इन्टरनेटक संसारमे मैथिली भाषा

मैथिली विकिपिडियासँ, एक मुक्त विश्वकोश

अन्तरजाल (इन्टरनेट), एक दोसरसँ जुड़ल सङ्गणकक एकटा विशाल विश्व-व्यापी सञ्जाल वा जाल छी। एहिमे बहुतो सङ्गठन, विश्वविद्यालय, आदिक सरकारी आ निजी सङ्गणक जुड़ल अछि। अन्तरजालसँ जुड़ल सङ्गणक एक दोसरासँ इन्टरनेट नियमावलीक माध्यमे सूचनाक आदान-प्रदान करैत अछि। इन्टरनेटक माध्यमे भेटए वला सुविधामे वेबसाइट, ई-मेल सुविधा प्रमुख अछि। एकर अतिरिक्त सिनेमा, गीत-सङ्गीत, खेल आदि सेवाक सुविधा सेहो इन्टरनेटक माध्यमसँ प्राप्त कएल जाइत अछि।

इन्टरनेटक सङ्क्षिप्त इतिहास[सम्पादन करी]

  • सन् १९६९- इन्टरनेट अमेरिकी रक्षा विभागद्वारा युसिएलए आ स्ट्यानफोर्ड अनुसन्धान संस्थानक कम्प्युटरसभ केर नेटवर्किङ कए कऽ इन्टरनेटक संरचना कएल गेल।
  • सन् १९७९- ब्रिटिश डाकघर पहिल अन्तर्रष्ट्रिय कम्प्युटर नेटवर्क बना कऽ नव प्रौद्योगिकी केर उपयोग केनाइ शुरू केलक।
  • सन् १९८०- बिल गेट्स केर आइबिएम कम्पनीक कम्प्युटर पर एकटा माइक्रोसफ्ट अपरेटिङ सिस्टम लगेबाक लेल बातचीत पक्का भेल।
  • सन् १९८४- एप्पल पहिल बेर फाइल आ फोल्डर, ड्रप डाउन मेनू, माउस, ग्राफिक्स आदिक प्रयोगसँ युक्त 'आधुनिक सफल कम्प्युटर' अनावरण केनए छल।
  • सन् १९८९- टिम बेर्नर ली इन्टरनेटपर सञ्चार माध्यम सरल बनेबाक लेल ब्राउजर, पन्ना आ लिङ्क केर उपयोग कए कऽ वर्ल्ड वाइड वेब बनेलक।
  • सन् १९९६- गुगल स्ट्यानफोर्ड विश्वविद्यालयमे एकटा अनुसन्धान परियोजना शुरू केलक जे कि दू साल बादसँ काज करए लागल।

भारतमे इन्टरनेट[सम्पादन करी]

भारतमे इन्टरनेट सन् ८० कऽ दशकमे आएल, जखन एर्नेटकेँ सरकार, इलेक्ट्रानिक्स विभाग आ संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रमद्वारा प्रोत्साहन भेटल। सामान्य उपयोग लेल सन् १९९५ अगस्त १५ सँ इन्टरनेट शुरू भेल जखन कि विदेश सञ्चार निगम लिमिटेडद्वारा गेटवे सर्विस शुरू भेल। वर्तमान भारतमे आब अधिकांश काज जेना बैङ्किङ्ग, ट्रेन इन्फर्मेसन-रिजर्वेसन आदि इन्टरनेटद्वारा भऽ रहल अछि। इन्टरनेट आ मात्र शहरी नै गामोक लोक प्रयोग कऽ रहल छथि जे भविष्यक लेल नीक अछि।

नेपालमे इन्टरनेट[सम्पादन करी]

मैथिलीमे इन्टरनेट[सम्पादन करी]

भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल आ अखनो ५ जुलाइ २००४ सँhttp://www.videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html लिंकपर अछि, मैथिलीक पहिल इन्टरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ" विदेह (पत्रिका) " पड़लै। आ ई गजेन्द्र ठाकुर द्वारा शुरू कएल गेल छल। पल्लवमिथिला (धीरेन्द्र प्रेमर्षि) २०५९ माघे संक्रान्ति- २००३ जनवरी मैथिलीक दोसर इन्टरनेट पत्रिका अछि जे ऐ लिंक www.pallavmithila.mainpage.net पर छल मुदा आब ई उपलब्ध नै अछि। एकर बादसँ मैथिलीमे "कतेक रास बात" नामक नीक ई-पत्रिका आएल। आ तकर बादसँ ई-पत्रिका, ब्लाग आदिक भरमार भऽ गेल जे की संख्यात्मक आ गुणात्मक दूनू रूपें मैथिलीक उन्नतिमे सहयोगी भेल। एहिठाम ई मोन राखब जरूरी जे मैथिलीक पहिल इन्टरनेटक उपस्थिति बला पत्रिका कोन अछि ताहि संबंधमे अनको तथ्यहीन विवाद ठाढ़ कएल अछि। कियो कहै छथि जे हम १९९९सँ इन्टरनेटपर पत्रिका शुरू केने रही तँ कियो कहै छथि हम २००० सालसँ शुरू केने रही मुदा ई सभ कोनो लिंक नै दऽ सकल छथि। ई कहै छथि जे ओ लिंक सभ हटि गेल। जँ एहने बात तखन तँ कियो दाबी कऽ सकैए जे फल्लाँ सालसँ इन्टरनेटपर पत्रिका शुरू केने रही। एहि विवादक अंतर्गत "भालसरिक गाछ" केर लिंक महत्वपूर्ण अछि आ एखनो उपस्थित अछि तँइ ई निश्चित रूपेण कहल जा सकैए जे "भालसरिक गाछ" इन्टरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थिति अछि। आ एहि तरहें इन्टरनेटक संसारमे मैथिलीकेँ स्थापित करबामे भालसरिक गाछ नामक ब्लाग केर महत्वपूर्ण स्थान अछि।

फेसबुक आ मैथिली[सम्पादन करी]

2004 मे फेसबुक केर शुरूआत भेल आ लगभग 2007सँ फेसबुकपर मैथिली आएल (आएल मने साहित्यक रूपमे)। कहबाक मतलब जे लगभग 2007सँ मैथिल सभ खुलि कऽ बिना कोनो संकोचकेँ फेसबुकपर मैथिली भाषाक प्रयोग शुरू केलाह। सभ चीजक दुरूपयोग होइ छै आ फेसबुकक सेहो भेलै। तथापि ओइ दुरूपयोगक अलावे मैथिलीक संदर्भमे बहुत रास उपयोगी बात भेलै फेसबुकपर। निच्चा किछु एहन तथ्य देल जा रहल अछि जाहिसँ मैथिलीक संदर्भमे फेसबुकक उपयोगिता साबित हएत---

1) मैथिली भाषाक लिखित प्रयोग--- फेसबुकपर मैथिली लिखनाइ एकटा स्टेटस सिंबल बनि गेल आ शिक्षित-अशिक्षित, नेता-जनता, स्त्री-पुरुष सभ गोटा बिना कोनो वर्तनीकेँ वा कोनो गलतीकेँ चिन्ता केने मैथिली लिखला जाहिसँ मैथिली लिखए बला संख्या बढ़ल आ ई मैथिलीक भविष्य बहुत नीक रहत। ओना ईहो ज्ञातव्य जे मैथिली वर्तनी ओ मानकता लेल सेहो हुनका सभकेँ समय-समय सुझाव देल गेलनि आ ओ सभ पालन सेहो केलाह। फेसबुकक माध्यमसँ विदेह (पत्रिका) मैथिलीक वर्तनी ओ मानकता लेल नीक प्रयास केने अछि आ तही कारणसँ कमसँ कम इन्टरनेटपर सुदूर नेपालसँ लए कऽ दरंभगाक मैथिली एकसमान भेल अछि (ईहो धातव्य जे किछु जबरदस्ती बला मानकता बला विद्वान सभ एखनो कृत्रिम मैथिलीकेँ पकड़ने छथि)।

