विष्णुकुण्डिन वंश
विष्णुकुण्डिन वंश | |||||||||||
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४२०–६२४ | |||||||||||
Vishnukundina Empire, ४२०–६७४ AD, ढलल तांबा, 4.65g, विदर्भ (महाराष्ट्र), बैल प्रकार. | |||||||||||
आकृति:South Asia in 500 CE | |||||||||||
राजधानी | इन्द्रपालनगर<beer />Denduluru<beer />अमरावती | ||||||||||
आम भाषासभ | संस्कृत प्राकृत तेलुगु | ||||||||||
धर्म | हिन्दु धर्म Jainism | ||||||||||
सरकार | राजतंत्र | ||||||||||
जनसराय | |||||||||||
ऐतिहासिक काल | शास्त्रीय भारत | ||||||||||
• स्थापित | ४२० | ||||||||||
• विस्थापित | ६२४ | ||||||||||
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विष्णुकुन्दन वंश (IAST: विष्णुकुन्दीन) दक्कन में स्थित एक भारतीय वंश छल, जे आधुनिक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, [ [ओडिशा]] आरू दक्षिण भारत केरऽ कुछ हिस्सा ५वीं आरू ७वीं शताब्दी के दौरान, वाकाटक साम्राज्य स॑ भूमि क॑ उकेरतें हुअ॑ । ५ आ ७ शताब्दीक दौरान दक्कन के इतिहास मे एकर महत्वपूर्ण भूमिका छल । वंश प्रारम्भ में इन्द्रपालनगर (तेलंगाना के वर्तमान समय नलगोंडा जिला में) से शासन किया, और बाद में डेन्दुलुरु, और अमरवती में स्थानांतरित हो गया।सन्दर्भ त्रुटि: <ref>
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गोविन्द वर्मा प्रथम महाराजक शाही उपाधि लेलनि आ हुनक पुत्र माधव वर्मा प्रथम श्रीपर्वत (नागार्जुनकोण्ड) आ इन्द्रपालगुट्ट सँ अनुदान पर आधारित शक्तिक संस्थापक छलाह |[१]
माधव वर्मा हम
[सम्पादन करी]माधव वर्मा के शासनकाल (लगभग ४२० – लगभग ४५५)। ओ विष्णुकुन्दन शक्तिक संस्थापक छलाह |
माधव वर्मा द्वितीय
[सम्पादन करी]माधव वर्मा द्वितीय विष्णुकुण्डिन वंश के सबसे शक्तिशाली शासक थे | माधव वर्मा द्वितीय (c. 440 – c. 460) के शासनकाल विष्णुकुन्दन के इतिहास में स्वर्ण युग था | विष्णुकुण्डिन वंश माधव वर्मा द्वितीय के समय में अपन सर्वाधिक प्रादेशिक विस्तार में पहुँचल छल | ओ वाकटक वंश के शक्तिशाली शासक पृथ्वीशेन द्वितीय के पराजित केलनि। पृथ्वीशेन द्वितीय के पुत्री वाकटक महादेवी के विवाह में देल गेल छल |
आनंद गोत्रिक सँ एहि क्षेत्र सभ पर कब्जा केलाक बाद माधव वर्मा द्वितीय अमरपुरा (आधुनिक अमरवती) केँ अपन राजधानी बनौलनि | पल्लव केरऽ निरंतर खतरा क॑ ध्यान म॑ रखतें हुअ॑ हुनी हुनकऽ गतिविधि के जांच करै लेली एगो चौकी बनैलकै आरू अपनऽ बेटा देव वर्मा आरू हुनकऽ मृत्यु के बाद पोता माधव वर्मा तृतीय क॑ एकरऽ वायसराय के रूप म॑ नियुक्त करलकै ।
माधव वर्मा द्वितीय अगिला बेर अपन ध्यान वेंगी राज्यक विरुद्ध मोड़लनि जे सलंकायनक अधीन छल | वेंगी क्षेत्र विलय भ गेल। गोदावरी खण्ड विष्णुकुन्दन क्षेत्रक हिस्सा बनि गेल | एहि विजय सभक बाद राजधानी बेजवाडा (विजयवाड़ा) मे स्थानांतरित भ' सकैत छल, जे अमरापुरा सँ बेसी केंद्रीय स्थान छल | ई विस्तृत विजय हुनका दक्षिणपथ (दक्षिण देश) के स्वामी बना देलक | इन विभिन्न विजयों के बाद माधव वर्मा ने अनेक अश्वमेध, राजसूय एवं अन्य वैदिक यज्ञ किया |
