ब्राह्मी परिवारक लिपिसभ
ब्राह्मी |
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ब्राह्मी तथा ओहिसँ व्युत्पन्न लिपिसभ |
उत्तरी ब्राह्मी
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दक्षिणी ब्राह्मी
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ब्राह्मी परिवार ओ लिपिसभक परिवार छी जे पूर्वज ब्राह्मी लिपि छी । एकर प्रयोग दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशियामे होइत अछि, आर मध्य आ पूर्व एशियाक किछ भागसभमे सेहो होइत अछि ।
एही परिवारक कोनो भी लेखन प्रणालीक ब्राह्मी-आधारित लिपि या भारतीय लिपि कहल जाs सकैत अछि ।
एही लिपिसभक प्रयोग बहुतो भाषा परिवारसभमे होइत अछि, उदाहरणार्थ इन्डो-यूरोपियाई, चीनी-तिब्बती, मङ्गोलियाई, द्रविडीय, अस्ट्रो-एशियाई, अस्ट्रोनेशियाई, ताई आ सम्भवतः कोरियाईमे। एकर प्रभाव आधुनिक जापानी भाषामे प्रयुक्त अक्षर क्रमाङ्कन पर सेहो देखल जाइत अछि ।
इतिहास
[सम्पादन करी]ब्राह्मी-आधारित लिपिसभ ब्राह्मी लिपिसँ उपजल अछि । ईसा पूर्व तेसर शताब्दीमे अशोकक राज्यकालमे ब्राह्मी प्रयोगक साक्ष्य मिलैत अछि, हुनका द्वारा ई लिपिक प्रयोग साम्राज्यीय शिलालेखसभक लेल कएल गेल छल । मुदा एकर छोरि, हालमे, श्री लङ्कामे अनुराधापुरमे ईसा पूर्व छठम् शताब्दीक समयक माटिक बर्तनसभ पर सिङ्हल ब्राह्मीमे लिखल किछ भन्जित शिलालेख मिलल अछि[१]। ईसा पूर्व चौध्हम या पाँचम् शताब्दीक तमिल ब्राह्मीक नमूना सेहो भट्टिप्रोलु अन्यत्र मिलैत अछि ।
गुप्त वंशक समय उत्तरी ब्राह्मीसँ गुप्त लिपि आएल आ मध्यकालमे बहुतो लिखावटक जननी बनल, एहिमे सिद्धम, शारदा आर नागरी प्रमुख अछि ।
सिद्धम (कांजी: 悉曇, आधुनिक जापानी उच्चारण: शित्तन) लिपि बौद्ध धर्मक लेल काफी महत्वपूर्ण छल कियाकी बहुतो सूत्र एहीमे लिखल गेल छल आ एखन सेहो जापानमे सिद्धम सुलेखक कला कायम अछि ।
दक्षिणी ब्राह्मीसँ ग्रन्थ लिपि आ अन्य लिपिसभक उपज भेल आर फेर एकर कारण दक्षिणपूर्व एशियाक बहुतो लिपिसभ बनील ।
तेसर शताब्दीमे भट्टिप्रोलु बौद्ध धर्मक एकटा पैग केन्द्र छल, एहीसँ बौद्ध धर्म पूर्वी एशियामे विस्तार भेल। आधुनिक तेलुगु लिपि भट्टिप्रोलु लिपि या 'कन्नड-तेलुगु लिपि' सँ जनित अछि, एकरा 'प्राचीन कन्नड़ लिपि' सेहो कहल जाइत अछि कियाकी कन्नड़सँ एकर समानता बहुत अछि[२][३].
