वार्ता:देवशंकर नवीन
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[सम्पादन करी]देवशंकर नवीन
[सम्पादन करी]
मैथिली एवं हिन्दीक चर्चित कवि, कथाकार, समालोचक, अनुवाद चिन्तक
जन्म तिथि
[सम्पादन करी]02.08.1962
जन्म-स्थान
[सम्पादन करी]मोहनपुर, नौहट्टा, सहरसा, बिहार, भारत
सम्प्रति
[सम्पादन करी]प्रोफेसर,
भारतीय भाषा केन्द्र, भाषा,
साहित्य, संस्कृति अध्ययन संस्थान,
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,
नई दिल्ली 110067, भारत
https://vidwan.inflibnet.ac.in/profile/48719
http://www.jnu.ac.in/Faculty/deoshankar/cv.pdf
https://scholar.google.nl/citations?user=ozRww-YAAAAJ&hl=en
http://www.deoshankarnavin.blogspot.com/
http://www.samanvayindianlanguagesfestival.org/2012/deoshankar-naveen
सम्मान-पुरस्कार
[सम्पादन करी]* हिन्दी अकादेमी, दिल्ली सरकार द्वारा वर्ष 1991 लेल श्रेष्ठ युवा कवि सम्मान * उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा वर्ष 2013 लेल सौहार्द सम्मान * डीबीडी कोशी सम्मान-2015, बेगूसराय, बिहार * विद्यापति सम्मान-2017, राजभाषा विभाग, बिहार सरकार
प्रकाशित कृति
[सम्पादन करी]मूल मैथिली
[सम्पादन करी]- चानन काजर (कविता संग्रह), किसुन संकल्पलोक प्रकाशन, 1998
- आधुनिक साहित्यक परिदृश्य (आलोचना), अन्तिका प्रकाशन, 2000
- हाथी चलए बजार (मैथिली कथा संग्रह), चतुरंग प्रकाशन, 2004
- मैथिली साहित्य : दशा, दिशा, सन्दर्भ, नवारम्भ प्रकाशन, 2011(978-93-82013-00-6)
मूल हिन्दी
[सम्पादन करी]- जमाना बदल गया (कहानी), नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया, 1994 (आईएसबीएन 81-237-0591-3) पंजाबी (81-237-3416-6) एवं बांग्ला (81-237-2310-5)मे भी प्रकाशित
- ओनामासी (हिन्दी-मैथिलीक प्रारम्भिक सर्जना), किसुन संकल्पलोक प्रकाशन, 1998
- गीतिकाव्य के रूप में विद्यापति पदावली, इग्नू, 1999
- राजकमल चौधरी का रचनाकर्म (आलोचना), किताबघर प्रकाशन, 2000
- पहचान (कहानी संग्रह), वाणी प्रकाशन, 2001 (81-7055-820-4)
- सोना बाबू का यार (कहानी), समन्वय प्रकाशन, 2002
- सिरदर्द (कहानी), समन्वय प्रकाशन, 2004
- मध्ययुगीन भक्ति आन्दोलन एवं कृष्ण काव्य परम्परा, विजया बुक्स, 2011 (978-93-81480-19-9)
- राजकमल चौधरी : जीवन और सृजन, प्रकाशन विभाग, 2012 (978-81-230-1788-4)
- अनुवाद अध्ययन का परिदृश्य (आलोचना), प्रकाशन विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली, 2016, (ISBN 978-81-230-2008-2)
सम्पादन मैथिली
[सम्पादन करी]- लोकवेद आ लाल किला (गजल-संग्रह), विद्यापति सेवा संस्थान, 1990
- साँझक गाछ, राजकमल प्रकाशन, 2002 (81-267-0641-4)
- उदाहरण, प्रकाशन विभाग, 2007 (81-230-1435-X)
- अक्खर खम्भा, नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया, 2008 (978-81-237-5408-6)
सम्पादन हिन्दी
[सम्पादन करी]- प्रतिनिधि कहानियाँ : राजकमल चौधरी, राजकमल प्रकाशन, 1996 (81-7178-452-6)
- राजकमल चौधरी की चुनी हुई कहानियाँ, किताबघर प्रकाशन, 1998 (81-7016-371-4)
- शवयात्रा के बाद देहशुद्धि, अभिरुचि प्रकाशन, 2000
- उत्तर आधुनिकता : कुछ विचार, वाणी प्रकाशन, 2000
- अग्निस्नान एवं अन्य उपन्यास, राजकमल प्रकाशन, 2001 (81-267-0280- X)
- बन्द कमरे में कब्रगाह, किताबघर प्रकाशन, 2001 (81-7016-522-9)
- पत्थर के नीचे दबे हुए हाथ, राजकमल प्रकाशन, 2002 (81-267-0383-0)
- विचित्रा (राजकमल चौधरी की कविताएँ), राजकमल प्रकाशन, 2002 (81-267-0382-2)
- ऑडिट रिपोर्ट (राजकमल चौधरी की कविताएँ), वाणी प्रकाशन, 2006 (81-8143-503-7)
- खरीद बिक्री (राजकमल चौधरी की मै.कहानियाँ), वाणी प्रकाशन, 2006 (81-8143-478-1)
- बर्फ और सफेद कब्र पर एक फूल, वाणी प्रकाशन, 2006 (81-8143-479- X)
- राजकमल चौधरी : संकलित कहानियाँ, नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया, 2007 (978-81-237-4988-4) पंजाबी (978-81-237-5905-0), उर्दू (978-81-237-6272-2), तेलुगु (978-81-237-6031-5)मे अनूदित
- राजकमल चौधरी रचनावली, खण्ड-1, राजकमल प्रकाशन, 2015, (ISBN 978.81.267.2878.7)
- राजकमल चौधरी रचनावली, खण्ड-2, राजकमल प्रकाशन, 2015, (ISBN 978.81.267.2878.7)
- राजकमल चौधरी रचनावली, खण्ड-3, राजकमल प्रकाशन, 2015, (ISBN 978.81.267.2878.7)
- राजकमल चौधरी रचनावली, खण्ड-4, राजकमल प्रकाशन, 2015, (ISBN 978.81.267.2878.7)
- राजकमल चौधरी रचनावली, खण्ड-5, राजकमल प्रकाशन, 2015, (ISBN 978.81.267.2878.7)
- राजकमल चौधरी रचनावली, खण्ड-6, राजकमल प्रकाशन, 2015, (ISBN 978.81.267.2878.7)
- राजकमल चौधरी रचनावली, खण्ड-7, राजकमल प्रकाशन, 2015, (ISBN 978.81.267.2878.7)
- राजकमल चौधरी रचनावली, खण्ड-8, राजकमल प्रकाशन, 2015, (ISBN 978.81.267.2878.7)
अनुवाद
[सम्पादन करी]- पेड़(लेखक : मार्टी), नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया, 1994 (81-237-0567-0)
- भूकम्प (लेखक : रस्किन बॉण्ड), स्कोलेस्टिक, 2003 (81-7655-240-2)
- गरजे बाघ, उड़ जाए बाज (रस्किन बॉण्ड), स्कोलेस्टिक, 2003 (81-7655-246-1)
- अक्खर खम्भा (हिन्दी), नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया, 2010 (978-81-237-5988-3)
