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समाजवाद

मैथिली विकिपिडियासँ, एक मुक्त विश्वकोश

समाजवाद (Socialism) एक आर्थिक-सामाजिक दर्शन छी । समाजवादी व्यवस्थामे धन-सम्पत्तिकें स्वामित्व आ वितरण समाजक नियन्त्रणक अधीन रहैत अछि । आर्थिक, सामाजिक आ वैचारिक प्रत्ययकें तौर पर समाजवाद निजी सम्पत्ति पर आधारित अधिकारसभकें विरोध करैत अछि । ओकर एक बुनियादी प्रतिज्ञा एहो अछि की सम्पदाकें उत्पादन आ वितरण समाज वा राज्यक हाथमे होनाए चाही । राजनीतिकें आधुनिक अर्थमे समाजवादकें पूँजीवाद या मुक्त बाजारक सिद्धान्तक विपरीत देखल जाइत अछि । एक राजनीतिक विचारधाराक रूपमे समाजवाद युरोपमे अठारहम आ उन्नैसम शताब्दीमे निर्माण भेल उद्योगीकरणक अन्योन्यक्रियामे विकसित भेल अछि ।

ब्रिटिश राजनीतिक विज्ञानी हेराल्ड लास्कीद्वारा कहियो समाजवादकें एक एहन टोपी कहने छल जकरा कियो अपन अनुसार पहिन लैत अछि । समाजवादक विभिन्न प्रकार लस्कीकें ई चित्रणकें बहुतेक सीमाधरि रूपायित करैत अछि । समाजवादक एक प्रकार विघटित भऽ चुकल सोभियत सङ्घक सर्वसत्तावादी नियन्त्रणमे चरितार्थ होइत अछि जहिमे मानवीय जीवनक हर सम्भव पहलूकें राज्यक नियन्त्रणमे लाबैक आग्रह कएल गेल अछि । ओकर दोसर प्रकार राज्यक अर्थव्यवस्थाकें नियमनद्वारा कल्याणकारी भूमिका निर्वाहक मन्त्र दैत अछि । भारतमे समाजवादक एक भिन्न प्रकारक शुत्रीकरणक कोशिश कएल गेल अछि । राममनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायणनरेन्द्र देवक राजनीतिक चिन्तन आ व्यवहार सँ बाहर आबि प्रत्ययकें 'गाँधीवादी समाजवाद' कऽ संज्ञा देल जाएत अछि ।

समाजवाद अङ्ग्रेजीफ्रान्सेली शब्द 'सोसलिज्म' कऽ हिन्दी रूपान्तर छी । १९हम शताब्दीक पूर्वार्धमे ई शब्दक प्रयोग व्यक्तिवादक विरोधमे आओर ओ विचारसभक समर्थनमे कएल जाइत छल जकर लक्ष्य समाजक आर्थिक आ नैतिक आधारकें परिवर्तन छल आ जे जीवनमे व्यक्तिगत नियन्त्रणक स्थान सामाजिक नियन्त्रण स्थापित करनाए चाहैत छल ।

समाजवाद शब्दक प्रयोग अनेक आओर कहियो काल परस्पर विरोधी प्रसङ्गमे कएल जाइत अछि; उदाहरणक लेल समूहवाद अराजकतावाद, आदिकालीन कबायली साम्यवाद, सैन्य साम्यवाद, इसाई समाजवाद, सहकारितावाद, आदि - एतय धरि की नात्सी दलक पूरा नाम 'राष्ट्रिय समाजवादी दल' छल ।

समाजवादक परिभाषा करनाए कठिन अछि । ई सिद्धान्त तथा आन्दोलन, दुनू अओर ई विभिन्न ऐतिहासिक आ स्थानीय परिस्थितिसभमे विभिन्न रूप धारण करैत अछि । मूलत: ई ओ आन्दोलन छी जे उत्पादनक मुख्य साधनसभक समाजीकरण पर आधारित वर्गविहीन समाज स्थापित करवाक लेल प्रयत्नशील अछि आ जे मजदूर वर्गक एकर मुख्य आधार बनाबैत अछि, कियाकी ओ ई वर्गकें शोषित वर्ग मानैत अछि जकर ऐतिहासिक कार्य वर्गव्यवस्थाकें अन्त करनाए अछि ।

