अवधी
Awadhi | ||||
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Avadhī | ||||
अवधी/औधी | ||||
उच्चारण: | [əʋ.d̪ʱi] | |||
बाजल जाइवाला स्थान: | भारत , नेपाल , फिजी, मौरिसस | |||
आरम्भ: | २०११ | |||
प्रयोग क्षेत्र: | भारत अवध आ उत्तर प्रदेशक अन्य क्षेत्रसभ, मध्य प्रदेशक किछ क्षेत्र, बिहार आ दिल्ली नेपाल लुम्बिनी अञ्चल्: कपिलवस्तु, नवलपरासी, रुपन्देही; भेरी अञ्चल्: बाँके, बर्दिया | |||
समुदाय: | अवधी | |||
मातृभाषी: | ३.८५ million in India | |||
भाषा परिवार: | भारोपेली
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शाखा भाषा: |
गङगा पारि
मिर्जापुरी
प्रदेशी
ऊत्तरी
प्रतापगढी
थरुहट
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लिपि |
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आधिकारिक अवस्था | ||||
आधिकारिक भाषा | आकृति:FIJ (as Fiji Hindi) | |||
भाषा कोड: | ||||
आइएसओ ६३९-२ | awa | |||
आइएसओ ६३९-३ | awa | |||
भाषावेधशाला | 59-AAF-ra | |||
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अवधी हिन्दी क्षेत्रक एक उपभाषा छी। ई उत्तर प्रदेशक "अवध क्षेत्र" (लखनऊ, रायबरेली, सुल्तानपुर, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, अयोध्या, जौनपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, कौशाम्बी, अम्बेडकर नगर, गोंडा, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती तथा फतेहपुर) मे बाजल जाइत अछि। एकर अतिरिक्त एकर एकटा शाखा बघेलखण्डमे बघेली नामसँ प्रचलित अछि। अवध शब्दक व्युत्पत्ति "अयोध्या" सँ अछि। ई नाम एक सूबाक शासनकालमे छल। तुलसीदास अपन "मनस" मे अयोध्या केँ 'अवधपुरी' कहने छथि। एहि क्षेत्रक प्राचीन नाम 'कोसल' छल, जेकर महत्व प्राचीन कालसँ चलि रहल अछि।
भाषाविद् डा. सर "जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन" द्वारा कएल गेल भाषा सर्वेक्षणक अनुसार अवधी बाजनिहारक कुल जनसंख्या १६१५४५८ छल जे १९७१ क जनगणनामे २८३९९५५२ भऽ गेल। वर्तमानमे, शोधकर्तासभक अनुमान अछि जे ६ करोड सँ बेसी लोक अवधी बाजैत अछि। भारतक उत्तर प्रदेश प्रान्तक १९ जिला- सुल्तानपुर, अमेठी, बाराबंकी, प्रतापगढ़, प्रयागराज, कौशांबी, फतेहपुर, रायबरेली, उन्नाव, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, अयोध्या आ अंबेडकर नगरमे ई भाषा पूर्ण रूपसँ बाजल जाइत अछि। जखन कि ७ जिला- जौनपुर, मिर्जापुर, कानपुर, शाहजहांपुर, आजमगढ़, सिद्धार्थनगर, बस्ती आ बांदाक किछु क्षेत्रमे एकर प्रयोग होइत अछि। बिहार प्रान्तक २ जिलाक संग पड़ोसी देश नेपालक कैको जिला - बाँके जिला, बर्दिया जिला, दांग जिला, कपिलवस्तु जिला, पश्चिमी नवलपरासी जिला, रूपन्देही जिला, कंचनपुर जिला आदिमे ई प्रचलित अछि। तहिना संसारक अन्य देशसभ - मॉरीशस, त्रिनिदाद आ टोबागो, फिजी, गुयाना, सूरीनाम सहित अस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आ हॉलैंड (नीदरल्यान्ड्स) मे सेहो लाखो संख्यामे अवधी बाजनिहारसभ अछि।