- सरोकार, साहित्य अकादेमी, 2011 (978-81-260-3088-0)
- देसिल बयना, नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया, 2011 (978-81-237-6251-7)
- उचितवक्ता, साहित्य अकादेमी, 2013 (978-81-260-4298-2)
संकलनमे संकलित
[सम्पादन करी]- राजकमल चौधरी की मैथिली रचनाएँ, राजकमल चौधरी: सृजन के आयाम; संजय प्रकाशन, पटना, 1986
- महाकवि मधुप आ हुनकर द्वादशी, अमर कीर्ति कवि तोर, मिथिला सांस्कृतिक समिति, कालकत्ता, 1988
- मैथिली गजल: स्वरूप आ सम्भावन, लोकवेद लाल किला; विद्यापति सेवा संस्थान, दरभंगा, 1990
- सूर्य्यमुखी: आरसी प्रसाद सिंह, शिखरिणी; चेतना समिति, पटना, 1992
- पवनपुल, श्वेत पत्र; भाखा प्रकाशन, पटना, 1993
- आन वतन की, अपनी जबान; सफदर हाशमी मेमोरियल ट्रस्ट, नई दिल्ली, 1994
- कनकलता की कहानियाँ , कहानियों का सच; संजय प्रकाशन, पटना, 1995
- चरित्र, कथादिशा; ज्योत्स्ना प्रकाशन, दरभंगा, 1997
- विधात्मक तोड़फोड़ करैत कथाशिल्प, गोविन्द झा: अर्चा ओ चर्चा; गोविन्द झा अभिनन्दन ग्रन्थ समिति, पटना, 1997
- हाथी चलए बजार, भरि राति भोर; चतुरंग प्रकाशन बेगूसराय, 1998
- गीतिकाव्य के रूप में विद्यापति पदावली, हिन्दी आदि काव्य; इग्नू, नई दिल्ली, 1999
- गति, सन्धान; सम्प्रति प्रकाशन पटना, 2000
- हिन्दी का विवादास्पद लेखन और उसकी परम्पराएँ, लहरों के शिलालेख; परम्परा, दिल्ली, 2001
- राष्ट्रीय एकता के सूत्र: आदान-प्रदान, भारतीय भाषा और राष्ट्रीय अस्मिता; हिन्दी अकादेमी, दिल्ली, 2001
- मध्यान्तर, कथासेतु; भाषा समाज प्रकाशन भागलपुर, 2002
- विद्यापति का काव्य सौन्दर्य, साहित्य का नया सौन्दर्य शास्त्र; किताबघर, नई दिल्ली, 2006
- बरसो हे मेघ, समकालीन भारतीय साहित्य चयनम; साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, 2006
- दूरदर्शन में विज्ञापन: कितनी जरूरत..., दूरदर्शन एवम मीडिया: विविध आयाम; अमरसत्य प्रकाशन दिल्ली, 2008
- पुनर्पाठ का अन्तर्विरोध: देश की बात, 1857 भारत का पहला मुक्तिसंग्राम; प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली, 2008
- अपराजेय मानवीय आकांक्षा की कहानियाँ, उजास; चतुरंग प्रकाशन बेगूसराय, 2008
- जानवर, बोध, एकता, मनोरथ ..., मैथिली कविता संचयन; नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डिया, 2009
- उन्हें माफ कर दिया, अलवर की राजकुमारियाँ; सुलभ इंटरनेशनल, नई दिल्ली, 2009
- चरित्र, मैथिली कथा शताब्दी संचय, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, 2010
- माध्यन्तर, कथा पारस, नवारम्भ प्रकाशन, पटना, 2011
- पाखण्डपूर्ण अलोचनाक दुश्मन, भावबन्ध बन्ध रसवन्त, जखन-तखन प्रकाशन, दरभंगा, 2011
- सही प्रयोग सँवारता है, बिगड़ता नहीं, भाषा संस्कृति और लोक, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, 2012, पृ. 143-48
- निराला का कहा, आलोचना का अदृश्य पक्ष, (सं.) भारत भारद्वाज, प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली, 2013, पृ. 111-19
- 531 कन्नड़ भक्ति वचनों का मैथिली अनुवाद, वचन, (सं.) एम.एम. कलबुर्गी, मैथिली खण्ड संपादक प्रो. उदय नारायण सिंह, बसव समिति, बंगलुरु, 2016, (आईएसबीएन 978-93-81457-29-0)
- ललका पाग’क पुर्पाठ, अक्षर पुरुष, (संपादक) किशोर केशव, वन्दना किशोर, शेखर प्रकाशन, पटना, 2016, (आईएसबीएन 978-81-931779-9-0)
- मैथिली बाल साहित्य, भारतीय बाल साहित्य, (संपादक) हरिकृष्ण देवसरे, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, 2016, पृ. 417-43,(आईएसबीएन 978-81-260-4310-1)
- सांकृतिक संचरण और अनुवाद, अनुवाद के विभिन्न आयाम, महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा
ईपीजी पाठशाला हिन्दी के लिए पाठ-लेखन
[सम्पादन करी]- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-27 रामचरितमान मुख्य सीता का चरित्रांकन, पत्र/पाठ्यक्रम: पी-05 मध्यकालीन काव्य-2 (भक्तिकालीन काव्य) http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-20 राजकमल चौधरी की काव्य दृष्टि, पत्र/पाठ्यक्रम पी-03 आधुनिक कविता-2 http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-24 समकालीन हिन्दी कविता पत्र/पाठ्यक्रम: पी-01 हिन्दी साहित्य का इतिहास http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18 नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल):एम-23 प्रगतिशील हिन्दी काव्यधारा, पत्र/पाठ्यक्रम पी-01 हिन्दी साहित्य का इतिहास http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-3। भक्ति आन्दोलन और लोक जागरण, पत्र/पाठ्यक्रम पी-05 मध्यकालीन काव्य-2 (भक्तिकालीन काव्य) http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-20 सूरदास की राधा, पत्र/पाठ्यक्रम पी-05 मध्यकालीन काव्य-2 (भक्तिकालीन काव्य) http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18 नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल):एम-30 पदमावत का आध्यात्मिक पक्ष, पत्र/पाठ्यक्रम पी-05 मध्यकालीन काव्य-2 (भक्तिकालीन काव्य) http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-31 सूफीमत: इतिहास और विचारधारा, पत्र/पाठ्यक्रम पी-05 