अकासतर बैसकी

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उन्मुक्त कविताक नबका ट्रेंड 'अकासतर बैसकी'[सम्पादन करी]

बैसकी किएक?[सम्पादन करी]

मिथिलासं ल' परदेस धरि मैथिली भाषा-साहित्यसं जुड़ल अनेको गोष्ठी आयोजित होइत रहैत अछि. एहन गोष्ठी कोनो ने कोनो संस्थाक छाहरिमे होइत रहल अछि. एकर अतिरिक्त सरकारी-गैरसरकारी साहित्यिक अनुष्ठान शीतताप नियंत्रित सभा कक्षमे होइए. मने मैथिलीमे बहुत बेसी साहित्यिक कार्यक्रम होइत रहल अछि.

एहि सभ कार्यक्रममे आम लोकक भागीदारी नै जकां रहैत छै संगहि साहित्यिक लोकनिक उपस्थिति सेहो ओतेक नीक नै रहैछ. एहन अवस्थामे भाषा-साहित्यसं जुड़ल कार्यक्रम आम लोकक पहुंचसं बाहर भ' गेल अछि. परिणाम भेल जे ने साहित्यप्रेमी रहल आ ने आम लोकक मध्यसं रचनाकारे बहराइछ. नब लोक जे साहित्य लेखन दिस रुखि करितो छथि, प्लेटफ़ॉर्म आ प्रोत्साहनक अभावमे उभरि नै पबै छथि. साहित्य एकटा सर्किल मध्य संकुचित भेल गेल अछि. एकर बड्ड भयाओन परिणामसं मैथिली भाषा गुजरि रहल अछि.

एही सभ बातकें धियानमे रखैत कलकत्ताक किछु भाषाप्रेमी लोकनि 'अकासतर' साहित्यिक गोष्ठी करबाक नियारसं अनौपचारिक गोष्ठी शुरू केलनि, जे 'अकासतर बैसकी' नामे जानल जाइए. गोष्ठीमे पुरान आ स्थापित रचनाकारक स्थान पर नवतुरिया वा नब आगंतुक कविकें प्राथमिकता देल जाइत अछि. सभसं विशेष बात जे एहिमे कवि आ कविता प्रेमी संग बैसि क' कविताक आनंद लेइत छथि. एकर आयोजन फुजल अकासतर कोनो पार्क, मैदान, स्कूल-कॉलेज वा कोनो संस्थानक कैम्पस आदि स्थान पर होइए. धियान राखल जाइए जे आयोजनमे कोनो तरहक लम्फ-लम्फा नै हो.

कवितेटा किएक?[सम्पादन करी]

ई गोष्ठी मैथिली कविताकें समर्पित अछि. एहिमे पद्य विधाक साहित्य पढ़ल-सुनल जाइए. ओहिपर विचार, विमर्श ओ समीक्षा प्रस्तुत कएल जाइए. काव्य विधाक रचना कम समयमे पढ़ल जा सकैए आ एक गोष्ठी (जे डेढ़-दू घंटाक होइए)मे बहुते गोटे अपन रचना राखि सकैत छथि. मैथिली भाषासं आमजनकें जोड़बाक लेल ई गोष्ठी शुरू कएल गेल अछि. कविते एहन विधा अछि जे नवतुरियासं ल' वरिष्ठ लोकनि धरिकें अपना दिस आकर्षित क' सकैछ. एकर वाचन, गायन, प्रस्तुतीकरण अलग-अलग ढंगसं कत्तहु कएल जा सकैछ.

साहित्यिक गोष्ठी जाहिमे सभ विधा पढ़ल-सुनल जाए, पहिनेसं होइत रहल अछि. कलकत्तामे लगभग अढाइ दशकसं ओ जमशेदपुरमे एक दशकसं ‘संपर्क’ नामे एहन गोष्ठी आयोजित होइत रहल अछि. कथा गोष्ठी ‘सगर राति दीप जरय’ बेस लोकप्रिय भेल अछि त’ अनेक साहित्यिक गोष्ठी अस्तित्वमे अछि जे समय-समयपर विभिन्न ठाम विभिन्न संस्था सभ द्वारा आयोजित होइए. मुदा कविताकें समर्पित गोष्ठीक नितांत खगता देखल जा रहल छल. एही सभ कारणें ‘अकासतर बैसकी’ कविता केन्द्रित राखल गेल.