अवधी भाषी क्षेत्रक भौगोलिक विस्तार
[सम्पादन करी]अवधी प्रमुख रूप सँ भारत, नेपाल आ फिजीमे बाजल जाइत अछि। भारतमे अवधी मुख्यतः उत्तर प्रदेश राज्यमे बाजल जाइत अछि। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आ बिहारक किछु जिलामे बाजल जाइत अछि। उत्तर प्रदेशक अवधी भाषी जिला: अमेठी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, रायबरेली, प्रयागराज, कौशांबी, अम्बेडकर नगर, सिद्धार्थ नगर, गोंडा, बलरामपुर, बाराबंकी, अयोध्या, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, बस्ती आ फतेहपुर।[१][२]
नेपालक अवधी भाषी जिलासभ कपिलवस्तु, बर्दिया, डांग, रूपनदेही, नवलपरासी, कंचनपुर, बाँके आदि तराई नेपालक जिलासभ।
तहिना संसारक अन्य देशसभ - मॉरीशस, त्रिनिदाद आ टोबागो, फिजी, गुयाना, सूरीनाम सहित अस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आ हॉलैंड (नीदरल्यान्ड्स) मे सेहो लाखो संख्यामे अवधी बाजनिहारसभ अछि।
व्याकरण
[सम्पादन करी]हिन्दी खड़ीबोली सँ अवधीक भिन्नता मुख्य रूप सँ व्याकरणिक अछि। एहिमे कर्ता कारक परसर्ग (विभक्ति) "ने" क नितांत अभाव अछि। दोसर परसर्गसभक प्रायः दू रूप भेटैत अछि - ह्रस्व आ दीर्घ। (कर्म - संप्रदान - सम्बन्ध: क, का; करण - अपदान: स-त, से - ते; अधिकरण: म, मा)।
संज्ञाक दो भाग होइत अछि - विकारी आ अविकारी। अविकारी विभक्तिमे संज्ञाक मूल रूप (राम, लरिका, बिटिया, मेहरारू) रहैत अछि आ विकारीमे बहुवचनक लेल "न" प्रत्यय जोड़ल जाइत अछि (यथा रामन, लरिकन, बिटियन, मेहरारुन)। कर्ता आ कर्मक अविकारी रूपमे व्यंजन संज्ञाक अन्तमे किछु बोलीमे एक ह्रस्व "उ "क श्रुति होइत अछि (यथा रामु, पूतु, चोरु) । मुदा ई निश्चित रूप सँ पूर्ण स्वर नहि अछि आ भाषाविदसभ एकरा फुसफुसाहटक स्वर-ह्रस्व "इ" आ ह्रस्व "ए" (जैसे सांझी, खानी, ठेलुआ, पेहंटा) भेटैत अछि।
संज्ञाक प्रायः दू रूप, ह्रस्व आ दीर्घ (जैसे नद्दी नदीया, घोड़ा घोड़वा, नाउ नुआ, कुत्ता कुतवा) भेटैत अछि। एकर अतिरिक्त अवधी क्षेत्रक पूर्वी भागमे एकटा दोसर रूप-दीर्घतर भेटैत अछि (यथा कुतउना)। एहि काल मे खड़ीबोलीक ह्रस्व रूप पूर्णतः लुप्त भऽ गेल अछि; जेना बिल्ली, डिब्बी आदि रूप नहि भेटैत अछि बेलिया, डेबिया आदि प्रचलित अछि।
सर्वनाममे खड़ीबोली आ ब्रजक "मेरा तेरा" आ "मेरो तेरो" रूपक लेल अवधीमे "मोर तोर" रूप अछि। एकर अतिरिक्त पूर्वी कालमे पश्चिमी कालक "सो" "जो" "को" क समानांतर "से" "जे" "के" रूप प्राप्त अछि।