मध्यकालीन काव्य-2 (भक्तिकालीन काव्य) http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-32 पद्मावत: ऐतिहासिकता और महाकाव्यत्व, पत्र/पाठ्यक्रम पी-05 मध्यकालीन काव्य-2 (भक्तिकालीन काव्य) http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-33 पद्मावत मुख्य अभिव्यक्त सौन्दर्य चेतना, पत्र/पाठ्यक्रम पी-05 मध्यकालीन काव्य-2 (भक्तिकालीन काव्य) http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-34 पद्मावत के स्त्री पात्रों का चरित्रांकन, पत्र/पाठ्यक्रम पी-05 मध्यकालीन काव्य-2 (भक्तिकालीन काव्य) http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-08 अनुवाद अध्यन, पत्र/पाठ्यक्रम पी-16 समकालीन साहित्य चिन्तन http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-09 होरेस का कव्य चिन्तन पत्र/पाठ्यक्रम पी-14 पश्चात्य काव्य शास्त्र http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-28 जोला और प्राकृतवाद पत्र/पाठ्यक्रम पी-14 पश्चात्य काव्य शास्त्र http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
- नवीन, देवशंकर, शीर्षक (मॉड्यूल): एम-29, यथार्थवाद पत्र/पाठ्यक्रम पी-14 काव्य शास्त्र http://epgp.inflibnet.ac.inèahl.php?csrno=18
पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित शोधालेख
[सम्पादन करी]- लघुकथा लेखन: एक जोखिम, कारखाना पत्रिका, जमालपुर, 1986
- विश्वास (राजकमल चौधरी की कविता का अनुवाद), लोकवेद, रहिका, मधुबनी, 1986
- बाबा लक्ष्मीननाथ जी: कुछ प्रसंग, कथालोक, नई दिल्ली, फरवरी-1987
- एक चम्पाकली: एक विषधर, हंस, नई दिल्ली, मई 1987
- सच्चिदानन्द हीरानन्द वत्स्यायन अज्ञेय, गौरव, डाल्टनगंज, पलामू, अप्रैल-1998
- युग-यथार्थ और रूढ़ियों के संघर्ष का नायक, विपाशा, शिमला, सितम्बर-अक्टूबर 1991
- राजकमल चौधरी की चार कविताओं का अनुवाद, विपाशा, शिमला, सितम्बर-अक्टूबर 1991
- आत्मरक्षा एवम चार अन्य कविताएँ, इन्द्रप्रस्थ भारती, नई दिल्ली, जनवरी-मार्च 1992
- आइने के सामने खडे लोग, संडे ऑब्जर्वर, नई दिल्ली, अप्रैल 1992
- एक नाटक चौदह कविताएँ, समकालीन भारतीय साहित्य, नई दिल्ली, अप्रैल-जून 1992
- खो देता है खुद को दरवाजा रास्ता होकर, संडे ऑब्जर्वर, नई दिल्ली, 10-16 मई 1992
- यह संग्रहालय शाश्वतता से रेखांकित है, संडे ऑब्जर्वर, नई दिल्ली, 14-20 जून 1992
- अनादि उज्जैयिनी के बहाने, संडे ऑब्जर्वर, नई दिल्ली, 21-27 जून 1992
- तब भी वह अबला क्यों, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 12-07-1992
- तीसरे आदमी की तालाश, नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली, 06-09-1992
- असमानता का दस्तावेज, जनसत्ता, नई दिल्ली, 17.05.1992
- पाकिस्तान की भायाह दास्तान, नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली, 01.07.1992
- भावबोध की कथाभूमि की तालाश, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 02.08.1992
- कमलेश्वर का कथा प्रस्थान, नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली, 01.11.1992
- सामान्य जीवन की असमानता, विपाशा, शिमला, जनवरी-फरवरी 1993
- घर आँगन में बिखरे कथासूत्र, जनसत्ता, नई दिल्ली, 20.06.1993
- खतरनाक स्थिति से सुरक्षा, आज, राँची, 01.12.1993
- आधी सदी की जनतान्त्रिक उपलब्धि, संवेद, मुंगेर
- उपभोक्ता संस्कृति की खतरनाक पगडण्डी पर, संवेद-2
- माँ की की कहानी एवं अन्य कविताएँ, इन्द्रप्रस्थ भारती, नई दिल्ली, जनवरी-मार्च 1994
- मानवता की परिभाषा खोजता एक लेखक, राष्ट्रीय सहारा, 13.04.1995
- जनजीवन और आधुनिक मैथिली कविता, समकालीन भारतीय साहित्य, अक्टूबर-दिसम्बर 1995
- बबूल वन में चन्दन उगाने की जिद, जेएनयू परिसर पत्रिका
- हदों को तोड़ते हुए, आजकल, नई दिल्ली, जून 1996
- बाज की चोंच में मैथिली की गर्दन, प्रभात खबर, पटना, 29.08.1996
- कौन देगा इस सरस्वती को मन्दिर, पब्लिक एशिया
- केदारनाथ सिंह: मानव संवेद्य बने रहने की जिद, गगनांचल, नई दिल्ली, जुलाई-सितम्बर 1996
- टैक्स फ्री, इण्डियन लिट्रेचर, नई दिल्ली, 1996
- मातृभाषा के मन्दिर पर गिद्ध, हंस, नई दिल्ली, 1991
- स्वत्वाधिकार संरक्षण के विविध आयाम, जेवीजी टाइम्स, 24.12.1996
- अस्मिता और मानव मूल्य की तलाश, जेवीजी टाइम्स, 10.01.1997
- पुस्तक पाठक सम्बन्ध, जेवीजी टाइम्स, नई दिल्ली, 19.03.1997
- सांस्कृतिक क्रान्ति, जेवीजी टाइम्स, नई दिल्ली, 03.04.1997
- समकाली साहित (पंजाबी), पंजाबी साहित सभा, नई दिल्ली, अप्रैल-जून 1997
- शताब्दी के अन्तिम चरन में हिन्दी कविता, गगनांचल, नई दिल्ली, अप्रैल-सितम्बर 1997
- मानवता की परिभाषा खोजता एक लेखक, कुबेर टाइम्स, 25.05.1997
- नई सहस्राब्दी और हिन्दी कविता का तेवर, गगनांचल, नई दिल्ली
- मैथिली कविता में प्रेम, अन्तरंग, बेगूसराय
- रूढ़ियों से मुक्त होता मैथिली नाटक और रंगमंच, रंग अभियान, बेगूसराय
- आजादी के पचास वर्ष और शिक्षा, जेवीजी टाइम्स, नई दिल्ली, 15.08.1997
- हिन्दी व्यंग्य की मुकम्मल तस्वीर, गगनांचल, नई दिल्ली, अक्टूबर-दिसम्बर 1997
- विवर्ण हो रही है जनजातीय संस्कृति, जेवीजी टाइम्स, 30.11.1997
- सब्जबाग नहीं, इण्डिया टुडे, नई दिल्ली, 11 नवम्बर 1998
