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असीरगढ़

मैथिली विकिपिडियासँ, एक मुक्त विश्वकोश
असीरगढ़
मध्य प्रदेशक भाग
मध्य प्रदेश, भारत
असीरगढ़ किला
प्रकारकिला
क्षेत्र जानकारी
नियन्त्रितमध्य प्रदेश सरकार
सर्वसाधारणक
लेल खुला
हां
क्षेत्र इतिहास
निर्माणचौदहवीं सदी
निर्माणकर्ताहैहैयवंशक अन्तिम क्षत्रिय राजा आस अहीर द्वारा निर्मित छल
क लेल प्रयोगनहीं
सामग्रीसभबलुआ पत्थर और सूर्खी-चूना

असीरगढ़, (Asirgarh) मध्य प्रदेशक बुरहानपुर जिलामे असीरगढ़क ऐतिहासिक किला बहुत प्रसिद्ध अछि। असीरगढ़ किला बुरहानपुर सँ लगभग २० किलोमीटर दूर उत्तर दिशामे सतपुड़ा पहाडसभक शिखर पर समुद्र सतहसँ २५० फुटक उचाइमे स्थित अछि। ई किला आइयो अपन गौरवशाली अतीतक गुणगाथाक मुक्त गला सँ गबैत अछि। एकर तत्कालीन अजेयता स्वयं सिद्ध होइत अछि। एकर गणना विश्व विख्यात ओ गनल गेल किलासभमे होइत अछि, जे दुर्भेद आ अजेय मानल जाइत छल। इतिहासकारसभ एकरा 'बाब - ए - दक्खन' (दक्षिण द्वार) आ 'कलौद - ए - दक्खन' (दक्षिणक कुंजी) नामसँ उल्लेख करैत अछि, कारण ई किला पर विजय प्राप्त करलाक बाद दक्षिणक द्वार खुलैत छल, आ विजेताक सम्पूर्ण खानदेश क्षेत्रमे अधिपत्य स्थापित भऽ जाइत छल। एहि किलाक स्थापना अहिरा क्षत्रिय द्वारा कखन कएल गेल ई विश्वाससँ नहि कहल जा सकैत अछि। इतिहासकार स्पष्ट आ सही राय रखबाक लेल विवश छथि। किछु इतिहासकारसभ ई किलाके महाभारतके वीर योद्धा गुरु द्रोणाचार्यके पुत्र अश्वत्थामाके अमरत्वके गाथासँ सम्बन्धित करैत हुनकर पूजा स्थली बतबैत अछि। बुरहानपुरक 'गुप्तेश्वर महादेव मंदिर' सँ लग एकटा सुन्दर सुरंग अछि, जे असीरगढ़ धरि लम्बा अछि। कहल जाइत अछि जे अश्वत्थामा पर्वक दिन ताप्ती नदीमे स्नान करबाक लेल अबैत छथि आ 'गुप्तेश्वर'क पूजा कय अपन स्थान पर वापस जाइत छथि।[][]

दुर्गक नामकरण

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किछु इतिहासकार एकरा रामायण कालक कहैत छथि। प्रसिद्ध इतिहासकार 'मोहम्मद कासिम' क अनुसार एकर निर्माण यादव वंशक क्षत्रिय राजा आशा अहीर केने छल। आशा अहीर के पास हजारो गाय छलैन्ह। हुनका सभक सुरक्षाक लेल एहन सुरक्षित स्थानक आवश्यकता छल। कहल जाइत अछि जे ओ एहि स्थान पर पन्द्रहम शताब्दीमे आयल छल आ एहि स्थान पर ईट माटि, चूना आ पाथरक ऊँच दीवार बनौने छल। किलामे प्रवेशक लेल भारी-भरकम द्वारक निर्माण कराओल गेल आ आशा अहीरक नामसँ ई किला असीरगढ़ नामसँ प्रसिद्ध भऽ गेल।

