक जाप करला पर माँ दुर्गा प्रशन्न होएत अपन भक्त कs इच्छित फल प्राप्ति कs अवसर देती अछि ।
दुर्गा सप्तशतीक सिद्ध-मन्त्र क मन्त्र विभिन्न प्रकारक होएत अछि , जे कि हर एक इच्छा पर निर्भर और अही मन्त्र कs कम स कम ११, २१, ५१ अथवा १०८ बेर जाप करला पर व्यक्ति कs मनोकामना पुर्ण होएत अछि ।
दुर्गा सप्तशतीक सिद्ध-मन्त्र[सम्पादन करी]
दुर्गा सप्तशतीक सिद्ध-मन्त्र के मन्त्र किछ अहि प्रकार अछि :
- आपत्त्ति उद्धारक
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तु ते ॥
- भयनिवारक
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते ।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तु ते ॥
- पापनाशक
हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥
- रोगनाशक
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥
- पुत्र प्राप्ति के लिये
देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥
- इच्छित फल प्राप्ति
एवं देव्या वरं लब्ध्वा सुरथः क्षत्रियर्षभः
- महामारी नाशक
जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तु ते ॥
- शक्ति प्राप्ति के लिये
सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।
गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तु ते ॥
- इच्छित पति प्राप्ति के लिये
ॐ कात्यायनि महामाये महायेगिन्यधीश्वरि ।
नन्दगोपसुते देवि पतिं मे कुरु ते नमः ॥
- इच्छित पत्नी प्राप्ति कs लेल
पत्नीं मनोरामां देहि मनोववृत्तानुसारिणीम् ।
तारिणीं दुर्गसंसार-सागरस्य कुलोभ्दवाम् ॥
एहो सभ देखी[सम्पादन करी]
बाहरी जडीसभ[सम्पादन करी]
ई सिद्ध मन्त्र निम्नलिखित पुस्तकसभ सं लेल गेल अछि:
- दुर्गापाठ पुस्तक
- माँ दुर्गा महिमा