- देश चिन्तासँ कोनार्क यात्रा धरि, अन्तिका, नई दिल्ली, जनवरी-मार्च 1999
- एक नजर: आठ पुस्तकें, एक एक कतरा, नई दिल्ली, अप्रैल-जून 1999
- रोशनी के लिए एक जतन और, अनौपचारिका, जयपुर, जनवरी 2000
- कहाँ पाएँगे एवं अन्य कविताएँ, समरलोक, भोपाल, जनवरी-मार्च 2000
- राष्ट्रीय एकता का सूत्र: साहित्यिक आदान-प्रदान, एनबीटी संवाद
- अभिशप्त क्षेत्र का आइना, इण्डिया टुडे, नई दिल्ली, 19 जनवरी 2000
- देश की बात और पुनर्पाठ की अवधारण, सच का साया, नई दिल्ली, फरवरी, 2000
- साहित्य और इतिहास की दीवार तोड़ती कृतियाँ, एनबीटी संवाद, नई दिल्ली, मार्च 2000
- पहचान, सुलभ इण्डिया, नई दिल्ली, अप्रैल 2000
- नवतुरिए आबौ आगाँ, अन्तिका, नई दिल्ली, अप्रैल-जून 2000
- प्राचीन वांग्मय पर नई दृष्टि, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 21.05.2000
- मिथकों का सहारा, इण्डिया टुडे, नई दिल्ली, 24 मई 2000
- पत्थरों में भी जुबान होती हैं, साक्षात्कार, भोपाल, जुलाई 2000
- भयावह परिस्थितियों पर विजय की आकांक्षा, साक्षात्कार, भोपाल, जुलाई, 2000
- अमृतलाल नागर का लेखन संसार, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 02.07.2000
- संस्मरणों की मोहक अमराइयाँ, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 02.07.2000
- बीसवीं सदी की हिन्दी व्यंग्य यात्रा, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 28.05.2000
- एक नजार में दो पुस्तकें, समरलोक, भोपाल, जुलाई-सितम्बर। 2000
- उपहास मूल्यांकन नहीं, हंस, नई दिल्ली, सितम्बर-2000
- उस्सर जमीन, अन्तिका, नई दिल्ली, अक्टूबर-दिसम्बर 2000
- प्रस्तुति: राजकमल चौधरी, इण्डिया टुडे, साहित्य वार्षिकी 2000
- मार्यान (मलयालम अनुवाद), चिल्ला, मलयालम मासिक, विशू विशेषांक, 2001
- क्लाउड्स, ए पिजेण्ट्स कन्वर्सेशन, प्रतीक, काठमांडू, नेपाल, खंड 12, सं. 1, 2001
- संस्कृति और वर्चस्व, एनबीटी संवेद, नई दिल्ली, अगस्त-2001
- तालशते लोग की तालाश, गगनांचल, नई दिल्ली, जुलाई-सितम्बर 2001
- नाटकियों का देश भारत, साक्षी भारत, नई दिल्ली, अक्टूबर 2001
- आवागमन, साक्षात्कार, भोपाल, दिसम्बर, 2001
- त्रासदी के तवे पर मानवता की भुजिया, पल प्रितिपल, पंचकूला, 2002
- पराजय, अक्षर पर्व, जनवरी, 2002
- पुस्तक व्यवसाय: पाठक तक पहुँच की समझ का सावल, आजकल, नई दिल्ली, फरवरी 2002
- परमाणु में पर्वतमाला, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 10.02.2002
- जाँच आयोग, साक्षी भारत, नई दिल्ली, जून, 2002
- विसंगतियों का प्रहार, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 29.12.2002
- व्यंग्य ही व्यवस्था को शिष्ट बनाएगी, हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, 29.12.2002
- लोकजीवन के अलौकिक रंग, रंग प्रसंग, नई दिल्ली, जनवरी-जून, 2003
- निराला का काहा, अक्षर पर्व, मई 2003
- अगर बच सका तो वही बचेगा, सिमटता संसार, नई दिल्ली, अगस्त-2003
- विकास की त्रासदी, साक्षात्कार, भोपाल, नवम्बर, 2003
- राजकमल चौधरी की चर्चा का जोखिम, राष्ट्रीय सहारा, नोएडा, 21.12.2003
- प्रस्तुति राजकमल चौधरी, अन्तरंग, बेगूसराय, जून-सितम्बर,2004
- कोई आदर्श नहीं युवा पीढ़ी के सामने, दैनिक ट्रिब्यून, चंडीगढ़, 03.07.2004
- सभी दुखों का कारण ज्ञान है, व्यंग्य यात्रा, नई दिल्ली, अक्टूबर-दिसम्बर 2004
- हिन्दी कहानियाँ और राजकमल चौधरी, राष्ट्रीय सहारा, नोएडा, 28.11.2004
- राष्ट्रीय एकता के सूत्र: साहित्यिक आदान-प्रदान, अन्यथा, संयुक्त राज्य अमेरिका, नवम्बर 2004
- भूलने के विरुद्ध, जनसत्ता, नई दिल्ली, 05.12.2004
- भूसों से अनाज ढकना मना है, व्यंग्यय यात्रा, नई दिल्ली, अक्टूबर-मार्च 2006
- किस्सा-ए-नवरत्न और अकबर, सहारा समय, नोएडा, 04.03.2006
- बुद्धजीवियों के लिए प्रार्थना, राष्ट्रीय सहारा, नोएडा, 14.05.2006
- समय के दंश की जीवन्त गाथा, इण्डिया टुडे
- कविता ही खोलेगी कपाट, इण्डिया टुडे
- कनकलता की कहानियाँ, कारखना पत्रिका
- महाधुन्ध में प्रकाश के विजय की कहानी, संवेद
- सूख साते हैं निरशा के सागर, साक्षात्कार
- भयावह परिस्थितियों पर विजय, साक्षात्कार
- चर्चित कविता संकलनों की नाव पर, साक्षात्कार
- जनहित में सत्ता पर क्रोध, दोआबा, पटना, जून 2007
- परम्परा और आधुनिकता का संगम, आजकल, नई दिल्ली, अक्टूबर 2007
- महज तफरीह नहीं था, साक्षी भारत, नई दिल्ली, अक्टूबर 2007
- भारतीय साहित्य अमरबेल नहीं, उत्तर प्रदेश, लखनऊ, अप्रैल, 2008
- राष्ट्रीय एकता के सूत्र: साहित्यिक आदान-प्रदान, प्रवासी संसार, दिल्ली, अप्रैल-जून 2008
- इस कहानी की जरूरत तो थी, साक्षी भारत, नई दिल्ली, सितम्बर 2008
- आत्मविज्ञापन से निर्लिप्त लेखक, व्यंग्य यात्रा, नई दिल्ली, अक्टूबर-दिसम्बर 2008
- कमजोर आलोचना का उदाहरण, इण्डिया टुडे, नई दिल्ली, मार्च 2009
- फिर भी रहेगी दुनिया, समीक्षा, नई दिल्ली, अप्रैल-जून 2009
- अब गंगा नदी में चन्द्रमा नहीं तैरता, नया पथ, जलेस, नई दिल्ली, अप्रैल-जून 2009
- राष्ट्रकवि, दीपशिखा, इग्नू, नई दिल्ली, 2009
- प्रस्तुति: राजकमल चौधरी, व्यंग्य यात्रा, नई दिल्ली, जुलाई-सितम्बर, 2009
- विसंगतियों का दस्तावेज, इण्डिया टुडे, नई दिल्ली, 02.09.2009
- अपेक्षाएँ और भी हैं, संवदिया, नई दिल्ली, अक्टूबर-दिसम्बर 2009
- अन्धकार के सागर से लड़ाई, पुष्पांजलि एलबम, पटना, 2009
- अदद्दी पेनकें मजुगत करबाक खगता, www.videh.com, 2009
- ज्ञान के लिए किताबें नहीं, दीपशिखा, इग्नू, नई दिल्ली, 2010
- साढ़े सैंतीस वर्षों का सफर, जनपथ, पटना, जनवरी 2010
- राष्ट्रीय एकता के सूत्र: साहित्यिक आदान-प्रदान, आजकल, नई दिल्ली, जनवरी 2010
- दिनकर की सम्पूर्ण छवियाँ, समीक्षा, नई दिल्ली, अप्रैल-जून 2010
- अनुवाद अध्ययन का क्षेत्र विस्तार, गगनांचल, नई दिल्ली, जुलाई-अगस्त, 2010
- कृषि कौशल प्रबन्धन की समझ, अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी पत्रिका, 24-26 अगस्त 2010
- राजकमल चौधरी, आजकल, नई दिल्ली, सितम्बर 2010
- कृषि कौशल की समझ, जनसत्ता, नई दिल्ली, 26 सितम्बर 2010
- बेसब्री, जनसत्ता, नई दिल्ली, 05.09.2010
- मैथिली साहित्य, समकालीन भारतीय साहित्य, नई दिल्ली, सितम्बर-अक्टूबर, 2010
- समकालीन परिवेश आ साहित्यकारक दायित्व, घर-बहार पत्रिका, पटना, अक्टूबर-दिसम्बर 2010
- मैनेजर पाण्डे की आलोचना दृष्टि, समीक्षा, नई दिल्ली, अक्टूबर-दिसम्बर 2010
- लघुकथा लेखन में अवरोधक तत्त्व, www.videh.com, 01.10.2010
- पुस्तक व्यावसाय: एक विहंगम दृष्टि, शिक्षा, एमएचआरडी, द्वितीय अंक, 2010
- गीतिकाव्यक रूपमे विद्यापति पदावली, आँगन, जनकपुर, नेपाल, अगहन, 2067 (दिसम्बर 2010)
- राजकमल चौधरीक उपन्यास, मैथिली शोध पत्रिका, दरभंगा, जनवरी, 2011
- नई पौध ही आगे आए, अलाव, दिल्ली, जनवरी-फरवरी, 2011
- जैसे को तैसा, जनसत्ता, नई दिल्ली, 06.02.2011
- मनुष्यता के लोप की चिन्ता, लमही, लखनऊ, जनवरी-मार्च, 2011
- जरूरत है एक हिन्दी नवजागरण की, गवेणा, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा, अप्रैल-जून 2011
- नागार्जुन की कविता का अनुवाद, समकालीन भारतीय साहित्य, नई दिल्ली, मई-जून 2011
- चाणक्य की धरती, जनसत्ता, नई दिल्ली, 05.06.2011
- मैथली की रंगयुक्ति, नटरंग-88, जनवरी-जून 2011
- अपना जख्म हरा रखने के लिए, समीक्षा, नई दिल्ली, जुलाई-सितम्बर, 2011
- बिलाड़ि, www.videh.com], 30.09.2011
- मोटरसाइकिल, www.videh.com], 30.09.2011
- हम पुछैत छी (साक्षात्कार), www.videh.com], 30.09.2011
- ब्यूह भेदने का कौशल, जनसत्ता, नई दिल्ली, 09.10.2011
- मोटरसाइकिल, जखन-तखन, दरभंगा, दिसम्बर 2011
- क्रिटिकल विजन ऑफ मैनेजर पाण्डे, द बुक रिव्यू, ग्ग्ग्ट, फरवरी, 2011
- मिथिला का संस्कृतिक उत्कर्ष और मण्डन मिश्र, कृतिरक्षण, आईजीएनसीए, नई दिल्ली, 2011
- ज्ञान के लिए किताबें नहीं, दीपशिखा, इग्नू, नई दिल्ली, 2011
- भारतीय अनुवाद की परम्परा, अन्तरंग, बेगूसराय, 2012
- सांस्कृतिक संचरण और अनुवाद, अनुवाद, नई दिल्ली, जनवरी-मार्च 2012
- मण्डन मिश्रनम मिथिलेयुडे संस्क्रया उत्कर्षवम, हिरण्य मासिक, अप्रैल, 2012, कालीकट, पृ. 12-14
- पीढ़ियों के द्वन्द्व की पड़ताल, जनसत्ता, 22 अप्रैल, 2012, नई दिल्ली, पृ. 6
- मानुष्यता का गायक, जनसत्ता, 03 जून, 2012, नई दिल्ली, पृ. 6
- किसानी की विपाम्बाणा, जनसत्ता, रविवार, 17 जून, 2012, नई दिल्ली, पृ. 3
- समकालीन हिन्दी कविता: यानी 1960 के बाद की कविता, वाक, जुलाई-सितम्बर, 2012, नई दिल्ली, पृ. 46-87
- नवजागरण की अवधारणा, आजकल, सितम्बर, 2012, नई दिल्ली, पृ. 31-33
- चक्रवात (धूमकेतु की कहानी का अनुवाद), अन्तरंग-09, सितम्बर 2012
- उखड़े हुए पेड़, हिस्सा, गर्भनाल पत्रिका, सितम्बर, 2012, वेब मैग्जिन, पृ. 36, आईएसएसएन 2249-5967
- तरक्की की राह पर, गर्भनाल पत्रिका, अक्टूबर, 2012, वेब मैगजीन, पृ. 12, आईएसएसएन 2249-5967,
- रोशनी के लिए एक जतन और, स्कूल शिक्षा, अक्टूबर, 2012, भोपाल, पृ. 33-35
- संघर्षमय जीवन की कहानियाँ, सम्यक भारत, नवम्बर 2012, नई दिल्ली, पृ. 178-80
- मुक्त हो जाना कविता से पहले...असम्भव है..., अलोचना 48, जनवरी-मार्च 2013, नई दिल्ली, पृ. 73-81
- श्रीलाल शुक्ल का व्यंग्य लेखन, आजकल, जनवरी, 2013, नई दिल्ली, पृ. 41-43
- अनुवाद अध्ययन का क्षेत्र विस्तार, अनुवाद, अप्रैल-जून 2013
- आलोचना दृष्टि अलोचना का सवसे बड़ा उपस्कर, पुस्तकवार्ता 47, जुलाई-अगस्त 2013
- बेहतर समाज की जरूरत, जनसत्ता, रविवार, 06 जनवरी 2013, नई दिल्ली, पृ. 03
- प्रश्नाकुल कवि मन, जनसत्ता, 27 जनवरी, 2013, नई दिल्ली, पृ. 06
- सांस्कृतिक संचरण और अनुवाद, अन्तरंग-10, सितम्बर 2013
- चिन्ता (शिवशंकर श्रीनिवास की कहानी का अनुवाद), अन्तरांग-10, सितम्बर 2013
- राजकमल चौधरी की कविताओं का अनुवाद, अन्तरंग-10, सितम्बर 2013
- बुद्धिनाथ मिश्र की कविताओं का अनुवाद, अन्तरंग-10, सितम्बर 2013
- विद्यानन्द झा की कविताओं का अनुवाद, अन्तरंग-10, सितम्बर 2013
- निडर योद्धा, जनसत्ता, 03 नवम्बर 2013
- प्रस्तुति और अनुवाद: नागर्जुन, अनुवाद, अक्टूबर-दिसम्बर 2013
- प्रस्तुति और अनुवाद: नागर्जुन, अनुवाद, जनवरी-मार्च, 2013, नई दिल्ली, पृ. 452
- प्रस्तुति: राजकमल चौधरी, अनुवाद, जनवरी-मार्च, 2013, नई दिल्ली, पृ. 458-59
- भारतीय अनवाद की परम्परा, अन्तरंग, जनवरी, 2013, बेगूसराय, पृ. 12-23
- अनुवाद और सत्ता विमर्श, जनसत्ता, 28 अप्रैल, 2013, नई दिल्ली, पृ. 7,
