चाणक्य नीति
चाणक्य नीति चाणक्यद्वारा नीति नियम सम्बन्धी अनेक बातसभ लिखल ग्रन्थ छी । और कोनो ग्रन्थमे नैपावेवाला विषयसभ रहल ई पूरा विश्वभरमे पढल जाएत अछी; एहीमे आदर्श व्यवहार यथार्थक सुन्दर तरिकासँ समन्वय कएल गेल अछी ।
अध्यायसभ
[सम्पादन करी]चाणक्य नीति आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य वा कौटिल्य रचित नीति ग्रन्थ चाणक्य नीति दर्पण व्यावहारिक जीवनक लेल श्रेष्ठ मार्गदर्शक नीति मानल जाएत अछी । एहीमे बताएल नीतिसभक दैनिक जीवनमे कतेक व्यावहारिकता अछी, ओ बात ई ग्रन्थक अध्ययनसँ स्पष्ट होएत अछी । ई ग्रन्थ नेपालक गुरुकुल पाठ्यक्रमक एक प्रमुख विषय होएत छल ।
किछ संस्कृतक पद्य
[सम्पादन करी]- पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् ।
मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा प्रदीयते ।। पृथ्वीका तीन रत्न हुन्छन्, जल, अन्न र सुभाषित । तर मूर्खहरूले पत्थरका टुक्राहरुलाई रत्नधन मानेका हुन्छन् ।
- अग्निशेषमृणशेषं शत्रुशेषं तथैव च ।
पुनः पुनः प्रवर्धेत तस्माच्शेषं न कारयेत् ।।
- नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगैः ।
विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ।।
- दुर्बलस्य बलं राजा, बालानां रोदनं बलम् ।
बलं मूर्खस्य मौनित्वं चौराणामनृतं बलम् ।।
- अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः ।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम् ।।
- आदित्य चन्द्रानिलोद्रनलश्चद्यौर्भूमिरापो हृदयं यमश्च ।
अहश्च रात्रिश्च उभेश्च सन्ध्येश्च धर्मश्च जानाति नरस्य वित्तम् ।
- आचार्यात् पादमादत्ते पादं शिष्यः स्वमेधया ।
पादं सब्रह्मचारिभ्यः पादम् कालक्रमेण च ।।
- आहारो द्विगुणः स्त्रीणां बुद्धिस्तासां चतुर्गुणाः ।
- अयं निजः परः वा इति गणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।।