चार्ल्स फुरिएर

आदिकालीन साम्यवादी समाजमे मनुष्य पारस्परिक सहयोगद्वारा आवश्यक चीजसभक प्राप्ति आ प्रत्येक सदस्यक आवश्यकतानुसार ओकर आपसमे बँटवारा करैत छल । मुदा ई साम्यवाद प्राकृतिकें छल; मनुष्यक सचेत कल्पना पर आधारित नै छल । आरम्भक इसाई पादरीसभक रहन-सहनक ढङ्ग बहुत किछ साम्यवादी छल, ओ एक सङ्ग आ समान रूपसँ रहैत छल, मुदा ओकर आय स्रोत धर्मावलम्बीसभक दान छल आ ओकर आदर्श जनसाधारणक लेल नै, नै तँ मात्र पादरीसभधरि सीमित छल । ओकर उद्देश्य सेहो आध्यात्मिक छल, भौतिक नै । ई बात मध्यकालीन इसाई साम्यवादक सम्बन्धमे सेहो सही अछि । पेरु देशक प्राचीन इन्का सभ्यताकें 'सैन्य साम्यवाद' कऽ संज्ञा देल जाइत अछि, मुदा ओकर आधार सैन्य सङ्गठन छल आ ओ व्यवस्था शासक वर्गक हितसाधन करैत छल । नगरपालिकाद्वारा लोकसेवासभक साधनसभक प्राप्त करनाए, अथवा देशक उन्नतिक लेल आर्थिक योजनासभक प्रयोग मात्रक समाजवाद नै कहल जाए सकैत अछि, कियाकी ओ आवश्यक नै अछि की ओकरद्वारा पूँजीवादकें हानी होए । नात्सी दलद्वारा बैङ्कसभकें राष्ट्रियकरण कएल गेल छल मुदा पूँजीवादी व्यवस्था अक्षुण्ण रहल छल ।[][][]

समाजवादक भावनात्मक ढाँचा गढ़ऽ में इङ्ल्यान्डमे सत्रहम शताब्दीक समय इसाई धर्मक दायरामे विकसित लेवलर्स तथा डिग्गर्स आ सोलहम आ सत्रहम शताब्दीक मध्य युरोपमे विकसित होमए वाला एनाब्यापटिस्ट जका र्‍याडिकल आन्दोलनसभक महत्वपूर्ण भूमिका रहल अछि ।[][][][][][] मुदा समाजवादक आधुनिक आ औपचारिक परिकल्पना फ्रान्सेली विचारकसभ साई-सिमोन आ चार्ल्स फुरिएर तथा ब्रिटिश चिन्तक राबर्ट ओभेनक निष्पत्ति सँ निकलैत अछि । समाजवादक ई शुरुआती विचारक व्यक्तिवाद आ प्रतिस्पर्द्धाक स्थान आपसी सहयोग पर आधारित समाजक कल्पना करैत छल । हुनका विश्वास छल की मानवीय स्वभाव आ समाजक विज्ञान लाधि सामाजिक अर्थकें बेहतर रूप देल जाए सकैत अछि । मुदा वाञ्छित सामाजिक रूपसभक ठोस ब्योरा, ओकरा प्राप्त करवाक रणनीति तथा मानव प्रकृतिक समझकें लऽ ओ दुनू बीच बहुत प्रकारक मतभेद छल । उदाहरणक लेल, साई-सिमोन तथा फुरिएर, रूसोक ई मत सँ सहमत नै छल की मनुष्यक प्रकृति अपन बनावटमे तँ नीक, उदात्त आ विवेकपूर्ण अछि मुदा आधुनिक समाज आ निजी सम्पत्ति ओकरा भ्रष्ट करि देनए अछि । एकर विरोधमे हुनकर तर्क ई छल की मानवीय प्रकृतिकें किछु स्थिर आ निश्चित रूप होएत अछि जकर परस्पर सहयोगक आधार पर आपसमे मेल कराएल जाए सकैत अछि । ओभेनक मत साई-सिमोन आ फुरिएर सँ भिन्न छल । ओकर कहनाम् छल की मनुष्यक प्रकृति बाहरी परिस्थितिसभ सँ तय होएत अछि आ ओकर इच्छित रूप देल जाए सकैत अछि । याह लेल समाजक परिस्थितिसभकें एहन प्रकार सँ परिवर्तन कएल जाना चाही की मनुष्यक प्रकृति पूर्णताक दिस बढ़ल जाए सकै । ओकर अनुसार यदि प्रतिस्पर्द्धा आ व्यक्तिवादक स्थान आपसी सहयोग आ एकताकें बढ़ावा देल जाएत तँ पुरे मनुष्यताक भला कएल जाए सकैत अछि ।