शुरुआतमे किछ छोटका बदलाव भेल, ओहिमे जे लिपि बनि गेल आओर एखन तमिल ब्राह्मी कहल जाइत अछि, एहीमेसँ किछ अन्य भारतीय लिपिसभक तुल्नामे बहुतो कम अक्षर अछि कियाकी एहिमे अलगसँ महाप्राण या सघोष व्यञ्जन नै अछि । बादमे ग्रन्थक प्रभावसँ वेट्टुळुतु कs प्रादुर्भाव भेल जे कि आधुनिक देखिमे मलयालम लिपि जका अछि । १९हम आ २०अम शताब्दीमे आर बहुतो परिवर्तन भेल कारण छपाई आ टङ्कणक लेल सुविधा होए आ एही प्रकार समकालीन लिपि अगाड़ी आएल ।
गेरी लेडयार्ड द्वारा परिकल्पना कएल गेल अछि कि हाङ्गगुल लिपि, जे कोरियाली लिखऽक काम आबैत अछि, वास्तवमे मङ्गोल फग्स्पा लिपिसँ उपजल अछि, जे कि तिब्बतीक कारण ब्राह्मी परिवारसँ उत्पन्न भेल छल ।
विशेषतासभ
[सम्पादन करी]किछ विशेषतासभ, जे सम्भवतः प्रत्येक लिपिमे नै होए, एहि प्रकारक अछि:
- प्रत्येक व्यञ्जनमे एकटा अन्तर्निहित 'अ' कऽ स्वर होइत अछि (बङ्गाली, उड़िया आ असमियामे ई उच्चारणमे अन्तरक कारणसँ 'ओ' कऽ स्वर अछि । बाँकी स्वर एहि अक्षरसँ जोड़ि कऽ लिखल जाइत अछि । यदि अन्तर्निहित स्वर नै होइ तऽ विराम/हलन्तक प्रयोग कएल जाइत अछि ।
- प्रत्येक स्वरक दुटा रूप अछि, एक स्वतन्त्र रूप, अर्थात् जखन ओ कोनो व्यञ्जन भाग नै होइ आ दोसर निर्भर रूप, जखन ओ व्यञ्जनक संग जोड़ल होइत अछि । लिपिक आधार पर, निर्भर रूप मूल व्यञ्जनक कऽ बाँमा, दाहिना, ऊपर, निचा, या दाहिना-बाँमा दुनु दिस भऽ सकैत अछि ।
- व्यञ्जन (देवनागरीमे ५ धरि) जोड़ि कऽ संयुक्ताक्षर बनैत अछि । र कऽ संग कोनो आर व्यञ्जनक संयुक्ताक्षरसभक लेल विशेष चिह्नसभक प्रयोग होइत अछि ।
- किसी भी व्यञ्जन के स्वर का अनुनासिकीकरण व सघोषीकरण भी अलग चिह्नों द्वारा इङ्गित किया जाता है।
- पारम्परिक क्रम एही प्रकारक अछि: स्वर, कंठस्थ व्यञ्जन, तालव्य व्यञ्जन, मूर्धन्य व्यञ्जन, दंत्य व्यञ्जन, ओष्ठ्य व्यञ्जन, अन्तःस्थ व्यञ्जन, ऊष्म व्यञ्जन, आ अन्य व्यञ्जन । व्यञ्जन प्रत्येक समूहमे चारि व्यञ्जन होइत अछि (चारि प्रकारक घोष आ प्राणक लेल), आ एकटा अनुनासिक व्यञ्जन होइत अछि ।
तुलना
[सम्पादन करी]नीचा बहुतो मुख्य भारतीय लिपिसभक तुलना कऽ लेल तालिकासभ देल गेल अछि ।
व्यञ्जन
[सम्पादन करी]ब्राह्मी | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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देवनागरी | क | ख | ग | घ | ङ | च | छ | ज | झ | ञ | ट | ठ | ड | ढ | ण | त | थ | द | ध | न | ऩ | प | फ | ब | भ | म | य | र | ऱ | ल | ळ | ऴ | व | श | ष | स | ह |
असमिया | ক | খ | গ | ঘ | ঙ | চ | ছ | জ | ঝ | ঞ | ট | ঠ | ড | ঢ | ণ | ত | থ | দ | ধ | ন | প | ফ | ব | ভ | ম | য | ৰ | ল | ৱ | শ | ষ | স | হ | ||||
