आकृति:मुख्य चित्र/२०१७-०३-१२
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होलीका दहन समाजक समस्त नाकारात्मकताके अन्त कऽ प्रतीक छी। इ नाकारात्मकता पर साकारात्मकताक विजयके सूचक छी। अही दिन गाम घरमे लोगसभ देर राति धरि होलीक गीत गाबैत आर नाचैत अछि।...
फोटोग्राफर/श्रोतः [[१]] , तिथि: २१ मार्च २००८
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