चतुरङ्ग
![]() |
a | b | c | d | e | f | g | h | ![]() |
8 | ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
8 |
7 | ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
7 |
6 | ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
6 |
5 | ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
5 |
4 | ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
4 |
3 | ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
3 |
2 | ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
2 |
1 | ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
1 |
![]() |
a | b | c | d | e | f | g | h | ![]() |
चतुरङ्ग भारतक प्राचीन खेल छी । एकरा शतरञ्ज, शोगी आ मकरक आदि खेलसभक 'पूर्वज' मानल जाइत अछि । चतुरङ्गक उत्पत्ति स्थानक विषयमे लोकसभक भिन्न भिन्न मत अछि । कियो एकरा चीन देशसँ आरम्भ भेल मानैत अछि तँ कियो इजिप्टसँ आओर कियो युनानसँ उत्पति भेल मानैत अछि मुदा अधिकांश लोकसभक ई मत अछि की ई खेल भारत वर्षसँ उत्पति भेल बतबैत अछि जे ठिको अछि । भारतसँ ई खेल फारसमे गेल ओकर बाद फारससँ अरबमे आ अरबसँ युरोपेली देशसभमे जा पहुँचल । फारसी भाषामे एकरा चतरङ्ग कहल जाइत अछि मुदा अरबक लोकसभ एकरा शातरञ्ज, शतरञ्ज आदि कह लागल । फारसमे एहन प्रवाद अछि की ई खेल नौशेरवाक समयमे हिन्दुस्तानसँ फारसमे गेल आ एकरा दहिरक बेटा कियो सस्सा नामक छल जे एकरा खोजी केलक । ई दुनू नाम कोनो भारतीय नामक अपभ्रंश छी । एकरा खोजी करवाक कारण फारसी पुस्तकसभमे ई लिखल अछि की भारतक कियो युद्धप्रिय राजा, जे नौशोरवाक समकालीन छल, कोनो रोगसँ अशक्त भऽ गेल । ओकरे मन बहलावैक लेल सस्सा नामक एक व्यक्ति चतुरङ्ग खेलक विकास केलक । ई प्रवाद ई भारतीय प्रवादसँ मिलैत जुलैत अछि की ई खेल मन्दोदरी अपन पतिकें बहुत युद्धसक्त देख विकास केनए छल । एहिमे तँ कोनो सन्देह नै अछि की भारत वर्षमे ई खेलकें प्रचार नौशेरवा सँ बहुत पहिने सँ छल ।
वर्णन[सम्पादन करी]
चतुरङ्ग पर संस्कृतमे अनेक ग्रन्थ अछि, जाहिमे सँ चतुरङ्गकेरली, चतुरङ्गक्रीड़न, चतुरङ्गप्रकाश आ चतुरङ्गविनोद नामक चार ग्रन्थ मिलैत अछि । प्रायः सात सौ वर्ष भेल त्रिभङ्गाचार्य नामक एक दक्षिणी विद्वान् ई विद्यामे बहुत निपुण छल । ओकर अनेक उपदेश ई क्रीड़ाक सम्बन्धमे अछि । ई खेलमे चारि रङ्गसभक व्यवहार होइत छल — हाथी, घोड़ा, नौका आ बट्टा (पैदल)। छठम् शताब्दीमे जब ई खेल फारसमे पहुँचल आ ओतय सँ अरब गेल, तब ओहिमे ऊँट आ वजीर आदि बढ़ायल गेल आ खेलैक क्रियामे सेहो फेरफार भेल ।
तिथितत्व नामक ग्रन्थमे वेदव्यासद्वारा युधिष्ठिरकें ई खेलक विवरण बतेने छल ।[२]
खेल[सम्पादन करी]
चारि लोक ई खेल खेल सकैत अछि । एकर चित्रपट (बिसात) ६४ घरक होइत अछि जकर चारो दिस खेलाड़ी बैसकी लगबैत अछि । पूर्व आ पश्चिममे बैठनिहार एक दलमे आ उत्तर दक्षिण बैठनिहार दोसर दलमे होइत अछि । प्रत्येक खेलाड़ी लग एक राजा, एक हाथी, एक घोड़ा, एक नाव आ चारि टा बट्टा वा पैदल होइत अछि ।
सन्दर्भ सामग्रीसभ[सम्पादन करी]
- ↑ "The History Of Chess", ChessZone, अन्तिम पहुँच २९ मार्च २०११।
- ↑ "Ashtapada", Jean-Louis Cazaux, २००५-०७-२५, अन्तिम पहुँच २०१३-०७-१६।