- भ्रष्ट भाषा और अस्मिता, जनसत्ता, 12 मई, 2013, नई दिल्ली, पृ. 07
- प्रस्तुति: राजकमल चौधरी (पंजाबी कवि), अनुवाद, जनवरी-मार्च 2014
- प्रस्तुति: राजकमल चौधरी (दक्षिण अफ्रीकी कवि), अनुवाद, जनवरी-मार्च 2014
- विद्रोह की चेतना, जनसत्ता, 04.05.2014
- मिथक का सामयिक सन्दर्भ, जनसत्ता, 24.08.2014
- नवोन्मेष के उन्नायक मायानन्द मिश्र, समकालीन भारतीय साहित्य 171, जनवरी-फरवरी 2014
- परम्पराक प्रगतिशील चिन्तक: मायनन्द मिश्र, घर बहार, जुलाई-सितम्बर 2014
- अनुवाद की भारतीय परम्परा, अनुवाद: इतिहास एवं परम्परा, एमटीटी-11, इग्नू
- भारतीय अनुवाद चिन्तक, अनुवाद सिद्धान्त, एमटीटी-010, इग्नू
- प्रतिलिप्यधिकारी के अधिकारों का सम्मान, अनुवाद प्रशिक्षण, एमटीटी-021, इग्नू
- प्रतिलिप्यधिकार पाठ के अनुवाद के लिए व्यावसायिक नैतिकता, अनुवाद प्रशिक्षण, एमटीटी-221, इग्नू
- स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा: शाब्दिक और सन्दर्भगत अर्थ, अनुवाद प्रशिक्षण, एमटीटी-221, इग्नू
- उम्र और फल की सीमा लाँघकर, अन्तरंग-11, 2014
- जंजीर (मायानन्द मिश्र की कहानी का अनुवाद), अन्तरंग-12, सितम्बर 2014
- ज्योत्स्ना चन्द्रम की कविताओं का अनुवाद, अन्तरंग-12, सितम्बर 2014
- स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा: शाब्दिक और सन्दर्भगत अर्थ,अन्तरंग-12, सितम्बर 2014
- तर्कशील स्त्राी विमर्ष, सांध्य गोष्ठी, अक्टूबर 2014
- मिथिला का सांस्कृतिक उत्कर्ष और मण्डन मिश्र, धरोहर 2014, 26-28 सितम्बर 2014
- जुग की मैल एक रविवार, समीक्षा-3-4, अक्टूबर 2014-मार्च 2015, पृ. 30-31, नई दिल्ली 110068 (आईएसएसएन 2349-9354)
- विश्व साहित्य, तुलनात्मक साहित्य और अनुवाद अध्ययन, अनुवाद-163, अप्रैल-जून 2015, पृ. 13-19, नई दिल्ली (आईएसएसएन 0003-6218)।
- भारतीय अनुवाद चिन्तक, अन्तरंग-13, जून 2015, पृ. 05-31, बेगूसराय, बिहार (आईएसएनएन 2348-9200)।
- अनुवाद सिद्धान्त का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, अनुवाद-165, अक्टूबर-दिसम्बर 2015, पृ. 01-04, नई दिल्ली (आईएसएसएन 0003-6218)।
- वह संस्कार की तरह जीवित है मुझमें, प्रगतिवार्ता-105, 2015, पृ. 38-41, साहिबगंज, झारखण्ड 816109(आईएसएनएन 2229-5062)।
- अनुवाद की व्यावसायिक नैतिकता, प्रगतिवार्ता-110, अगस्त 2015, पृ. 15-18, साहिबगंज, झारखण्ड 816109 (आईएसएनएन 2229-5062)
- अनुवाद, अनुवाद अध्ययन और अनुवाद प्रशिक्षण, अनुवाद-165, अक्टूबर-दिसम्बर 2015, पृ. 01-04, नई दिल्ली (आईएसएसएन 0003-6218)।
- पाग की परम्परा, जनसत्ता, पृ. 6, नई दिल्ली एडन, 6 नवम्बर, 2015 (आरएनआई नं 428983, 83)
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- कलुष घुला मानस, जनसत्ता, 26 फरवरी 2016, पृ. 6, नई दिल्ली 110068 (पंजीकरण संख्या 428983, 83)
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- सही प्रयोग सँवारता है, बिगाड़ता नहीं, जनसत्ता, 4 सितम्बर 2016, पृ. 6, नई दिल्ली 110068 (पंजीकरण संख्या 428983, 83)
- आज के द्रोणाचार्य, जनसत्ता, 30 अक्टूबर 2016, पृ. 6, नई दिल्ली 110068 (पंजीकरण संख्या 428983, 83)।
- अनुवादक का सामाजिक सरोकार, अनुवाद, अक्टूबर-दिसम्बर 2016, पृ. 23-30, दिल्ली (आईएसएसएन 0003-6218)
- राजकमल चौधरी की काव्य दृष्टि, लमही, अक्टूबर-दिसम्बर, 2016, पृ. 5-11, लखनऊ (आरएनआई एन। यूपीएन, 2008, 26329)
- ग्राम्य कलाओं का विस्थापन, जनसत्ता, 26 दिसम्बर 2016, पृ. 6, नई दिल्ली 110068 (पंजीकरण संख्या 428983, 83)।
- हिन्दी की अनुवाद परम्परा, पुस्तक संस्कृति, जनवरी-मार्च, 2017, पृ. 4-7, एनबीटी संवाद, नई दिल्ली 110070 (पंजीकरण संख्या DELHIN, 2016, 68219)
हिन्दी-मैथिलीक समस्त प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओंमे कविता, कथा, आलोचनात्मक निबन्ध, लघुकथा आदि सन् 1982सँ निरन्तर प्रकाशित। बंगला, तेलुगु, पंजाबी, अंग्रेजीमे रचनाएँ अनूदित।
आरम्भिक जीवन
[सम्पादन करी]देवशंकर नवीन'क (Dr. Deo Dhankar Navin) जन्म 02.08.1962 कें बिहारक नौहट्टा प्रखण्डक सहरसा जिलाक मोहनपुर गाममे एक वेतनभोगी परिवारमे भेलनि। हुनकर माइ राधा देवी (Radha Devi) प्रख्यात भारतीय मूल पलिवार महिषीक एक किसान कुलक बेटी छलीह। चौदह जून 2005 कें हुनकर निधन भेलनि। पिता पद्मानन्द झा (Padmanad Jha) निकटवर्ती गाम मुरादपुरक माध्यमिक विद्यालयमे यशस्वी अध्यापक छलखिन्ह। छियासी वर्षक आयु बिताकए पचीस दिसम्बर 2011 कें हुनकर निधन भेलनि। अल्पभूमि हेबाक कारणें पारिवारिक भरण-पोषण पिताक दरमहेसँ होइ छलनि। तैयो देवशंकर नवीनक लालन-पालन किसानी संस्कारमे भेलनि, जे हनुकर किसानी मनोवृत्तिक कारण थिक। माता-पिताक स्वभाव पारम्परिक ढ'ब'क छलनि, मुदा निरक्षरताक अछैत पिताक तुलनामे माइ बेसी प्रगतिशील छलखिन्ह। माता-पिताक प्रति अपार भक्तिक अछैत प्रगतिशीलता पर बरमहल बहस होइत रहै छलनि। जिद्दी स्वभाव देवशंकर नवीनकें माता-पितासँ विरासतमे भेटलनि। देवशंकर नवीनक तीन अनुजा—सरोज, पुनीता, आ अनिशा (नूना)—मे सँ सरोज आ अनिशा (नूना)क मृत्यु अल्पायुमे ही दहेज उत्पीड़नसँ भेलनि।
शिक्षा-दीक्षा
