बहादुर शाह जफर

मैथिली विकिपिडियासँ, एक मुक्त विश्वकोश
बहादुर शाह ज़फ़र

बहादुर शाह ज़फ़र (१७७५-१८६२) भारत मे मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह छल आर उर्दू भाषा के मानल जाए वाला शायर छल।

उर्दू के कवि[सम्पादन करी]

फारसी मे कविता, जे बहादुरशाह लिखल।.

लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में,
किस की बनी है आलम-ए-नापायदार में।

बुलबुल को बागबां से न सैयाद से गिला,
किस्मत में कैद लिखी थी फसल-ए-बहार में।

कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें,
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में।

एक शाख गुल पे बैठ के बुलबुल है शादमान,
कांटे बिछा दिए हैं दिल-ए-लाल-ए-ज़ार में।

उम्र-ए-दराज़ माँग के लाये थे चार दिन,
दो आरज़ू में कट गये, दो इन्तेज़ार में।

दिन ज़िन्दगी खत्म हुए शाम हो गई,
फैला के पांव सोएंगे कुंज-ए-मज़ार में।

कितना है बदनसीब 'ज़फर' दफ्न के लिए,
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में॥


मुग़ल सम्राटसभ क कालक्रम[सम्पादन करी]

अकबर शाह द्वितीयअली गौहरमुही-उल-मिल्लतअज़ीज़ुद्दीनअहमद शाह बहादुररोशन अख्तर बहादुररफी उद-दौलतरफी उल-दर्जतफर्रुख्शियारजहांदार शाहबहादुर शाह प्रथमऔरंगज़ेबशाहजहाँजहांगीरअकबरहुमायूँइस्लाम शाह सूरीशेर शाह सूरीहुमायूँबाबर

गैलरी[सम्पादन करी]

बाह्य जडीसभ[सम्पादन करी]


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम