सितार
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सितार भारत कऽ सबसे लोकप्रिय वाद्ययन्त्रमे सँग एक छी, जेकर प्रयोग शास्त्रीय संगीत सँ लऽ सभ तरह कऽ संगीतमे कएल जाएत अछि। एकर इतिहास कऽ बारेमे अनेक मत अछि मुदा अपन पुस्तक भारतीय संगीत वाद्यमे प्रसिद्ध विचित्र वीणा वादक डा. लालमणि मिश्र ई प्राचीन त्रितन्त्री वीणा कऽ विकसित रूप सिद्ध केलक। सितार पूर्ण भारतीय वाद्य छी कियाकी एहिमे भारतीय वाद्योँ कऽ तीनु विशेषताए अछि। तन्त्री या तार कऽ अलावा एहिमे घुड़च, तरब कऽ तार तथा सारिकाए होएत अछि। कहल जाएत अछि भारतीय तन्त्री वाद्यों कऽ सर्वाधिक विकसित रूप छी।
सन्दर्भ सामग्रीसभ[सम्पादन करी]
बाह्य जडीसभ[सम्पादन करी]
- राग-रूपान्जलि डॉ पुष्पा बसु; रत्ना प्रकाशन, कमच्छा, वाराणासी। २००७, पृ० ३३६। संलग्न: बन्दिशों की सी डी रॉम
- सितार का स्वरूप - भारतीय संगीत वाद्य के कुछ अंश
- डॉक्टर पत्रिच्क मूताल वेबसाइट