मैथिली बाल गजल
शब्दार्थ
[सम्पादन करी]एकटा एहन गजल जाहि महँक हरेक शेर बाल मनोविज्ञानसँ बनल हो आ गजलक हरेक नियमकेँ पूर्ववत् पालन करैत हो ओ बाल गजल कहेबाक अधिकारी अछि"। जँ एकरा दोसर शब्दमे कही तँ ई कहि सकैत छी जे बाल गजल लेल नियम सभ वएह रहतै जे मैथिली गजल लेल होइत छै बस खाली विषय बदलि जेतै।[१]
स्वरूप
[सम्पादन करी]बाल गजल लेल सभ नियम गजले बला रहतै बस खाली एकटा नियमसँ समझौता करए पड़त। माने जे बहर-काफिया-रदीफ आ आर-आर नियम सभ तँ गजले जकाँ रहतै मुदा गजलमे जेना हरेक शेर अलग-अलग भावकेँ रहैत अछि तेना बाल गजलमे कठिन बुझाइए। तँए हमरा हिसाबेँ ऐठाम ई नियम टूटत मुदा तैओ कोनो दिक्कत नै कारण मुस्लसल गजल तँ होइते छै। अर्थात बाल गजल एक तरहेँ "मुस्लसल गजल " भेल। बाल गजलमे किछु शेर एहनो भऽ सकै छै जकर कोनो अर्थ नै होइक। कारण बच्चाकेँ अर्थसँ मतलब नै रहै छै। देखने हेबै जे माए वा आन कोनो संबंधी बच्चाकेँ उठा कऽ "अर्रररररररररररररररररररररर" बजै छै आ बच्चा खुश भऽ कऽ हँसै छै तँए बाल गजलमे खूब लय ओ आंतरिक सुआद चाही।
मैथिली बाल गजलक इतिहास
[सम्पादन करी]बाल गजल मैथिलीक अपन खोज थिक मने ई मैथिलीक अपन विधा भेल। ओना ऐ कसबट्टीपर कसलासँ कविवर सीताराम झाजी मैथिलीक पहिल बाल गजलकार छथि। ओइ समयमे बाल गजल नामक परिभाषिक शब्द नै उपल्बध छलै तथापि कविवरे एकर शुरुआत केलथि। तारीखक हिसाबें 24/3/2012केँ बाल गजलक उत्पति मानल जाएत (आशीष अनचिन्हार द्वारा 24/3/2012केँ दिल्लीमे साहित्य अकादेमी आ मैलोरंग द्वारा आयोजित कथा गोष्ठीमे ऐ बाल गजल नामक विधाक प्रयोग कएल गेल ) मुदा ओकर स्वरूप मैथिलीमे पहिनेहें फड़िच्छ भए चुकल छल।[२] विदेह (पत्रिका)क अंक १११ म अंक, १ अगस्त २०१२ बाल गजल विशेषांक अछि [३]
मैथिलीक किछु प्रमुख बाल गजलकार
[सम्पादन करी]व्याकरण युक्त गजलकार (ई लिस्ट भारत-नेपाल दूनू ठामक गजलकार मिला कऽ अछि)
1) सीताराम झा
2) जगदीश चन्द्र अनिल (जगदीश चन्द्र ठाकुर "अनिल")
4) मुन्नाजी
7) अमित मिश्र
13) प्रदीप पुष्प
15) आशीष अनचिन्हार