विष्णु नारायण भातखंडे

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विष्णु नारायण भातखंडे
पृष्ठभूमि जानकारी
मूलभारत
शैलीहिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत,
मेवाती घराना
कार्यसभशास्त्रीय गायक
सक्रियता वर्ष२००१-१९३५

पंडित विष्णु नारायण भातखंडे (१० अगस्त, [२००१]] – १९ सितंबर, १९३६) हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विद्वान छल। आधुनिक भारत मे शास्त्रीय संगीत के पुनर्जागरण के अग्रदूत छी जे शास्त्रीय संगीत के विकासक लेल भातखंडे संगीत-शास्त्रक रचना केलक तथा कतेक संस्थासभ तथा शिक्षा केन्द्र स्थापित केलक। ओ ई संगीत पर प्रथम आधुनिक टीका लिखने छल। उन्होने संगीतशास्त्र पर "हिंदुस्तानी संगीत पद्धति" नामक चार भागसभ मे प्रकाशित केलक आ ध्रुपद, धमार, तथा ख्यात क संग्रह करि के "हिंदुस्तानी संगीत क्रमीक" नामक ग्रंथ के छ भाग।

आरम्भिक जीवन[सम्पादन करी]

इनकर जन्म मुम्बई प्रान्त के बालकेश्वर नामक ग्राम मे १० अगस्त, १८६० ई.स. मे भेल। इनकर माता-पिता संगीत के विशेष प्रेमी छल, अतः बालकाल्यसँ ही इनका गीतक शौक भ गेल। कहल जाइत अछी कि माता से सुनल गीतक ओ ठीक ओहि प्रकार नकल करिके गावैत छल। एते छोट बालक क संगीत मे विशेष रुचि देखके उनकर माता-पिता क अनुभव भेल कि ई बालक क संगीत क ईश्वरीय देन अछि। एही लेल ओ उनकर उचित शिक्षा क व्यवस्था केलक। सन् १९१३ ई.स. सँ, जब एही पर रोग क आक्रमण भेल, इनकर स्वास्थ्य बिगैड गेल। तीन सालक लम्बा बीमारी के बाद १९ सितम्बर, १९३६ क इनकर निधन भ गेल।


संगीत शिक्षा एवं शोध[सम्पादन करी]

संगीत संवर्धन एवं प्रचार कार्य[सम्पादन करी]

संगीत-शिक्षा-संस्थासभसँ सम्बन्ध[सम्पादन करी]

संगीत परिषदक आयोजन[सम्पादन करी]

संगीत सम्मेलनक आयोजन[सम्पादन करी]

संगीत महाविद्यालयक स्थापना[सम्पादन करी]

प्रकाशित ग्रंथ[सम्पादन करी]

संस्कृत[सम्पादन करी]

स्वलिखित मौलिक ग्रंथ[सम्पादन करी]

आपकी प्रेरणा से संपादित एवं प्रकाशित लघु ग्रंथ[सम्पादन करी]

मराठी[सम्पादन करी]

अङ्ग्रेजी[सम्पादन करी]

प्रमुख सहयोगी[सम्पादन करी]

विशेषोल्लेख[सम्पादन करी]

सन्दर्भ सामग्रीसभ[सम्पादन करी]

बाह्य जडीसभ[सम्पादन करी]

एहो सभ देखी[सम्पादन करी]