बङ्गाली | ক | খ | গ | ঘ | ঙ | চ | ছ | জ | ঝ | ঞ | ট | ঠ | ড | ঢ | ণ | ত | থ | দ | ধ | ন | প | ফ | ব | ভ | ম | য | র | ল | শ | ষ | স | হ | |||||
गुरुमुखी | ਕ | ਖ | ਗ | ਘ | ਙ | ਚ | ਛ | ਜ | ਝ | ਞ | ਟ | ਠ | ਡ | ਢ | ਣ | ਤ | ਥ | ਦ | ਧ | ਨ | ਪ | ਫ | ਬ | ਭ | ਮ | ਯ | ਰ | ਲ | ਲ਼ | ਵ | ਸ਼ | ਸ | ਹ | ||||
गुजराती | ક | ખ | ગ | ઘ | ઙ | ચ | છ | જ | ઝ | ઞ | ટ | ઠ | ડ | ઢ | ણ | ત | થ | દ | ધ | ન | પ | ફ | બ | ભ | મ | ય | ર | લ | ળ | વ | શ | ષ | સ | હ | |||
उड़िया | କ | ଖ | ଗ | ଘ | ଙ | ଚ | ଛ | ଜ | ଝ | ଞ | ଟ | ଠ | ଡ | ଢ | ଣ | ତ | ଥ | ଦ | ଧ | ନ | ପ | ଫ | ବ | ଭ | ମ | ଯ | ର | ଲ | ଳ | ଶ | ଷ | ସ | ହ | ||||
तमिल | க் | ங் | ச் | ஜ் | ஞ் | ட் | ண் | த் | ந் | ன் | ப் | ம் | ய் | ர் | ற் | ல் | ள் | ழ் | வ் | ஷ | ஸ் | ஹ் | |||||||||||||||
तेलुगु | క | ఖ | గ | ఘ | ఙ | చ | ఛ | జ | ఝ | ఞ | ట | ఠ | డ | ఢ | ణ | త | థ | ద | ధ | న | ప | ఫ | బ | భ | మ | య | ర | ఱ | ల | ళ | వ | శ | ష | స | హ | ||
कन्नड़ | ಕ | ಖ | ಗ | ಘ | ಙ | ಚ | ಛ | ಜ | ಝ | ಞ | ಟ | ಠ | ಡ | ಢ | ಣ | ತ | ಥ | ದ | ಧ | ನ | ಪ | ಫ | ಬ | ಭ | ಮ | ಯ | ರ | ಱ | ಲ | ಳ | ೞ | ವ | ಶ | ಷ | ಸ | ಹ | |
मलयालम | ക | ഖ | ഗ | ഘ | ങ | ച | ഛ | ജ | ഝ | ഞ | ട | ഠ | ഡ | ഢ | ണ | ത | ഥ | ദ | ധ | ന | പ | ഫ | ബ | ഭ | മ | യ | ര | റ | ല | ള | ഴ | വ | ശ | ഷ | സ | ഹ | |
सिङ्हल | ක | ඛ | ග | ඝ | ඞ | ච | ඡ | ජ | ඣ | ඤ | ට | ඨ | ඩ | ඪ | ණ | ත | ථ | ද | ධ | න | ප | ඵ | බ | භ | ම | ය | ර | ල | ළ | ව | ශ | ෂ | ස | හ | |||
तिब्बती | ཀ | ཁ | ག | ང | ཅ | ཆ | ཇ | ཉ | ཊ | ཋ | ཌ | ཎ | ཏ | ཐ | ད | ན | པ | ཕ | བ | མ | ཡ | ར | ལ | ཝ | ཤ | ཥ | ས | ཧ | |||||||||
थाई | ก | ข | ค | ฆ | ง | จ | ฉ | ช | ฌ | ญ | ฏ | ฐ | ฑ | ฒ | ณ | ต | ถ | ท | ธ | น | ป | ผ | พ | ภ | ม | ย | ร | ล | ว | ศ | ษ | ส | ห | ||||
बर्मी | က | ခ | ဂ | ဃ | င | စ | ဆ | ဇ | ဈ | ဉ/ည | ဋ | ဌ | ဍ | ဎ | ဏ | တ | ထ | ဒ | ဓ | န | ဏ | ပ | ဖ | ဗ | ဘ | မ | ယ | ရ | ၒ | လ | ဠ | ၔ | ဝ | ၐ | ၑ | သ | ဟ |
ख्मेर | ក | ខ | គ | ឃ | ង | ច | ឆ | ជ | ឈ | ញ | ដ | ឋ | ឌ | ឍ | ណ | ត | ថ | ទ | ធ | ន | ប | ផ | ព | ភ | ម | យ | រ | ល | វ | ឝ | ឞ | ស | ហ | ||||
लाओ | ກ | ຂ | ຄ | ງ | ຈ | ສ | ຊ | ຍ | ຕ | ຖ | ທ | ນ | ປ | ຜ | ຟ | ພ | ມ | ຢ | ຣ | ລ | ວ | ຫ |
स्वर
[सम्पादन करी]एकल स्वर प्रति स्तम्भमे बामा दिस प्रदर्शित अछि आ ओ लिपिकें "क" व्यञ्जनमे मात्राक तर्ज पर दाहिना दिस अछि ।
