वर्षा
वर्षा वायुमण्डलमे सङ्कलित जलवाष्प अत्याधिक भारी भऽ पृथ्वीकेँ गुरुत्वाकर्षण बलक कारण आकाशसँ पानिक थोपाक रुपमे जमीनमे खसऽवला प्रक्रिया छी। मुदा सब वर्षा जमीनधरि नै पहुचैत अछि, किछ तँ सुख्खा हावा भऽ खसैत काल वाष्पीभूत भऽ जाएत अछि। कोनो कोनो समय तँ सब बर्षा हावाएमे वाष्पीभूत भऽ जाएत अछि। जल चक्रमे वर्षाक मुख्य भूमिका होएत अछि, जहिमे सागरसभक ओस वाफ भऽ वादलमे ठण्डा भऽ जाएत अछि, आ पृथ्वीमे खसि अन्ततोगत्वा नाला खल्टाक माध्यमसँ सागरमे पहुच जाएत अछि आ ई चक्र दोहोराबैत रहैत अछि।
वर्षाक परिमाण नाप्न वर्षामापक प्रयोग कएल जाएत अछि। एकरा एक समथल सतहमे जामा भऽ पानिकेँ गहिराईकेँ आधारमे नापल जाएत अछि। ई नाप सामान्यतया नजदिकेक ०.२५ मिलिमिटर (मिमि) वा ०.०१ इन्चक आधारमे नापाङ्कन कएल जाएत अछि। कहियो काल एकरा लिटर प्रति बर्गमिटरक आधारमे नापल जाएत अछि (१ लि/मि२= १ मिमि)।