विदेह मिथिला रत्न
आधुनिक ऐतिहासिक पुरुष आ महापुरुषक चित्र भेटब संभव मुदा पौराणिक आ प्राचीन नायकक असंभव तँइ विदेह (पत्रिका) मिथिला रत्न नामक पृष्ठक जन्म भेल आ एहिमे ओहन-ओहन नायक काल्पनिक मुदा सत्यक बेसी लगीच बला चित्र सभकेँ देल गेल जकरा आधुनिक कालक आलोचक सभ उपेक्षित छोड़ि देने छलाह। मैथिल आलोचक सिद्ध सरहपादकेँ मैथिलीक आदि कवि तँ मानै छथि मुदा जखन चित्र बनेबाक समय एलै तखन ओ सरहपादक नै बना विद्यापतिक बनेलथि कारण सरहपाद निम्न जातिक छलाह। तेनाहिते मैथिलीक लोककथाक अनेको पात्रक चित्र जानि बूझि कऽ छोड़ि देल गेल छल। विदेह एकरा एकटा चुनौतीक रूपमे देखलक आ सभ उपेक्षित नायकक चित्र बनबेलक। एहि विदेह (पत्रिका) मिथिला रत्न नामक पृष्ठमे सरहपादसँ लऽ कऽ ज्योतिरिश्वर पूर्व विद्यापति धरि, बंठा चमारसँ लऽ कऽ कारिख पजियार, गोनू झासँ लऽ कऽ छेछन महराज धरिक चित्र भेटत। आधुनिक कालक चित्र सभ तँ सहजहिं भेटत। एहि पृष्ठक एकमात्र उपल्बधि अछि जे ओ ओहन नायकक चित्र उपल्बध करबेलक जकरा उपेक्षित छोड़ि देल गेल छल [१]
संदर्भ