समाजवादक राजनीतिक विचारधारा उन्नैसम शताब्दीक तेसर आ चारिम दशकक समय इङ्ल्यान्ड, फ्रान्स तथा जर्मनी जका युरोपेली देशसभमे लोकप्रिय होमए लागल छल । उद्योगीकरण आ शहरीकरणक तेज गति तथा पारम्परिक समाजक अवसानद्वारा युरोपेली समाजक सुधार आ परिवर्तनक शक्तिसभक अखाड़ा बनाए देनए छल जहिमे मजदूर सङ्घ आ चार्टरवादी समूहसभ लगायत एहन गुट सक्रिय छल जे आधुनिक समाजक स्थान प्राक-आधुनिक सामुदायिकतावादक वकालत करि रहल छल ।

मार्क्सएङ्गेल्सद्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक समाजवादक विचार सामाजिक आ राजनीतिक उथलपुथलक ई पृष्ठभूमिमे विकसित भेल छल । मार्क्सद्वारा साई-सिमोन, फुरिएर आ ओभेनक विचारसभ सँ प्रेरणा तँ लेलक, मुदा अपन वैज्ञानिक समाजवादक प्रतिस्पर्धा हुनकर समाजवादकें काल्पनिक घोषित करि देलक । याह पूर्ववर्ती चिन्तकसभक जका मार्क्स समाजवादक कोनो एहन आदर्श नै मानैत छल की ओकर स्पष्ट खाका खीचल जाए । मार्क्स आ एङ्गेल्स समाजवादकें कोनो स्वयं-भू सिद्धान्त नै भए पूँजीवादक कार्यप्रणालीसँ उत्पन्न होमए वला स्थितिक रूपमे देखैत अछि । हुनकर ई माननाए छल की समाजवादक कोनो भी रूप ऐतिहासिक प्रक्रिया सँ आएत । याह समझक कारण मार्क्स आ एङ्गेल्सक समाजवादक विस्तृत व्याख्या केनाए या ओकरा परिभाषित केनाए सेहो कठिन छल । हुनका लेल समाजवाद मुख्यतः पूँजीवादके नकारात्मक प्रत्यय छल जकरा एक लम्बा क्रान्तिकारी प्रक्रियाक आधार पर अपन पहचान स्वयं बनेनाए छल । समाजवादक विषयमे मार्क्सक सभसँ महत्त्वपूर्ण रचना 'क्रिटिक अफ द गोथा प्रोग्राम' छी जहिमे ओ समाजवादकें साम्यवादी समाजक दुई चरणसभकें मध्यवर्ती अवस्थाक तौर पर व्याख्यायित केनए अछि ।

