कालिदास
कालिदास | |
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जन्म | चारिम शताब्दी |
मृत्यु | पाँचम शताब्दी गुप्त साम्राज्य, अनुमानित उज्जैन अथवा श्रीलंकामा |
पेशा | कवि आर नाटककार |
राष्ट्रियता | भारतीय |
नस्ल | भारतीय |
शैली | संस्कृत नाटक, शास्त्रीय साहित्य |
विषय | महाकाव्य, हिन्दू पुराण |
उल्लेखनीय कामसभ | अभिज्ञान शाकुन्तलम्, रघुवंशम्, मेघदूतम्, विक्रमोर्वशीयम्, कुमारसंभवम् |
जीवनसाथी | पौराणिक कथा अनुसार हुन्कर विवाह एक राजकुमारी सँग भेल छल जिनकर नाम विद्योतमा छल । |
कालिदास ("कालीक दास" संस्कृत: कालिदास) संस्कृत भाषाक सबसँ महान् कवि आ नाटककार छल । कालिदासक शाब्दिक अर्थ "कालीक सेवक" कहैक बुझल जाईत अछि । कालिदास शिवक सेहो भक्त छल। हुन्कर पौराणिक कथासभ आ दर्शनक आधार मानि रचनासभ लिखने छल । कलिदास अपन अलंकार युक्त सुन्दर, सरल आ मधुर भाषाक लेल विशेष रूपसँ जानल जाईत अछि । हुन्कर ऋतु वर्णन अद्वितीय मानल जाईत अछि । हुन्कर उपमाहसभ अनुपम अछि । संगीत उन्कर साहित्यक प्रमुख अङ्ग छी आ रसक सृजन करऽम हुन्कर कोनो उपमा नै अछि। ओ अपन शृंगार रस प्रधान साहित्यम सेहो साहित्यिक सौन्दर्यक साथ साथ आदर्शवादी परम्परा आ नैतिक मूल्यसभक समुचित ध्यान राखन अछि । हुन्कर नाम अमर अछि आ हुन्कर स्थान वाल्मीकि आ व्यासक परम्पराम अछि । हुनका द्वावारा लिखल कविता तथा नाटकसभ कहिया लिखल गेल यकिन नहियो भेलाप् पाँचम शताब्दीम लिखल गेल अनुमान केल गेल अछि ।[१]
सन्दर्भ सामग्रीसभ
[सम्पादन करी]बाह्य जडीसभ
[सम्पादन करी]विकिमिडिया कमन्समे कालिदाससँ सम्बन्धित मिडिया अछि। |