माधव वर्मा द्वितीय के उत्तराधिकारी
[सम्पादन करी]अगिला शासक विक्रमेन्द्र वर्मा प्रथम (508-528) के शासनकाल में विष्णुकुन्दन के भाग्य निम्न बिन्दु पर छल | अगिला ढाई दशक मे सेहो इन्द्र भट्टरक वर्मा (528-555) केर शासन काल मे निरंतर कलह आ वंशीय संघर्षक अनुभव भेल | यद्यपि इन्द्र भट्टरक शत्रुतापूर्ण कलिंग अधीनस्थ, इन्द्र वर्मा के सहन नहि क सकलाह आ युद्ध मे अपन प्राण गमा लेलनि | गोदावरी के उत्तर में विष्णुकुन्दन के कलिंग सम्पत्ति गंवा गेलै।
विक्रमेन्द्र वर्मा द्वितीय
[सम्पादन करी]विक्रमेन्द्र वर्मा द्वितीय (५५५-५६९) के राज्याभिषेक के साथ विष्णुकुण्डिन परिवार के भाग्य पुनर्स्थापित हुआ | कलिंग क्षेत्र में तत्काल पहुँच के लेलऽ हुनी अपनऽ राजधानी बेजवाडा स॑ लेन्दुलुरु (पश्चिम गोदावरी जिला केरऽ आधुनिक डेन्दुलुरु) म॑ स्थानांतरित करी देलकै । ओ पल्लव शासक सिंहवर्मन के आक्रमण के प्रतिकार केलनि | ओ एतेक सफल भेलाह जे कलिंग क्षेत्र मे विष्णुकुन्दन लोकनिक भाग्य केँ पुनर्स्थापित कयलनि | हुनकऽ पुत्र गोविन्द वर्मा द्वितीय केरऽ शासन केरऽ अवधि अपेक्षाकृत कम छेलै (५६९-५७३) ।
जनसराय माधव वर्मा चतुर्थ
[सम्पादन करी]विष्णुकुन्दन साम्राज्य अपन सक्षम शासक जनश्रय माधव वर्मा चतुर्थ (573-621) के अधीन पुनः साम्राज्य विस्तार आ सांस्कृतिक समृद्धि के तरफ बढ़ल | ई विवेकी राजा अपन शासनक प्रारंभिक वर्ष वेंगी मे अपन स्थिति केँ मजबूत करबा मे बितेलनि | हुनकऽ शासन केरऽ बाद के भाग युद्ध आरू विलय केरऽ चिन्हित छै । अपन ३७म शासन वर्ष मे गुड्डादिविश्या (पूर्वी गोदावरी जिला मे आधुनिक रामचन्द्रपुरम) मे अपन अधीनस्थ मुखिया दुर्जय पृथ्वी महाराजक विद्रोह केँ दबा देलनि |
विष्णु के देश
[सम्पादन करी]इनका तीन महत्वपूर्ण शहर इन्द्रपालनगर, देन्दुलुरु, और अमरावती है |
प्रशासन
[सम्पादन करी]प्रशासनिक सुविधा के लेल साम्राज्य के अनेक राष्ट्र आ विशय में विभाजित कयल गेल छल | शिलालेख पालकी राष्ट्र, कर्म राष्ट्र, गुड्डाडी विशाय आदि के संदर्भित करै छै।आकृति:Fact
माधव वर्मा तृतीय राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के लिये राजपरिवार के सदस्यों को वायसराय के रूप में नियुक्त किया |
राजा न्याय प्रशासक मे सर्वोच्च अपीलीय अदालत छल । विष्णुकुण्डिन शासक लोकनि विभिन्न अपराधक लेल विभिन्न प्रकारक दण्ड स्थापित कयलनि | ई लोकनि निष्पक्ष निर्णय आ उच्च न्यायक भावनाक लेल जानल जाइत छलाह |
सेना
[सम्पादन करी]हुनका लोकनिक सेना मे पारंपरिक चारि तरहक डिवीजन छलनि : १.
- हाथी
- रथ
- घुड़सवार सेना
- पदाति सेना
हस्तिकोसा हाथी बल के प्रभारी अधिकारी आ विराकोसा स्थल सेना के प्रभारी अधिकारी छलाह | ई अधिकारी लोकनि राजा लोकनिक दिस सँ अनुदान तक जारी करैत छलाह |
कर
[सम्पादन करी]- ↑ com/books?id=MazdaWXQFuQC&q=vishnukundin+founder&pg=PA89 भारतीय इतिहास. आइएसबिएन 9788184245684. https://books.google. com/books?id=MazdaWXQFuQC&q=vishnukundin+founder&pg=PA89.