ब्राह्मी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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देवनागरी | अ | आ | का | इ | कि | ई | की | उ | कु | ऊ | कू | ऎ | कॆ | ए | के | ऐ | कै | ऒ | कॊ | ओ | को | औ | कौ | ऋ | कृ | ॠ | कॄ | ऌ | कॢ | ॡ | कॣ | |||||
असमिया | অ | ক | আ | কা | অ্যা | ক্যা | ই | কি | ঈ | কী | উ | কু | ঊ | কূ | এ | কে | ঐ | কৈ | ও | কো | ঔ | কৌ | ঋ | কৃ | ৠ | কৄ | ঌ | কৢ | ৡ | কৣ | ||||||
बङ्गाली | অ | আ | কা | অ্যা | ই | কি | ঈ | কী | উ | কু | ঊ | কূ | এ | কে | ঐ | কৈ | ও | কো | ঔ | কৌ | ঋ | কৃ | ৠ | কৄ | ঌ | কৢ | ৡ | কৣ | ||||||||
गुरुमुखी | ਅ | ਆ | ਕਾ | ਇ | ਕਿ | ਈ | ਕੀ | ਉ | ਕੁ | ਊ | ਕੂ | ਏ | ਕੇ | ਐ | ਕੈ | ਓ | ਕੋ | ਔ | ਕੌ | |||||||||||||||||
गुजराती | અ | આ | કા | ઇ | કિ | ઈ | કી | ઉ | કુ | ઊ | કૂ | એ | કે | ઐ | કૈ | ઓ | કો | ઔ | કૌ | ઋ | કૃ | ૠ | કૄ | |||||||||||||
उड़िया | ଅ | ଆ | କା | ଇ | କି | ଈ | କୀ | ଉ | କୁ | ଊ | କୂ | ଏ | କେ | ଐ | କୈ | ଓ | କୋ | ଔ | କୌ | ଋ | କୃ | ୠ | ଌ | ୡ | ||||||||||||
तमिल | அ | க | ஆ | கா | இ | கி | ஈ | கீ | உ | கு | ஊ | கூ | எ | கெ | ஏ | கே | ஐ | கை | ஒ | கொ | ஓ | கோ | ஔ | கௌ | ||||||||||||
तेलुगु | అ | ఆ | కా | ఇ | కి | ఈ | కీ | ఉ | కు | ఊ | కూ | ఎ | కె | ఏ | కే | ఐ | కై | ఒ | కొ | ఓ | కో | ఔ | కౌ | ఋ | కృ | ౠ | కౄ | ఌ | ౡ | |||||||
कन्नड़ | ಅ | ಆ | ಕಾ | ಇ | ಕಿ | ಈ | ಕೀ | ಉ | ಕು | ಊ | ಕೂ | ಎ | ಕೆ | ಏ | ಕೇ | ಐ | ಕೈ | ಒ | ಕೊ | ಓ | ಕೋ | ಔ | ಕೌ | ಋ | ಕೃ | ಌ | ೡ | |||||||||
मलयालम | അ | ക | ആ | കാ | ഇ | കി | ഈ | കീ | ഉ | കു | ഊ | കൂ | എ | കെ | ഏ | കേ | ഐ | കൈ | ഒ | കൊ | ഓ | കോ | ഔ | കൗ | ഋ | കൃ | ൠ | ഌ | ക്ഌ | ൡ | ക്ൡ | |||||
सिंहल | අ | ක | ආ | කා | ඇ | කැ | ඈ | කෑ | ඉ | කි | ඊ | කී | උ | කු | ඌ | කූ | එ | කෙ | ඒ | කේ | ඓ | කෛ | ඔ | කො | ඕ | කෝ | ඖ | කෞ | ඍ | කෘ | ඎ | කෲ | (ඏ)[४] | (ඐ) | ||
तिब्बती | ཨ | ཨཱ | ཀཱ | ཨི | ཀི | ཨཱི | ཀཱི | ཨུ | ཀུ | ཨཱུ | ཀཱུ | ཨེ | ཀེ | ཨཻ | ཀཻ | ཨོ | ཀོ | ཨཽ | ཀཽ | རྀ | ཀྲྀ | རཱྀ | ཀཷ | ལྀ | ཀླྀ | ལཱྀ | ཀླཱྀ | |||||||||
बर्मी | အ | က | အာ | ကာ | ဣ | ကိ | ဤ | ကီ | ဥ | ကု | ဦ | ကူ | ဧ | ကေ | အေး | ကေး | ဩ | ကော | ဪ | ကော် | ၒ | ကၖ | ၓ | ကၗ | ၔ | ကၘ | ၕ | ကၙ |
अङ्क
[सम्पादन करी]0 | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | |
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ब्राह्मी | ||||||||||
देवनागरी | ० | १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ |
