ओसक बुन्न

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ओसक बुन्न  
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लेखक त्रिपुरारि
देश भारत
भाषा मैथिली
प्रकार कविता
प्रकाशक साहित्य अकादेमी
प्रकाशन तिथि 2021
पृष्ठ 122

ओसक बुन्न साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित, त्रिपुरारिक पहिल कविता-संग्रह अछि।[१][२] अहि संग्रह में कुल नब्बे टा कविता संग्रहित अछि, जे कविकेँ खिज्जा मोनक माटिमे उपजल आ पाकल विचार अछि। कवितामे कल्पना आ अनुभूति दुनू नेकसं घुसियायल अछि। नेनपन आ किशोरावस्था के अनुभव, गामक आ शहरक जीवनक संघर्ष, राजनीतिक उठा-पटकक अनुभूति, संबंधक डोरकें बुझयकें प्रयास सेहो करल गेल अछि। हिनकर कवितामे प्रेमक उदगार संग प्रेमक स्मृतिक दुख ते अछिये, निज अस्तित्वकेँ जानैक लालसा सेहो देखाह पड़त। कोनो कविताक स्वर आत्म स्वर जेकाँ लागैत ते कोनो कविता अचंभित सेहो करबामे सक्षम बुझाबैत अछि। स्वप्नक परत केर भेदैत शब्दक माध्यम सँ अनुभवक अनदेखल रंग आ सुगंधि केर महसूस कराबैक क्षमता त्रिपुरारिक कविताक उपादेयता अछि।

प्रोफ़ेसर प्रेम मोहन मिश्र के अनुसार, "कवि त्रिपुरारि अपन पहिल काव्य संग्रह मे अपन प्रतिभाक सशक्त संदेश प्रस्तुत केने छथि। ओ सामाजिक, राजनैतिक पारिवारिक, धार्मिक, पर्यावरणीय सब तरहक सरोकार पर अपन कलम चलौने छथि। हिनकर भाषा सरल, आम आदमीक द्वारा प्रयुक्त शब्दके अधिकतम प्रयोग भेल अछि। अहि कविता सब मे कविक कल्पना, मानव जीवनक सत्य, संघर्षक वर्णन करैत अछि। आधुनिक कविता के रास्ता पर चलि अधिकांश कविता रस छंद आ आलोचनाक अपना केँ फराक रखने अछि। मुदा भाव आ बिम्ब निर्माणक अद्भुत कलाक प्रदर्शन दृष्टिगोचर होइत अछि। ओना हम अहि संग्रहक सबटा कविता मे निर्दयतापूर्वक शब्दक काट-छाँट केलहुँ अछि। मुदा से युवा कवितक प्रतिभा केँ आर बेशी चमकेबाक हेतु मन मे राखि कएल अछि।"

संदर्भ[सम्पादन करी]

  1. "साहित्य अकादेमी ने प्रकाशित किया त्रिपुरारि का पहला कविता-संग्रह"Patna Now। 23 October 2021।
  2. "रोसड़ा के लाल त्रिपुरारि ने मैथिली में कविता संग्रह 'ओसक बुन्न'"हिन्दुस्तान। 23 October 2021।