कोना होइए संचालन?[सम्पादन करी]

एकर संचालन पूरा रूप सं संयोजकक जिम्मे रहैत छनि जे एक साल लेल मनोनीत रहै छथि. गोष्ठीक पहिल साल 2015क संयोजक रूपेश त्योंथ भेल छथि जे साल 2016 लेल संयोजकक दायित्व चन्दन कुमार झाकें सौंपलनि. संयोजकक मनोनयन आपसी सहमति आ विचार-विमर्शसं कएल जाइछ. बैसकीपर नजरि रखबाक लेल 5 सदस्यीय एडवाइजरी बोर्ड अछि जे एकर स्वरूप, उद्देश्य केर समीक्षा करैत अछि आ संयोजकक क्रियाकलाप आ प्रयासपर दृष्टि रखैत अछि. एडवाइजरी बोर्डमे राजीव रंजन मिश्र, भास्करानंद झा भास्कर, मनोज शाण्डिल्य, चन्दन कुमार झा ओ रूपेश त्योंथ छथि. एक बेर संयोजकसं सहमति ल' बैसकी देश-विदेशमे कतहु आयोजित कएल जा सकैत अछि. संयोजकक अनुपस्थितिमे आयोजित बैसकीक वैधता पर संयोजक आ एडवाइजरी बोर्ड मिलि क' निर्णय करैत छथि. बैसकीक उतरोत्तर विकास ओ प्रसार सहित आयोजनक स्वरूप पर बैसकीमे उपस्थित लोकनि सभसं समय-समयपर सलाह-मशविरा कएल जाइत अछि.

की कएदा-क़ानून?[सम्पादन करी]

बैसकीक सभसं बड़का कएदा कविते अछि. कविते पढ़ब, कविते सुनब, कविते जियब, कविते भोगब. कविता पर सभ किछु भ' सकैए. भाखा मैथिलीएटा होएत, तखन आन-आन भाखाक उत्तम कविताक मैथिली अनुवाद पढ़ल-सुनल जा सकैत अछि. गोष्ठीमे उपस्थित लोकनि आन रचनाकारक रचना सेहो पढि सकैत छथि. कविता प्रकाशित-अप्रकाशित वा नव-पुरान सभ तरहक रहि सकैत अछि. ओहिपर चर्च-विमर्श भ’ सकैत अछि. रचनापर त्वरित टिप्पणीक विधान नै अछि. रचना पढ़ब-सुनब आ तकर आनंद लेब, नव रचनाकारकें प्रोत्साहित करब मुख्य ध्येय राखल गेल अछि. कोनो वैध बैसकीमे 5 गोटेक उपस्थिति अनिवार्य अछि. सालमे कम सं कम 5टा गोष्ठी होएब आवश्यक अछि. बेसीसं बेसी 12टा बैसकी भ' सकैत अछि.

ट्रेंड बनल बैसकी![सम्पादन करी]

अकासतर बैसकी शुरू भेल कि लोकक धियान एहि दिस गेलै. ओना त' मिथिलामे पर-पंचैतीसं भोज-भात सभ फुजल अकासतर होइत रहल अछि मुदा आधुनिकताक बिर्रोमे साहित्यिक बैसकी कहिया ने उधिया गेल. गाममे त' ई कार्यक्रम सभ नहिए होइए, शहरमे होइए मुदा से शहरी बात-बेवस्थामे. महानगरक साहित्य-प्रेमी फुजल अकासतर नीचामे बैसि क' कविता पढैत छथि, चर्च-विमर्श करैत छथि से देखि लोक आकर्षित भेल. बैसकीसं जुड़ल एकटा एहने बैसकी राजधानी दिल्लीमे आयोजित भेल आ फेर एक सिलसिला शुरू भ' गेलैक. पटना-दरभंगा, मधुबनी, जनकपुर के' कहय, दोहा -कतार धरि अकासतर साहित्यिक आयोजन सभ भेल आ भ' रहल अछि. 'अकासतर बैसकी' बहुत कम समयमे आयोजनक एकटा ट्रेंड स्थापित करबामे सफल रहल अछि.