भोजपुर, मध्य प्रदेश (भारत)
भोजपुर
Bhojpur | |
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देश | भारत |
ज़िला | रायसेन जिला |
जनसङ्ख्या (२०११) | |
• कुल | १,१५८ |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय क्षेत्र | युटिसी+5:30 (भारतीय मानक समय) |
भोजपुर (Bhojpur) भारतक मध्य प्रदेश राज्यमे स्थित ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूपसँ महत्वपूर्ण स्थान छी | ई वेतरावती नदी (बेतवा नदी) के तट पर स्थित अछि |[१]
विवरण
[सम्पादन करी]भोजपुर, विदिशा सँ ४५ मील दूर वेत्रवती नदीक किनार पर बसल अछि। प्राचीन कालक ई नगर "उत्तर भारतक सोमनाथ" कहल जाइत अछि। गाम सँ सटल पहाड़ी पर एक विशाल शिव मन्दिर अछि। ई नगर आ एकर शिवलिंगक स्थापना धारक प्रसिद्ध परमार राजा परमार भोज रक्षकभोज (१०१० ई. - १०५३ ई.) द्वारा कएल गेल छल। छल। एहि लेल एकरा भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मन्दिर सेहो कहल जाइत अछि।
विशाल मंदिर
[सम्पादन करी]गाम स सटल पहाड़ी पर विशाल शिव मंदिर अछि। एहि नगर आ एकर शिवलिंग के स्थापना धार भोज के प्रसिद्ध परमार राजा (१०१० ई.- १०५३ ई.) केने छलाह | अतः एकरा भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मंदिर सेहो कहल जाइत अछि | मंदिर पूर्ण रूप स पूरा नहि भ सकल। एकरऽ मंच बहुत ऊंचऽ छै, जेकरऽ गर्भगृह में पाथर स॑ बनलऽ एगो बड़ऽ पालिश करलऽ शिवलिंग छै, जेकरऽ ऊंचाई ३.८५ मीटर छै। अछि. एकरा भारत केरऽ मंदिरऽ म॑ मिलै वाला सबस॑ बड़ऽ शिवलिंग म॑ स॑ एक मानलऽ जाय छै। योजना छल जे मंदिर के अन्य भाग, मंडप, महामंडप आ अंतराल के निर्माण स्वयं चौड़ा मंच पर कयल जायत। मंदिर के पास पाथर पर बनल मंदिर के योजना स संबंधित नक्शा स इ बात स्पष्ट अछि। एहि मंदिर के अध्ययन स हमरा सब के भारतीय मंदिर वास्तुकला के बारे में बहुत रास बात के जानकारी भेटैत अछि | भारत में इस्लाम के आगमन स पहिने सेहो एहि हिन्दू मंदिर के गर्भगृह पर अपूर्ण गुंबददार छत भारत में ही गुंबद निर्माण के प्रथा के सिद्ध करैत अछि | भले ही हुनकऽ निर्माण के तकनीक अलग-अलग होय। किछु विद्वान एकरा भारत मे गुंबददार छत वाला पहिल भवन मानैत छथि। एहि मंदिरक दरबज्जा सेहो कोनो हिन्दू भवनक दरबज्जा मे सबसँ पैघ अछि। ई मंदिर ऊँच होय के कारण ऐन्हऽ प्राचीन मंदिर के निर्माण के दौरान भारी पाथर के ऊपर ले जाय लेली ढलान बनालऽ जाय छेलै। एकर प्रमाण एतय सेहो भेटैत अछि। मंदिर के पास स्थित बांध के निर्माण राजा भोज केने छलाह | प्राचीन काल मे एहि बांधक समीप पैघ संख्या मे शिवलिंगक निर्माण होइत छल | एहि स्थान पर शिवलिंग बनेबाक प्रक्रियाक जानकारी भेटैत अछि |
किछु बुजुर्गक कहब अछि जे मंदिरक निर्माण द्वापर युगमे पांडवसभद्वारा माता कुंतीक पूजाक लेल एहि शिवलिंगक निर्माण एक रातिमे कएल गेल छल। विश्व प्रसिद्ध शिवलिंगक उचाई साढ़े इक्कीस फीट, पिण्डीक व्यास १८ फीट आठ इंच आ जलहरीक निर्माण बीस बाई बीस से हुवा अछि। एहि प्रसिद्ध स्थल पर साल मे दू बेर वार्षिक मेलाक आयोजन कएल जाइत अछि। जे मकर संक्रांति आ महाशिवरात्रि पर्व होइत अछि। एकहि पाथर सँ बनल एतेक पैघ शिवलिंग दोसर ठाम नहि देखल जाइत अछि। ई मन्दिरक चित्रण नजदीक स्थित पहाड़ पर बनल अछि जे आइयो देखायत अछि। एकर अर्थ ई भेल जे प्राचीन कालमे सेहो नक्शा बनाओल जाइत छल। एहि मन्दिरक महंत पवन गिरी गोस्वामी बतौलनि जे हुनकर ई १९अम पीढी अछि जे एहि मन्दिरक पूजा अर्चना कऽ रहल अछि। ओ कहलनि जे भगवान भोलेनाथक विवाह शिवरात्रि पर माता पार्वती सँ भेल छल। अत: एहि दिन महिलासभ अपन मनोकामनाक संग व्रत रखैत अछि आ भगवान भोलेनाथक पक्खार करबाक लेल एतय अबैत अछि। माता कुंतीक पिताक नाम सेहो राजाभोज छल, एहि लेल एकर नाम भोजपुर पडै आ ई द्वापर युगक निर्मित मन्दिर अछि आ जीर्णशीर्ण भेलाक बाद धारक राजा परमार वंशी राजाभोज एकरा जीर्णोद्धार कराओलन्हि। एहि ठाम महाशिवरात्रि पर्व पर करीब एक लाख श्रद्धालु दर्शनक लेल अबैत छथि।
बेतवा/वेत्रवतीक उत्पत्ति
[सम्पादन करी]भोजपुर सँ किछु दूर कुमरी गाम लग घनघोर जंगल मे वेत्रवती नदीक उद्गम स्थल अछि। ई नदी एकटा पोखरि सँ बहैत अछि। भोपाल ताल भोजपुरक एकटा तालाब छी। एकर बाँधकेँ मालवाक शासक होशंगशाह (१४०५ - १४३४) मे अपन संक्षिप्त यात्रामे अपन बेगमक मलेरिया सम्बन्धी शिकायत पर तोड़ देलक छल। एहि सँ भेल जलप्रलयक बीच जे द्वीप बनल ओ द्वीप कहल जाए लागल। वर्तमानमे ई "मंडी द्वीप"क नामसँ जानल जाइत अछि। एकर चारू कात आजुक दिन सेहो अनेक खंडित सुन्दर प्रतिमासभ बिखरि गेल अछि। एतय मकर संक्रांति पर मेला सेहो लगैत अछि।
एहो सभ देखी
[सम्पादन करी]सन्दर्भ सामग्रीसभ
[सम्पादन करी]- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293