सम्भव अछि की मार्क्सक ई रचनाक प्रकाशन हुनकर मृत्युकें आठ साल बाद भेल छल । ता धरि मार्क्सवादी सिद्धान्तसभमे एकरा बहुत अधिक महत्त्व नै देल जाइत छल । ई विमर्शकें मार्क्सवादक मूल सिद्धान्तसभमे शामिल करवाक श्रेय लेनिनकें जाएत अछि, जे अपन कृति 'स्टेट एन्ड रिभोल्युसन' मे मार्क्सक तर्ज पर समाजवादकें साम्यवादी समाजक रचनामे पहिल या निम्नतर चरण बतौलक । लेनिन कऽ बाद समाजवाद मार्क्सवादी शब्दावलीमे एहि प्रकार विन्यस्त भऽ गेल की कियो व्यक्ति या दल कोनो खास वैचारिक दिक्कतदारीकें बिना स्वयंकें समाजवादी या साम्यवादी कहि सकैत छल । ई विमर्शक विभाजक रेखा ई गप्प सँ तय होइत छल की कोनो दल या व्यक्तिक लेल क्रान्तिकारी गतिविधिसभक तात्कालिक आ दूरगामी लक्ष्य की छी । अर्थात यदि कियो स्वयंकें समाजवादी कहैत छल तँ एकर अर्थ ई होइत छल की ओ साम्यवादी समाजक रचनाकें पहिल चरण पर अधिक जोर दैत अछि । याह कारण अछि की बहुतेक समाजवादी देशसभमे शासन कएनिहार दल जब स्वयंकें कम्युनिस्ट घोषित करैत छल तँ एकरा असङ्गत नै मानल जाइत छल ।

बीसम शताब्दीमे समाजवादक अन्तर्राष्ट्रिय प्रसार तथा सोभियत शासन व्यवस्था एक प्रकारसँ सहवर्ती परिघटनासभ मानल जाइत अछि । ओ एक एहन तथ्य छी जे समाजवादक विचार आ ओकर भविष्यकें गहिरागर जका सँ प्रभावित केनए अछि । उदाहरणार्थ, क्रान्तिक बाद सोभियत सङ्घ ओकर समर्थकसभ आ आलोचकसभ, दुनूक लेल समाजवादक पर्याय बनि गेल । सोभियत समर्थकसभक दलील ई छल की उत्पादनक प्रमुख साधनसभक समाजीकरण, बजारकें केन्द्रीकृत नियोजनक मातहत केनाए, तथा विदेश व्यापार आ घरेलू वित्त पर राज्यक नियन्त्रण जका उपाय अपनेला सँ सोभियत सङ्घ बहुत कम अवधिमे एक औद्योगिक देश बनि गेल । जबकि ओकर आलोचकसभक कथान ई छल की ई एक प्रचारित छवि छल कियाकी विराट नौकरशाही, राजनीतिक दमन, असमानता तथा लोकतन्त्रक अनदेखी स्वयंमे समाजवादक आदर्शकें खारिज करवाक लेल अधिक छल । समाजवादक प्रसारमे सोभियत सङ्घक दोसर भूमिका एक सङ्गठनकर्ताक छल । समाजवादी क्रान्तिक प्रसारक लेल कम्युनिस्ट इन्टरनेशनल जका सङ्गठनक स्थापना करि ओ स्वयंकें समाजवादकें हरावल सिद्ध केलक । ई सङ्गठनद्वारा विश्वक कम्युनिस्ट पार्टीसभकें लम्बा समयधरि दिशा-निर्देशन केलक । सोभियत सङ्घक भूमिकाक तेसर पहलू ई छल की ओ अपन पूर्वी युरोपमे बहुतेक अपनप्रकारक शासन व्यवस्था कायम केलक । अन्ततः सोभियत सङ्घ समाजवादक प्रयोगशाला एहि कारण सेहो मानल गेल कियाकी रूसी क्रान्तिक बाद स्टालिनक नेतृत्वमे ई सिद्धान्त प्रचारित कएल गेल की समाजवादी क्रान्तिकें अन्य देशसभमे प्रसार आरम्भ करैसँ पहिने ओकरा एक टा देशमे पहिने मजबूत कएल जाना चाही । बहुतेक विद्वानसभक दृष्टिमे ई एक एहन शुत्रीकरण छल जे राष्ट्रिय समाजवादकें बहुतेक प्रकारक उभारकें वैधता देलक ।