2) मैथिलीमे स्त्री लेखिकाक संख्या-- मैथिली लेल ई बहुत नीक जे फेसबुक मैथिली स्त्री लेल ओहन साधन बनि गेल जिनकर बोलकेँ बहुत रास कुच्रकमे फँसा कऽ राखि देने छल ई समाज। आजुक स्त्री कोनो बातक परबाह केने बिना अपन भावनाकेँ फेसबुकपर परसि रहल छथि। आ तइसँ मैथिलीमे नव-नव अध्याय-अनुभव जुड़ि रहल अछि।

3) मैथिली दलित साहित्य केर प्रचारक-- फेसबुकक माध्यमे भारत-नेपाल मिला कऽ जतेक मैथिलीक दलित लेखक, विचारक एलाह ततेक मात्र सिद्ध सरहपादे कालमे छल मने मैथिलीक एकदम शुरूआती समयमे। लगभग हजार सालसँ मैथिलीक समाजिक ताना-बानाकेँ जे तोड़ने छल तकरा फेसबुक तोड़ि देलक आ सही अर्थमे "मैथिल समाज" केर निर्माणमे सहयोग देलक।

मैथिलीक किछु विशिष्ट ई-पत्र-पत्रिका[सम्पादन करी]

1) भालसरिक गाछ

2) विदेह (पत्रिका)

3) पल्लवमिथिला (धीरेन्द्र प्रेमर्षि)

4) कतेक रास बात

5) हेलो मिथिला (हितेन्द्र गुप्ताजी द्वारा संपादित)

6) अनचिन्हार आखर

7) हेलो मिथिला (धीरेन्द्र प्रेमर्षि द्वारा संपादित)

8) मिथिला मिरर

9) मिथिला प्राइम

10) नव मिथिला

11) ई समाद

12) मैथिल आर मिथिला (आब मिथिला दैनिक)

13) प्रकारांतर

14) समदिया

15) मिथिला टोल,

16) मैथिली फिल्म्स

मैथिलीक लोकप्रिय उपन्यासकार (आब स्वर्गीय) साकेतानंदजी सेहो इन्टरनेटपर अपन दमदार उपस्थिति देखौने रहथि आ उम्रकेँ पाछू छोड़ैत अपन अंतिम समय धरि "साकेतानंद" नामसँ ब्लाग चलबैत रहलाह।

उपरमे देल गेल नाम सभ मैथिली इन्टरनेट पत्रिकारिता / वेब पत्रिकारिताक खाम्ह अछि जे कि विभिन्न विधामे काज कऽ अपन नाम दर्ज करेलक। एकर अतिरिक्त अनेकों नाम एहन अछि जे की वर्तमानमे नीक काज कऽ रहल अछि जेना नेपालसँ मैथिली जिंदाबाद डाट कम, भारतसँ मिथिला हाट डाट कम आदि। अनेकों नाम एहन अछि जे कि मात्र फेसबुकसँ समाचार काँपी-पेस्ट कऽ अपनाकेँ न्यूज पोर्टल मानि लेने छथि। अनकों नाम एहन अछि जे कि मात्र एक दू पोस्ट देलाक बाद बंद भऽ गेल। सभहँक नाम एहि ठाम लेब संभव नहि आ तँइ विस्तृत जानकारी लेल विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण देखल जाए। अनेक सीमाक बाबजूदो हमरा ई कहबामे कोनो संकोच नै जे इन्टरनेटक सभ ब्लाग-वेबसाइट मैथिली-हितमे काज केलक आ प्रिंटक सीमाकेँ तोड़ि मैथिलीकेँ एक नव बाटपर चलेलक।

सन्दर्भ[सम्पादन करी]


बाह्य जड़ीसभ[सम्पादन करी]