असमिया | ০ | ১ | ২ | ৩ | ৪ | ৫ | ৬ | ৭ | ৮ | ৯ |
बंगाली | ০ | ১ | ২ | ৩ | ৪ | ৫ | ৬ | ৭ | ৮ | ৯ |
गुरुमुखी | ੦ | ੧ | ੨ | ੩ | ੪ | ੫ | ੬ | ੭ | ੮ | ੯ |
गुजराती | ૦ | ૧ | ૨ | ૩ | ૪ | ૫ | ૬ | ૭ | ૮ | ૯ |
उड़िया | ୦ | ୧ | ୨ | ୩ | ୪ | ୫ | ୬ | ୭ | ୮ | ୯ |
तमिल | ೦ | ௧ | ௨ | ௩ | ௪ | ௫ | ௬ | ௭ | ௮ | ௯ |
तेलुगु | ౦ | ౧ | ౨ | ౩ | ౪ | ౫ | ౬ | ౭ | ౮ | ౯ |
कन्नड़ | ೦ | ೧ | ೨ | ೩ | ೪ | ೫ | ೬ | ೭ | ೮ | ೯ |
मलयालम | ൦ | ൧ | ൨ | ൩ | ൪ | ൫ | ൬ | ൭ | ൮ | ൯ |
तिब्बती | ༠ | ༡ | ༢ | ༣ | ༤ | ༥ | ༦ | ༧ | ༨ | ༩ |
बर्मी | ၀ | ၁ | ၂ | ၃ | ၄ | ၅ | ၆ | ၇ | ၈ | ၉ |
ब्राह्मी आधारित लिपिसभक सूची
[सम्पादन करी]ब्राह्मीसँ उपज भेल लिपिसभ ।
ऐतिहासिक
[सम्पादन करी]सभसँ पुरान ज्ञात लेखसभक अवशेष तेसर शताब्दी इसा पूर्वक अछि, वर्तमान समय धरि ब्राह्मी लिपिक बहुतेक क्षेत्रीय संस्करण बनि चुकल छल । ब्राह्मी लिपिक बनावट पाँचम् शताब्दी इसवीक बाद सँ आ अधिक विविध होइत गेल आ मध्य युगमे ई लगातार बहुतेक नव लिपिसभक जन्म दऽ देलक । प्राचीनकालक मुख्य विभाजन छल उत्तरी आ दक्षिणी ब्राह्मीकें बीचक । उत्तरी समूहमे गुप्त लिपिक प्रभाव अधिक छल आ दक्षिणी समूहमे हिन्दू धर्मक फैलावक साथ ग्रन्थ लिपिक माध्यम सँ सम्पूर्ण दक्षिणपूर्व एशियामे ब्राह्मी लिपिसभ फैल गेल ।
- उत्तरी ब्राह्मी
- गुप्त लिपि, ५अम शताब्दी
- शारदा, ८अम शताब्दी
- सिद्धम, ७अम शताब्दी
- फग्स्पा, १३हम शताब्दी
- नागरी, ८अम शताब्दी
- पूर्वी नागरी, ११हम शताब्दी
- देवनागरी, १३हम शताब्दी
- कैथी, सिलहटी नागरी, १६हम शताब्दी
- मोदी, १७हम शताब्दी
- नेपाल
- मिथिलाक्षर, १५अम शताब्दी
- गुप्त लिपि, ५अम शताब्दी
- दक्षिणी ब्राह्मी (तमिल ब्राह्मी, कलिङ, भट्टिप्रोलु)
- वट्टेळत्तु
- ग्रन्थ, ६ठम शताब्दी
- दिवेस अकुरु
- कावी लिपि, ८अम शताब्दी
- बटक, १४हम शताब्दी
- कदम्ब, ५अम शताब्दी
- तोचरियन लिपि ("तिरछी ब्राह्मी"), ७अम शताब्दी
- अहोम, १३हम शताब्दी
- ताई थाम (लन्ना), १४हम शताब्दी
- मैतेई मयेक लिपि
सन्दर्भ सामग्रीसभ
[सम्पादन करी]- ↑ http://www.lankalibrary.com/geo/dera1.html सङ्ग्रहित २०१७-०८-२० वेब्याक मेसिन एसयू देरानियगल, श्री लङ्कामे इतिहास-पूर्व आ आद्यऐतिहासिक बसेरा
- ↑ तेलुगु भाषा व लिपि की प्राचीनता: http://www.hindu.com/2007/12/20/stories/2007122054820600.htm
- ↑ तेलुगु भाषा व साहित्य, एस.एम.आर. अद्लुरी, file टी१ए व टी१बी: http://www.engr.mun.ca/~adluri/telugu/language/script/script1d.html सङ्ग्रहित २००९-०९-२३ वेब्याक मेसिन
- ↑ केवल प्राचीन लिखित सिंहल