भौगोलिक संरचना

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एहि किला तक पहुँचबाक लेल दूटा रास्ता बनाओल गेल अछि। एकटा रस्ता पूर्व दिशामे अछि, जे एकटा सरल सीढ़ीदार रस्ता अछि, आ दोसर रस्ता उत्तर दिशामे अछि, जे अत्यन्त कठिन आ कष्टप्रद अछि। ई रस्ता वाहनक लेल अछि। वाहनक सुरक्षाक लेल रास्ताक दुनू कात दीवार बनाओल गेल अछि। ई रस्ता एकटा पैघ खाईक लग समाप्त होइत अछि। ओतए एक विशाल फाटक अछि, जे 'मदार द्वार' नामसँ प्रसिद्ध अछि। नीचाँ सँ किलाक ऊंचाई देखिकय साहस होइत अछि, कि एतेक ऊंचाई पर चढ़ब कठिन होयत, मुदा किला केँ देखबाक इच्छा, शरीर केँ स्फूर्ति दैत अछि आ एकटा नव शक्ति आ उत्साह भरैत अछि। जहिना हम सभ ऊपर चढ़ैत छी, तहिना चारू दिसक प्राकृतिक सौन्दर्य हृदय केँ मोहित करैत अछि। ई सुन्दर दृष्यसभ पर चढ़ेवाला व्यक्ति एतेक मग्न भऽ जाइत अछि, जे ओ एहि बातक बोध सेहो नहि करैत अछि, कि ओ कतेक ऊँच पहुँचि गेल अछि। किलाक भटकल रस्ता देखिकय मानव आश्चर्यचकित होइत अछि। आगू बढ़ैत काल किलाक पहिल द्वार देखाइ पड़ैत अछि। एहि द्वार सँ किछु दूर पूर्व दिशि लम्बा-लम्बा घास मे छिपल गंगा - यमुना नामक पानि के दूटा अलग - अलग स्रोत देखाइ दैत अछि, जेकर पानि अत्यन्त स्वच्छ आ मीठा अछि, एहिठाम पानि कतऽ सँ अबैत अछि, केकरो नहि जनैत अछि। पानीमे बनल सीढ़ी साफ-साफ देखाइ दैत अछि, आ आगाँक रास्ता सेहो देखाइ दैत अछि। आगू बढ़लापर डरक अनुभूति होइत अछि। लगैत अछि जे कोनो गुप्त मार्ग एहि किलाक कोनो भागमे पहुँचैत अछि।

वास्तुकला आ प्रसिद्धि

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दरअसल, ई किला मनुष्य द्वारा कएल गेल काजक एक आश्चर्यजनक उपलब्धि अछि, जे स्वयं उदाहरण अछि। असीरगढ़क नीचाँ लगभग एक हजारक जनसंख्या वाला गाम अछि, जे असीरगढ़क नामसँ प्रसिद्ध अछि। सोलहम् शताब्दीमे बडानगर आश्रित छल, आ ई केवल अंगूरक खेतीक लेल प्रसिद्ध छल, जेकर अंगूर १८७० ई. तक दूर-दूर धरि बेचि जाइत छल। मुदा आजुक आँखि एहि अंगूरक कटाई देखबाक लेल तरसैत अछि। ओकर स्थान महुआक काश्त लेलक अछि। गाम असीरगढ़मे सेहो फारूकी कालक छोट मस्जिद अछि। मस्जिदक भीतर दक्षिण दिशि एकटा शिलालेख अछि जाहिपर आयतसभ अंकित अछि। पहिने मस्जिद खंडित भऽ चुकल छल। शहर आ गामक लोक सभ चन्दा जुटा कऽ एकरा फेरसँ बनौलक अछि। एतय सड़कक पश्चिममे थोड़बे दूरी पर शिवक भव्य प्राचीन मन्दिर अछि, जे काली पत्थरसँ बनाओल गेल अछि। मंदिर आजुक दिन सेहो नीक स्थिति मे अछि। ई शिव मन्दिर अति प्राचीन अछि आ दक्षिण भारतीय स्थापत्य कलाक उत्कृष्ट नमूना अछि। कनिष्क सेहो एहि दिस आएल छलैक एकर उल्लेख इतिहासमे भेटैत अछि। एहि मन्दिरक परिसरमे एकटा तालाब अछि। एहि मन्दिरक किछु दूर उत्तर दिशामे विश्राम गृह अछि, जतय सरकारी अधिकारीसभक अलावा मन्त्रीसभ आदि आबि कऽ ठहरैत अछि। विश्रामगृह सँ लगभग ५० कदमक बाद सामनेक पहाड पर एकटा भव्य मकबरा देखाइ दैत अछि। ई मकबरा हज़रत शाह नोमानक अछि। ई फारूकी शासनकालक महान सूफी संत छलाह। मकबरा तक पहुँचबाक लेल एकटा सुन्दर सीढ़ीक मार्ग बनाओल गेल अछि। एहिठाम सँ किछु दूर मोतीमहलक भवन अछि। एकरा मुगल कालीन सेहो कहल जाइत अछि। असीरगढ़ किला पुरातत्व विभागक अधीन अछि। एहि कारण सँ मरम्मत आदि कार्य होइत रहैत अछि। निगरानी आ सफाईक लेल चपरासी नियुक्त कएल गेल अछि। एतय गुप्तेश्वर महादेवक मन्दिर बहुत प्रसिद्ध अछि, कहल जाइत अछि अश्वत्थामा आइयो महादेवक प्रतिदिन पूजा करैत अछि!

असीरगढ़क किला

एहो सभ देखी

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सन्दर्भ सामग्रीसभ

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  1. "इस किले की खुदाई में निकली जेल, यहां 'ब्रह्मास्त्रधारी' करता है पहली शिव पूजा", bhakar.com, मूलसँ १९ दिसंबर २०१६ मे सङ्ग्रहित, अन्तिम पहुँच २०१७-०६-२७ 
  2. "Asirgarh Fort", wikipedia.org, मूलसँ १६ अक्तूबर २०१७ मे सङ्ग्रहित, अन्तिम पहुँच २०१७-०६-२७ 

बाह्य जडीसभ

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