गिरमिटिया

मैथिली विकिपिडियासँ, एक मुक्त विश्वकोश

गिरमिटिया दासता एकटा एहन श्रम छै जइ मे कोनों व्यक्ति कें एकटा विशिष्ट संख्या मे सालक कें लेल बिना वेतन कें काज करय कें ठेका देल जायत छै. अनुबंध, जेकरा "गिरमिटिया" कहल जायत छै, कथित अंतिम मुआवजा या ऋण चुकौती कें लेल "स्वैच्छिक रूप सं" दर्ज कैल जा सकय छै, या एकरा न्यायिक दंड कें रूप मे "अनैच्छिक रूप सं" लगायल जा सकय छै। गिरमिटियाकेँ जहाजीक नामसँ सेहो जानल जाइत अछि।

जहाज से निकलते ब्रिटिश भारतीय आप्रवासी

गिरमिट शब्द अंग्रेजीक 'एग्रीमेंट' शब्दक अपभ्रंश बताओल जाइत अछि।[१] मजदूर आ मालिक सभ 'गिरमिट' नाम सँ एहि कागज पर अपन अंगुठेक छाप लगबैत छल, जाहि पर हर साल हजारो मजदूरकेँ दक्षिण अफ्रीका वा अन्य देशसभमे पठाओल जाइत छल। एहि दस्तावेजक आधार पर श्रमिकसभ गिरमिटिया कहल जाइत छल। हर साल १० सँ १५ हजार मजदूर गिरमिटिया बना कऽ फिजी, ब्रिटिश गुयाना, डच गुयाना, त्रिनिदाद आ टोबैगो, नेटल (दक्षिण अफ्रीका) आदि देशमे लऽ जाएत छल। ई सभ सरकारी नियमक अन्तर्गत छल। एहि तरहक व्यापार कएनिहार कें सरकारी संरक्षण प्राप्त छल। ऐतिहासिक रूप सं एकर उपयोग अप्रेंटिसशिप कें भुगतान कें लेल कैल जायत छै, आमतौर पर जखन कोनों प्रशिक्षु कोनों ट्रेड सीखय कें लेल एकटा मास्टर ट्रेडमैन कें लेल मुफ्त मे काज करय कें लेल सहमत भ जायत छै (आधुनिक इंटर्नशिप कें समान मुदा एकटा निश्चित समय कें लेल, आमतौर पर सात साल या ओय सं कम)। बाद में एकरऽ उपयोग एक तरीका के रूप में भी करलऽ गेलै कि कोय व्यक्ति अमेरिका केरऽ उपनिवेशऽ में पहुँचै के खर्चा चुकाबै।

इतिहास[सम्पादन करी]

गिरमिटिया प्रथा अंग्रेजसभद्वारा सन् १८३४ सँ आरम्भ भेल आ सन् १९१७ मे एकरा निषेध घोषित कएल गेल। अधिकांश गिरमिटिया उत्तर प्रदेशक लखनऊ, लखीमपुर, बहराइच, फैजाबाद, गोंडा, जौनपुर, प्रतापगढ़, बाराबंकीगोरखपुरक निवासी छल। हाल ही म॑ २३ अगस्त क॑ दास व्यापार आरू ओकरऽ उन्मूलन केरऽ स्मरण लेली अंतर्राष्ट्रीय दिवस के आयोजन (International Day for the Remembrance of the Slave Trade and its Abolition) करलऽ गेलऽ छेलै। ज्ञात अछि जे वर्ष १९९८ मे यूनेस्को २३ अगस्त कए एहि दिन क रूप मे मनाबय क घोषणा केने छल। [२]

गिरमिटि सभक दुर्दशा[सम्पादन करी]