द्वितीय विश्वयुद्धक बाद शुरू भेल वि-उपनिवेशीकरणक प्रक्रियाक समय समाजवाद आ राष्ट्रवादक ई संश्रय तेसर दुनियाक देशसभमे समाजवादक विकासक एक प्रारूप जका बनि गेल । चीन, भियतनाम तथा क्युबा जका देशसभमे समाजवादक प्रसारक ई एक केन्द्रीय प्रवृत्ति छल । सोभियत समर्थित समाजवादक छोडि ओकर एक अन्य रूप सेहो अछि जे पूँजीवादी देशसभक अप्रत्यक्ष ढङ्ग सँ प्रभावित केनए अछि । सदैव, समाजवादक तर्क आ ओकर आकर्षणक प्रति-सन्तुलित करवाक लेल पश्चिमक पूँजीवादी देशसभकें अपन अर्थव्यवस्थाक आकृतिकें परिवर्तन करि ओकरा कल्याणकारी रूप दै पड़ल । याह सन्दर्भमे स्क्यानडेनभियन देशसभ, पश्चिमी युरोप तथा अस्ट्रेलिया क्षेत्रक देशसभमे किन्सक लोकोपकारी विचारसभ सँ प्रेरित भए सोभियत स्वरुपक समाजवादकें विकल्प गढ़वाक प्रयास कएल गेल । माँगक प्रबन्धन, आर्थिक राष्ट्रवाद, रोजगारक गारन्टी, तथा सामाजिक सेवासभक क्षेत्रकें मुनाफाखोरीक प्रवृत्तिसभ सँ मुक्त करवाक नीति पर टिकल ई कल्याणकारी उपायसभ एकबारगी पूँजीवाद आ समाजवादक अन्तरकें धुमिल करि देने छल । राज्यक ई कल्याणकारी मोडलक एक समय पूँजीवादक विसङ्गती— बेकारी, बेरोजगारी, अभाव, अज्ञान आदिक स्थाई इलाज बतायल जाए रहल छल । ई मोडलक आर्थिक आ राजनीतिक कामयाबीक प्रमाण ई तथ्यकें मानल जाए सकैत अछि की यदि वामपन्थी दायरासभमे ई उपायसभक प्रशंसा कएल गेल तँ दक्षिणपन्थी राजनीति सेहो ओकर खुला विरोध नै करि सकल । द्वितीय विश्व-युद्धक समाप्तिक बाद तीन दशकधरि बाजार केन्द्रित समाजवादक ई मोडल बहुतेक प्रभावशाली ढङ्ग सँ काम करैत रहल ।

मुदा सातम दशकमे मन्दी आ मुद्रास्फीतिक दोहरा मारि तथा कल्याणकारी पूँजीवादक गढ़मे गतिशील सामाजिक आ औद्योगिक असन्तोषक कारण ई मोडलक औचित्यकें लऽ प्रश्न खड़ा होमए लागल । मार्क्सवादी शिविरक विद्वान सेहो लगातार ई कहैत आबि रहल छल की कल्याणकारी भङ्गिमासभद्वारा असमानता आ शोषणकें खत्म नै करि पूँजीवादे कें आओरो मजबूत केनए अछि । ई मोडलक एक आपत्तिजनक पहलू एहो प्रकट भेल की कामगार वर्गक जीवनक बुनियादी सुविधासभ प्रदान करैवला मसिनद्वारा राज्य ओकरासभ पर नियन्त्रण करवाक स्थितिमे आबि गेल अछि ।

सन्दर्भ सामग्रीसभ

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  1. pp. 276–77, A.E. Taylor, Plato: The Man and His Work, Dover 2001.
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  9. Hanna, Sami A. (1969)। "al-Takaful al-Ijtimai and Islamic Socialism"The Muslim World59 (3–4): 275–86। doi:10.1111/j.1478-1913.1969.tb02639.xमूलसँ 13 September 2010 कऽ सङ्ग्रहित। {{cite journal}}: Unknown parameter |deadurl= ignored (|url-status= suggested) (help)

एहो सभ देखी

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