क्रिया मे भविष्यकाल रूपक प्रक्रिया खड़ीबोली सँ एकदम भिन्न अछि। खड़ीबोलीमे प्रायः प्राचीन वर्तमान (लट्) क तात्भव रूपसभमे - गा-गी-गे जोड़ि (यथा होगा, होगी, होंगे आदि) रूप बनाओल जाइत अछि। ब्रजमे भविष्यत्क रूप प्राचीन भविष्यत्काल (लट्) पर आधारित अछि। (एहि प्रकार होएत आ भविष्यमे सेहो होएत)। काल मे प्रायः भविष्यत् रूप तव्यत् प्रत्ययांत प्राचीन रूप पर आश्रित रहैत अछि (होइबाउ भवितव्यम्)। अवधीक पाश्चात्य बोलीमे केवल उत्तमपुरुष बहुवचनक रूप तव्यतांत रूप पर निर्भर अछि। शेष ब्रज जकाँ प्राचीन भविष्य पर। मुदा मध्यवर्ती आ पूर्वी भाषामे क्रमशः तव्यतंत रूपक प्रचुरता बढ़ि गेल अछि। क्रियाकारक संज्ञाक लेल खड़ीबोलीमे "ना" प्रत्यय अछि (यथा होना, करना, चलना) आ ब्रजमे "नो" (यथा होनो, करो, चलना)। मुदा अवधीमे एकरा लेल "ब" प्रत्यय अछि (यथा होब, करब, चलब)। अवधी मे निष्ठा एकवचन रूपक "वा" मे अन्त होइत अछि (यथा भवा, गया, खावा)। भोजपुरीमे एकर स्थान पर "ल" मे समाप्त होएवाला रूप भेटैत अछि (यथा भेल, गेल)। अवधीक एक मुख्य भेदभावक लक्षण अछि अन्य पुरुष एकवचनक सकर्मक क्रियाक भूतकाल रूप (यथा करिसी, खैसी, मारिसि)। य - सी मे समाप्त होएवाला रूप अवधी केँ छोड़ि आन ठाम नहि भेटैत अछि। अवधीक सहायक क्रियामे रूप "ह" (यथा हइ, हइं), "अह" (अहि, अइई) आ "बाटइ" (यथा अछि, अछिं) पर आधारित अछि।
उपर्युक्त लक्षणसभक अनुसार अवधीक बोलीसभक तीन वर्ग मानल गेल अछि: पश्चिमी, मध्यवर्ती आ पूर्वी। पश्चिमी बोली पर निकटताक कारण ब्रजक आ पूर्वी पर भोजपुरीक प्रभाव अछि। एकर अतिरिक्त बाघली बोलीक अपन अलग अस्तित्व अछि।
विकासक दृष्टि सँ अवधीक स्थान ब्रज, कन्नौजी आ भोजपुरीक बीचमे पड़ैत अछि। ब्रजक व्युत्पत्ति निश्चय शौरसेनी सँ तथा भोजपुरीक मागधी प्राकृतिसँ भेल अछि। अवधीक स्थिति एहि दुनूक बीचमे होयबाक कारण एकर अर्धमागधी सँ निकलनाय मानल उचित होएत। अफ़सोस जे अर्धमागधीक जे प्राचीन रूप हमरा सभकेँ भेटैत अछि ओ पाँचम शताब्दीक अछि आ ओहिसँ अवधीक रूप निकालनाइमे कठिनाई होइत अछि। पाली भाषामे प्रायः एहन रूप भेटैत अछि जाहिसँ अवधी रूपक विकास सिद्ध कएल जा सकैत अछि। सम्भवतः ई रूप प्राचीन अर्धमागधीक रहल होएत।
एहो सभ देखी
[सम्पादन करी]सन्दर्भ सामग्रीसभ
[सम्पादन करी]- ↑ Saksena, Baburam (1971) (enमे). Evolution of Awadhi (a Branch of Hindi).. Motilal Banarsidass Publ.. आइएसबिएन 978-81-208-0855-3. https://books.google.com/books?id=WfkWvgqk5c4C&dq=Awadhi+east+bhojpuri+language&pg=PA5.
- ↑ Verbeke, Saartje (2013-03-22) (enमे). Alignment and Ergativity in New Indo-Aryan Languages. Walter de Gruyter. आइएसबिएन 978-3-11-029267-1. https://books.google.com/books?id=63iC56LeJ_MC&dq=Hindi+is+central+indo+aryan+bhojpuri+eastern+indo+aryan&pg=PA67.
बाह्य जडीसभ
[सम्पादन करी]Awadhi edition of Wikipedia, the free encyclopedia |
- अवधी कविता कोश
- अवधी ग्रन्थावली (गूगल पुस्तक)
- अवधी ग्रन्थावली, भाग - २ (गूगल पुस्तक ; लेखक - जगदीश पीयूष)
- एसआईएल इंटरनेशनल पर अवधी की प्रविष्टि
- अवधी किताबें