[सम्पादन करी]देवशंकर नवीनक बालापन घोर अर्थाभावमे बितलनि। नगण्य कृषि-भूमिक स्वामी पिता पद्मानन्द झाक घरमे खेतीसँ पूजा-पाठ जोगर अनाज मात्र होइ छलनि, फलस्वरूप भरण-पोषण वेतनहिसँ होइ छलनि। पिताक सदैव रुग्ण रहबाक कारणें हुनकर वेतनक बहुलांश हुनकर चिकित्सामे खपि जाइ छलनि। फलस्वरूप आठम कक्षासँ ओ ट्यूशन पढ़ाएब शुरुह केलनि। सन् 1983मे अल्प अवधि धरिक नौकरी समाप्त क' पिता सेवानिवृत्त भेलखिन्ह त' पारिवारिक दायित्व बढ़ि गेलनि आ हुनका ट्यूशनहिकें सम्बल बनबए पड़लनि। मुदा अही क्रममे अपन दिशाहीन शिक्षा-दीक्षा जारी रखैत ओ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगासँ मैथिलीमे एम.ए.(1984), पी-एच.डी.(1987)क डिग्री लेलनि। सन् 1986मे हुनका विश्वविद्यालय अनुदान आयोगसँ कनिष्ठ शोध अध्येतावृत्ति भेटलनि, मुदा ता धरि शोध-कार्य पूर्ण भ' जेबाक कारणें अध्येतावृत्ति नइँ लेलनि। उनतीस जनवरी 1985कें जी.एल.ए. कॉलेज डालटनगंज (तत्कालीन बिहार)मे मैथिली विभागमे तदर्थ नियुक्ति पर व्याख्याता भेलाह। ओतहिसँ ओ राँची विश्वविद्यालय, राँचीक अधीन एम. एस-सी.(भौतिकी) तथा एम.ए. (हिन्दी)क डिग्री लेलनि। मुदा शीघ्रे ओतए विश्वविद्यालयीय अनियमितताकें देखैत ओ अपन भविष्य असुरक्षित बूझए लगलाह। सन् 1991मे ओ डालटनगंज छोड़ि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्लीमे दाखिल भ' गेलाह, सन् 1997मे हुनका दोबारा पी-एच.डी.(हिन्दी)क डिग्री भेटलनि। जे.एन.यू.मे ओ लिट्रेरी क्लबक संयोजक सेहो रहलाह। अही अन्तरालमे सान्ध्य पाठ्यक्रममे ओ केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, नई दिल्लीसँ पी.जी. डिप्लोमा (अनुवाद) आ दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्लीसँ पी.जी.डिप्लोमा (पुस्तक प्रकाशन) सेहो केलनि।
विशेष रुचि
[सम्पादन करी]अनुवाद अध्ययन, आधुनिक साहित्यालोचन, राजकमल चौधरीक साहित्य, पुस्तक प्रकाशन पर चिन्तन-मनन हुनकर विशेष रुचिक क्षेत्र छिअनि। शास्त्रीय नृत्य-संगीत देखैत-सुनैत रहबामे, मूर्तिकला-चित्रकला एवं अन्य सृजनमे लागल कारीगरकें काज करैत देखबामे हुनका अत्यन्त सुख भेटै छनि।
कार्यानुभव
[सम्पादन करी]सन् 1985सँ 1991 धरि ओ जी.एल.ए. कॉलेज, डालटनगंज (बिहार)मे मैथिली भाषा एवं साहित्यक अध्यापन केलनि। मार्च 1993सँ फरवरी 2009 धरि नेशनल बुक ट्रस्ट, इण्डियाक सम्पादकीय विभागमे प्रशासनिक/व्यावसायिक योगदान देलनि। फरवरी 2009सँ मई 2014 धरि अनुवाद अध्ययन एवं प्रशिक्षण विद्यापीठ, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्लीमे अध्यापन केलनि, सहकर्मी लोकनिक सहयोगसँ विद्यापीठक निदेशकक रूपमे उल्लेखनीय अध्ययापन-प्रक्रियाक आधारशिला रखलनि। सम्प्रति भारतीय भाषा केन्द्र; भाषा, साहित्य, संस्कृति अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्लीमे प्रोफेसर पद पर कार्यरत छथि।
लेखनमे प्रवृत्त
[सम्पादन करी]नेनमतिएसँ फकरा जोड़बाक आदति लागि गेल छलनि। कैक बेर अइ लेल पितासँ मारि खेलनि। गीत गाएब, नाटकमे भाग लेब, कागज कतरि कए फूल बनाएब, चित्रादि बनाएब आदि प्रवृत्ति नेनमतिएसँ छलनि। अर्थाभाव एवं देहाती आवासक कारणें ओहि अनुशासन सभमे विधिवत प्रशिक्षण सम्भव नइँ भ' सकलनि। आठम-नौम कक्षामे अबैत-अबैत फिल्मी धुन पर पैरोडी लिखए लगलाह। इएह आदति क्रमे-क्रमे लेखन दिश ल' गेलनि। पहिल रचना सहरसा कॉलेज, सहरसाक पत्रिकामे सन् 1981मे आ फेर सन् 1983मे मिथिला मिहिरमे छपलनि।
लेखकीय अवदान
[सम्पादन करी]स्कूली जीवनहिसँ रचनाशील देवशंकर नवीनक रचनादि सन् 1982 अबैत-अबैत पत्र-पत्रिका सभमे, सन् 1990सँ पुस्तकाकार प्रकाशित होअए लागल। अद्यावधि हुनकर कुल 44 गोट पोथी देशक श्रेष्ठतम प्रकाशक द्वारा प्रकाशित अछि--तेरह लिखित, चौबीस सम्पादित, सात अनूदित। एतदरिक्त हुनकर एगारह गोट पोथी मुद्रणाधीन अछि। ओ कहानी, कविता, एवं आलोचना—तीनू विधामे रचना केलनि। काव्य-लेखन लेल हिन्दी अकादेमी, दिल्ली हुनका सन् 1991क श्रेष्ठ युवा कवि सम्मान, तथा हिन्दीमे रचना करबा लेल उत्तर-प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ सन् 2013क सौहार्द सम्मानसँ सम्मानित केलकनि। हुनकर रचना समय-समय पर बंगला, तेलुगु, पंजाबी, अंग्रेजी, मलयालम एवं असमियामे अनूदित, प्रकाशित होइत रहल अछि। अपन लेखनक शुरुआतिए समयसँ देवशंकर नवीनक पहचान एक प्रतिबद्ध सार्थक रचनाकारके रूपमे होअए लागल छल। यद्यपि हुनकर पहिल रचना हिन्दीमे छपल, मुदा प्रारम्भिक पाँच छओ वर्ख धरि निरन्तर ओ मैथिलीएमे लिखैत रहलाह। शीघ्रहि ओ मैथिली एवं हिन्दी—दुन्नू भाषामे क्षिप्र वेगसँ लिखए लगलाह। दुन्नू भाषाक लगभग स'ब महत्त्वपूर्ण विधा-- कविता, कहानी, लघुकथा, गजल एवं आलोचना...