दीया, दीप, दीपक, दीवा या दियो[१]ओ पात्र छी जहिमे सूतक बाती आ तेल वा घी राखि केर ज्योति प्रज्वलित कएल जाइत अछि । पारम्परिक दीया माटिक होइत अछि मुदा धातुक दीया सेहो प्रचलनमे अछि । प्राचीन कालमे एकर प्रयोग प्रकाशक लेल कएल जाइत छल किन्तु बिजलीक आविष्कारक बाद आब ई सजावटक वस्तुक रूपमे अधिक प्रयोग होइत अछि । धार्मिक आ सामाजिक अनुष्ठानसभमे एकर महत्व अखनो अछि । ई पञ्चतत्वमे सँ एक अग्निक प्रतीक मानल जाइत अछि । दीपक प्रज्वलितक एक मन्त्र सहो अछि जकर उच्चारण सम्पूर्ण शुभ अवसरसभ पर कएल जाइत अछि । एहिमे कहल गेल अछि कि सुन्दर आ कल्याणकारी, आरोग्य आ सम्पदा दै वला हे दीप, शत्रुक बुद्धि विनाशक लेल हम अहाँकें नमस्कार करैत छी । दीया विशेष रूपसँ भारत आ नेपालकहिन्दू धर्म, बुद्ध धर्म आ जैन धर्मक धर्मावलम्बीसभ विशिष्ट अवसरसभ पर प्रज्वलित करैत अछि जेना दीपावलीक दिन । जब दीपकें पङ्क्तिमे राखि केर जलायल जाइत अछि तखन एकरा दीपमाला कहल जाइत अछि एना विशेष रूपसँ खुशीक अवसरसभ जेना दिपावली, विवाह आदि पर कएल जाइत अछि ।