अङ्गूरबाबा जोशी
अङ्गूरबाबा जोशी Angur Baba Joshi | |
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जन्म | |
नागरिकता | नेपाली |
व्यवसाय | शिक्षा, समाजसेवी |
जीवनसाथी(सभ) | बलराम जोशी |
अङ्गूरबाबा जोशी नेपालक पहिल क्याम्पस प्रमुख आ महिला समाजसेवी छी। नेपालक शिक्षा जगत आ समाजसेवामे हिनकर बहुत पैग योगदान रहैत आबि रहल अछि।
शुरूवाती जीवन
[सम्पादन करी]अङ्गूरबाबा जोशीकें जन्म काठमाडौंकें डिल्लीबजारमे सन् १९३२ अगस्त १५ कें दिन भेल छल। हिनकर पिताक नाम पिताम्बर प्रसाद पन्त आ माताकें नाम दीप कुमारी पन्त छी। हिनकर विवाह पहिनुक पौराणिक रितिरिवाज अनुसार बालबिआह भेल छल। मात्र एगारह बर्षक कम उमरमे ओ बलराम जोशी सँ वैवाहिक बन्धनमे बाँधि गेल छल। जहि कारण हिनका विद्यालयक औपचारिक शिक्षा ग्रहण करबाक समय नै मिलल छल।[१] हिनकर परिवारमे सासूकें बिशेष सहुलियतक कारण ओ स्वअध्ययनक सौभाग्य प्राप्त केलक आ ओकर परिणाम स्वरुप हिनका ई सफलता प्राप्त भेल अछि।
शिक्षा आ सङ्घर्ष
[सम्पादन करी]विद्यालयकें औपचारिक शिक्षा प्राप्त करवाक मौका हिनका प्राप्त नै भेल मुदा अपन पति आ ससूकें विशेष सहयोग प्राप्त करि ओ सन् १९४८ मे पति-पत्नी दुनू सङ्गे प्रवेशिका परीक्षा देनए छल ओहिमे पति बोर्डमे आएल आ अङ्गूरबाबा दोसर श्रेणी सँ उत्तीर्ण भेल। प्रवेशिका परिक्षा दैत समय हुनका सहित मात्र ३ गोटे आओर महिला सहभागी छल।[२]
विज्ञान विषयमे प्रविणता पढ़वाक सोच सहित पति-पत्नी दुनू गोटे काठमाडौंकें त्रिचन्द्र कलेज गेल मुदा हिनकर फर्म क्याम्पस नई बुझलक। ओ क्याम्पस प्रशासन सँ बहुत अनुनय विनय केलक मुदा हिनकर फर्म नई बुझलक। ओ प्राइभेट शिक्षा प्रणालीकें माध्यमसँ अध्ययन करि सरस्वती सदन सँ प्रविणता प्रमाण पत्र परीक्षा देलक आ सफलतापूर्वक प्रविणता प्रमाण पत्र तह उत्तीर्ण केलक। अपन शिक्षाकें निरन्तरता दैत याह उद्देश्य सँ पतिकें सँग बनारस चलि गेल आओर राजनीति शास्त्र आ संस्कृत बिषयमे स्नातक तहमे प्रवेश लेनए छल। एहि ठाम सँ ओ अपन पढ़ाई पुरा कएलाक वाद ओ पदमकन्या कलेजमे अध्यापन केनाए शुरु केनए छल। हिनका एहि बिचमे ब्रिटिस सरकारद्वारा कोलम्बो प्लान अन्तर्गतकें छात्रवृति प्रदान कएल गेल आ छात्रवृति पाबि ओ आ हुनकर पति बेलायतक अक्सफोर्ड विश्वविद्यालय अन्तर्गत समर्भिल कलेजमे अध्ययन शुरु केलक आ एहि ठाम सँ ओ चारि बर्षमे ओ अपन अध्ययन पुरा केनए छल।[३]
शिक्षा जगतमे योगदान
[सम्पादन करी]बेलायत सँ अध्ययन पुरा करि नेपाल अएलाक बाद ओ त्रिचन्द्र कलेजक क्याम्पस प्रमुख बनल छल।
समाज सेवा
[सम्पादन करी]पुरस्कार आ सम्मान
[सम्पादन करी]- जगदम्बा पुरस्कार, बि. सं. २०७१
- गोरखा दक्षिणबाहु, दोसर
- त्रिशक्ति पट्ट, तृतीय
- महेन्द्र बिद्या भुषण, प्रथम्
कृतिसभ
[सम्पादन करी]- 'क्यान्सर : बरदान'
- ‘वृद्धा अवस्था : जीवनको श्रीपेच’
- ‘दीक्षा’
सन्दर्भ सामग्रीसभ
[सम्पादन करी]- ↑ Subba, Abhilasha (April 4, 2008)। "Selfless Life"। The Himalayan Times। Kathmandu। अन्तिम पहुँच February 15, 2018।
- ↑ "अंगुरबाबा जोशी : समाजसुधार आन्दोलनको दियो"। mahilakhabar। 2015-11-15। मूलसँ 2019-03-21 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2019-03-21।
- ↑ "कीर्तिमानी अंगुरबाबा"। कीर्तिमानी अंगुरबाबा (अंगरेजीमे)। अन्तिम पहुँच 2019-03-21।