मे ओ लेखन कार्य केलनि। पौराणिक बिम्बक सहयोगें अपन समाजक विसंगति एवं जनपदीय विडम्बनाकें उजागर कर'वला विशिष्ट रचनाकारक रूपमे हुनकर पहिचान सुनिश्चित भेलनि। साहित्यक सामाजिक सरोकारक प्रति ओ जिद के स्तर धरि आग्रही छथि। हुनकर मान्यता छनि जे साहित्यक सार्थकता आ उपादेयता मानवीय समाजक निर्मिति, समाजमे मानव-धर्मक सुव्यवस्था बनेबामे अछि। मानव-मूल्यक सुरक्षाक प्रति चिन्ता हुनकर हरेक रचनामे देखाइत अछि। मैथिलीमे ओ अपन पीढ़ीक महत्त्वपूर्ण आ सबल कथाकारक रूपमे समादृत छथि। कविता तँ देवशंकर नवीन कमे लिखलनि, मुदा दुन्नू भाषाक सुधी पाठकक बीच हुनकर विलक्षण कथा-कौशल आ नीर-क्षीर विवेकी आलोचना-दृष्टिक विशेष सराहना भेलनि अछि। बीसम शताब्दीक नौम दशकक प्रारम्भहिसँ ओ सुधी पाठककें आकर्षित करए लागल छलाह। समाजशास्त्रीय पद्धतिक बिना कोनो साहित्यिक कृतिक समग्र मूल्यांकन हुनका दृष्टिमे अपूर्ण मूल्यांकन होइत अछि। आपातकालक बादक वैश्विक समझ आ नव विमर्शक नवोन्मेषक कारणें जे चिन्ता भारतीय साहित्य चिन्तनमे अपन जगह प्रमुखतासँ बनौलक, देवशंकर नवीन तकर पहिचान सहजतासँ क' लेलनि आ एण्टी नैरेटिव्स, उत्तरउपनिवेशवाद, स्त्री-विमर्श, दलित-चिन्तन, धर्मनिरपेक्षता, श्रमिक एवं बौद्धिक वर्गक पलायन, शिक्षा-व्यवस्थाक बदहाली, बेरोजगारी, सम्बन्ध-मूल्य एवं नीति-मूल्यक पतन, ईश-भयक छद्म सन अपरिहार्य विषय पर गम्भीरतासँ सोचब शुरुह क' देलनि। हुनकर रचनात्मक एवं आलोचनात्मक आधार अही बिन्दु सभ पर केन्द्रीभूत अछि आ अही कारणें भारतीय साहित्यक नवचिन्तकमे हुनकर गणना कएल जाइत अछि। हुनकर अन्य समकालीन जतए पुरने लीककें पीटैत स्वयंकें प्रासंगिक बना रहल छलाह, ओ अपन नवोन्मेषी दृष्टिसँ अपन समाजक रूढ़िकें तोड़ि नव पद्धतिसँ नव बात समाजकें सम्प्रेषित करैत परिवर्तनक आग्रही बनल रहलाह। लेखनकें ओ कहिओ आत्म-प्रचार आ आत्म-स्थापनक माध्यम नइँ मानलनि। अपन लेखनक मूल लक्ष्य ओ सदैव सामाजिक सरोकार मानलनि। हुनकर स्पष्ट मान्यता छनि जे श्रेष्ठ साहित्य सबसँ पैघ समाज-सुधारक होइत अछि। श्रेष्ठ साहित्य समकालीन नागरिककें अत्यन्त अनुरागसँ आन्तरिक भव्यता दैत अछि। साहित्य एहन अनूठा उपदेशक होइत अछि, जे अपन उदात्त-मूल्य द्वारा मनुष्यकें सामाजिक आ समाजकें मानवीय बनल रहबा लेल निरन्तर प्रेरित करैत रहैत अछि। ओ नागरिक मनक संशोधन-परिष्कार अदृश्य पद्धतिएँ करैत अछि, अपन उदात्त-भावक प्रभावसँ भावकक मनक विरेचन करैत ओकरा सुचिन्तित मस्तिष्कक स्वामी बनबैत अछि। हुनकर धारणा छनि जे सुचिन्तित मस्तिष्कक नागरिक मात्र व्यवस्थित समाज बना सकैत अछि, आ व्यवस्थित समाज मात्र अपना लेल बेहतर लोकतन्त्र रचि सकैत अछि। तें देवशंकर नवीन अपन चरम आ परम कर्तव्य श्रेष्ठ साहित्य लिखब, श्रेष्ठ साहित्य पढ़ब, आ श्रेष्ठ साहित्यक मूल्यांकन द्वारा समाजकें बेहतर सन्देश देब बुझै छथि। ओ मानै छथि जे जाहि समाजक हरेक नागरिक श्रेष्ठ साहित्य पढ़ब अपना धर्म मानि लेत, ओहि समाजमे कोनो अनीति, कलुष, अत्याचार, अनर्थ नइँ हैत। साहित्यक प्रयोजन आ उपादेयता सम्बन्धी अही पुनीत धारणाक कारणें अपन पीढ़ीक अन्य रचनाधर्मीक तुलनामे देवशंकर नवीनक विशिष्ट पहचान बनल आ पूर्ववर्ती पीढ़ीक रचनाकार लोकनिक बीच सेहो हुनकर सम्मान होअए लागल। हुनकर धारणाक अनुसार साहित्य सम्भवत: कोनहुँ युगमे मनोरंजन आ विलासक साधन नहीं रहल। साहित्यक उद्देश्य सदैव मानवीय मूल्यक हिमायती नागरिक बनाएब, आम नागरिककें नैतिक आ कर्तव्यनिष्ठ बनौने राखब, बेहतर समाजक गठन हेतु आम नागरिककें उद्यत करब आ अवसर देखि शासन-तन्त्रकें सेहो नीति-मूल्यक रक्षाक सन्देश देब होइत अछि। श्रेष्ठ साहित्य पढ़लाक बाद हरेक पाठक स्वयंकें पूर्वक तुलनामे बदलल सन बुझैत अछि। भारतक प्रारम्भिक शिक्षा-पद्धतिमे अनिवार्य विषयक रूपमे साहित्यक समावेश अही नीतिक परिणाम थिक। ओ मानै छथि जे हरेक रचनाधर्मी स्वैच्छिक प्रेरणासँ अइ क्षेत्रमे उतरै छथि, हुनकर सामाजिक, नैतिक आ मानवीय दायित्व हुनका अइ बाट पर अनै छनि; तें रचनाधर्मीकें कोनो सन्त जकाँ अपन दायित्वमे लागल रहबाक चाही, दोसरक सुविधा देखि हुनका अपना लेल कोनो दुविधामे नइँ पड़बाक चाही। बेहतर साहित्य रचिए क' कोनो रचनाकार अपना नजरिमे नैतिक साबित भ' सकैत अछि, आ अपन हेबाक अर्थवत्ता साबित क' सकैत अछि। चर्चित-प्रशंसित लेखक हेबाक संग-संग देवशंकर नवीन अपन सेवा-क्रममे सेहो कर्मनिष्ठ सम्पादक आ यशस्वी अध्यापकक छवि लेल समादृत छथि। सन् 1985सँ आइ धरि जाहि चारि संस्थामे ओ काज केलनि, अपन कर्तव्यनिष्ठा आ सौहार्द-भाव लेल प्रभूत सम्मान पौलनि। स्वातन्त्र्योत्तर कालक हिन्दी, मैथिलीक कालजयी रचनाकार राजकमल चौधरीक हेराएल-भोतिआएल साहित्य एवं प्रखर सामाजिक सरोकारसँ भारतीय पाठक समूह वंचिते रहि जइतए, जँ देवशंकर नवीन अपन तैंतीस बर्खक अथक शोधसँ चारि हजार पृष्ठक हुनकर रचनावली ताकि-हेरि कए संकलित, प्रकाशित नइँ करबितथि। ओ हुनकर रचना मात्र संकलिते, प्रकाशिते टा नइँ करौलनि, बल्कि हुनकर सम्यक मूल्यांकनो केलनि। देवशंकर नवीनक आलोचनात्मक कृति राजकमल चौधरी : जीवन आ सृजन भारतीय साहित्यक सुधी पाठक वर्गमे राजकमल चौधरीक साहित्यक संग-संग अन्य भाषा सभक साहित्य पर सेहो तुलनात्मक दृष्टि रखबाक प्रेरणा जगौलक अछि। ई कृति भारतीय वांग्मयक महान रचनाकार राजकमल चौधरीक साहित्यिक अवदानकें बुझबाक दृष्टिक संग-संग स्वातन्त्र्योत्तरकालीन भारतीय साहित्यक प्रवृत्ति दिश सेहो उद्यत करैत अछि। राजकमल चौधरीक विपुल लेखनक संकलन, सम्पादन, विश्लेषण क' कए ओ वस्तुत: हिन्दी एवं मैथिलीक सजग पाठक समूहक पैघ उपकार केलनि अछि। दुन्नू भारतीय भाषा—हिन्दी एवं मैथिलीमे समान आ अबाध रूपें रचनारत, आ रचनाधर्मक प्रेरणासँ अपन अकादेमिक उद्यम, अध्यापनमे सेहो नैष्ठिक बनल रहबाक कारणें पाठक समुदाय सदैव देवशंकर नवीनक नव प्रस्तुतिक प्रतीक्षा करैत रहैत अछि।
ई मेल deoshankar@hotmail.com
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