दास केँ पैसा दऽ कऽ सेहो गुलामी सँ मुक्त नहि कयल जा सकैत छल, मुदा गिरमिटियाक संग मात्र एतबे बाध्यता छल जे ओ पाँच वर्षक बाद मुक्त भ सकैत छल। गिरमिटियाकेँ छूट तँ भेटतनि मुदा हुनका लग भारत वापस जाए लेल पैसा नहि छलनि।[३] हुनका सभ लग अपन मालिकक सेवा करैक अथवा दोसर मालिकक गुलाम बनबाक विकल्प नहि छलनि। ओहो बेचल जाइत छल। काम नहि करबा पर, चोरी करबा पर, प्रताड़ित कयल जा सकैत छल। सामान्यतः गिरमिटिया चाहे ओ महिला हो या पुरुष ओ विवाह करबालेल स्वतन्त्र नहि छल। गिरमिटिया विवाह करैत छल, तखनो ओकरा पर दासताक नियम लागू होइत छल। जेना स्त्री बेचल जा सकैत छल आ बच्चा बेचल जा सकैत छल। गिरमिटिया (पुरुष) क संग चालीस प्रतिशत महिला सभ जाइत छल, युवा महिला सभ केँ मालिक द्वारा नौकरानी बना कऽ रखल जाइत छल आ हुनका सभक भरपूर यौन शोषण कएल जाइत छल। आकर्षण समाप्त भेला पर ई महिलासभ मजदुरसभके सौंपल जाइत छल। गिरमिटियाक सन्तान मालिकक सम्पत्ति छल। मालिक चाहय तँ बच्चा सभसँ पैघ भेला पर अपन लगमे काज करए या दोसरकेँ बेचए। गिरमिटिसभके केवल जीवित रहबाक लेल आवश्यक भोजन, वस्त्र देल जाइत छल। हुनका सभकेँ शिक्षा, मनोरञ्जन आदि मूलभूत आवश्यकतासँ वंचित राखल जाइत छल। ई सभ दिन १२ सँ १८ घण्टा धरि कम्मर फाड़ि क कड़ा मेहनत करैत छल। हर साल सैकड़ो मजदूर अमानवीय परिस्थिति मे काज करैत काल अकाल मृत्यु भ' जाइत छल। मालिकक अत्याचारक कोनो सुनबामे नहि आएल।

ओहि समयमे संसारमे चीनीक उपज बहुत कम छल। एहि लेल ओ एहन देशक पहचान केलक जतय श्रमिक मेहनति कऽ गन्ना उपजा सकैत छल। एहि काजक लेल ओ अपन अनुभव सँ देखलनि जे बिहार, उत्तर प्रदेशकनेपालक मजदूर ई काज बखूबी कऽ सकैत अछि। ओ सभ बिहार आ उत्तर प्रदेशक मजदूर सभ केँ दलालक माध्यम सँ ई लोभ दऽ कऽ विभिन्न देशसभमे गन्नाक खेती करबाक लेल लऽ गेल। मजदूर सभ केँ कहल गेल छल जे कलकत्ता बंदरगाह सँ एकदम नजदीक एकटा द्वीप अछि जतय सोनक खान अछि। यदि ई मजदूर ओतऽ काज करत तँ किछु वर्षक भीतर ओ बहुत धन कमा कऽ भारत अपन गाम लौटत।

वर्तमानमे भारत मूलक गिरमिटिया[सम्पादन करी]

मॉरीशस, आयरलैंडपुर्तगाल के वर्तमान प्रधानमंत्री भारतीय मूल के छैथ। फिजी, ब्रिटिश, गुयाना आ जमैका के सरकार के मुखिया सेहो भारतीय मूल के छैथ। आइ धरि कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन आओर तीनटा आओर कैबिनेट मंत्री सेहो भारतीय मूल के छथिन्ह. पहिल बेर २०१७ के ब्रिटिश आम चुनाव मे भारतीय मूल के १२ सांसद चुनल गेल छथिन्ह. एहि देश मे बसल भारतीय मूलक लोकक संतान आइ बहुत सुखी आ समृद्ध अछि। अपन भाषा, अपन भोजन आ सभ्यता नहि छोड़लनि आ आइयो भारत सँ हुनकर लगाव पहिने जकाँ अटूट अछि।

त्रिनिदाद आ टोबैगो में नये आये गिरमिटिया भारतीय मजदूर।

एहो सभ देखी[सम्पादन करी]

सन्दर्भ सामग्रीसभ[सम्पादन करी]

  1. "स्कूलों में पढ़ाया जाए 'गिरमिटिया' का संघर्ष"Amar Ujala (हिन्दीमे)। 6 January 2016। अन्तिम पहुँच 9 November 2023
  2. "International Day for the Remembrance of the Slave Trade and its Abolition"UNESCO। 31 January 2023। अन्तिम पहुँच 9 November 2023
  3. "The Hindu हिंदी में: तमिल 'गिरमिटिया मजदूरों' के 200 साल पूरे होने पर की जाने वाली एक जरूरी बात, पढ़िए 9 नवंबर का एडिटोरियल"Dainik Bhaskar (हिन्दीमे)। 9 November 2023। मूलसँ 9 November 2023 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 9 November 2023

बाह्य जडीसभ[सम्पादन करी]