सिद्धिचरण श्रेष्ठ
सिद्धिचरण श्रेष्ठ (वि.सं.१९६८ जेठ ९ – २०४९ जेठ २२) नेपालक नेपाल आ नेपाली भाषी कवि छल । हुनका नेपाल सरकार सेहो युगकविक पदवीसँ सम्मानित कएल छथि ।
जीवनी
[सम्पादन करी]सुरुवाती जीवन
[सम्पादन करी]पूर्वी नेपालक सगरमाथा अञ्चल अन्तर्गत ओखलढुंगा जिलाक तत्कालीन मालअड्डाका हाकिम (खरिदार) तथा सुमति उपन्यासका लेखक बुबा विष्णुचरण श्रेष्ठ आ माता नीरकुमारीक एक मात्र बेटाक रूपमे ओखलढुंगा बजारमे विसं १९६९ जेठ ९ गते सिद्धिचरण जन्मल ।
सिद्धिचरण जन्मल ओखलढुंगा जिलामे ओहिसमय स्कुलक नामनिशान नै छल। ब्राह्मण बालकसभ मात्र गुरुक घरमे जा रुद्री, चण्डी आ वेद पढैत छल । सिद्धिचरणक पिता दिनभर अड्डा आ डेरा आवैतकाल सेहो रातक ११/१२ बजेधरि चालु कचहरीमे व्यस्त रहल छथि तहिना माता सेहो पूजापाठमै प्रायः दिन बितावैत छथि। एहि स्थितिमे बालक सिद्धिचरणल ओखलढुंगामे सात वर्ष उमेरधरिमे केवल बाह्रखरीक मात्र अध्ययन करै पावलक । पछा वि.स.१९७६ सालमे मातापिता ओखलढुंगासँ अपन घर काठमांडू आएलवाद सिद्धिचरण सेहो सगसग काठमांडू आएल । मुदा, काठमांडूमे ओबखत स्कुलक नाममे दरबार स्कुलबाहेक आरो कोनो नै छल आ दरबार स्कुलमे सोर्सफोर्ससँ मात्र पढे पावत आ खर्च सेहो निकै लागेके कारण जेकोई अहिमे भर्ना नै होइ सकत। जेहोस्, अहिमे भर्ना भऽ पढए लगल सिद्धिचरणल १९८४ साल (१५ वर्षक उमेरमे)पाचम कक्षामे पुगतै सन्ध्या शीर्षक कविता लेखने छल ।
साहित्यिक यात्रा
[सम्पादन करी]सन्ध्या कविता उनकर २०२१ सालमे प्रकाशित कवितासंग्रह कोपिलामे संग्रहित अछि। ई कविता हुनका अखन -०६८ साल धरिक उपलब्ध पहिल कविता छी। एहि प्रकार पाच कक्षामे पढतैखाल कविता लिखला करण सिद्धिचरण स्कुल औपचारिक शिक्षा पूरा नै करै सकल। हिसाबमे कमजोर भेला करण कक्षा आठमे गेलावाद ओ स्कुल छोइड; कक्षा आठधरिक मात्र स्कुलक औपचारिक शिक्षा हासिल कैलक ।
अन्य
[सम्पादन करी]सिद्धिचरणके अंश सर्वस्वसहित १८ वर्षक कठोर काराबासक सजाय देलक । १८ वर्षक जेल सजाय भेलावादो पछा श्री ३ जुद्धक महषिर् बनल अभिलाषा सेहो पाँच वर्षपछा अर्थात् २००२ सालमे ओ रिहा भेल। कवि सिद्धिचरण अहिना जेलसँ रिहा हैस पहिल कुछ महिना अगाडि उनकर पिता विष्णुचरण श्रेष्ठक देहावसान भेल छल मुदा सिद्धिचरणके अपन पिताक दाहसंस्कारसमेत नै करै देलक ।
मृत्यु
[सम्पादन करी]उनकर मृत्यु वि.स.२०४९ जेठ २२ गते भेल छल ।
साहित्यिक विश्लेषण
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- तिम्रै सुन्दर हरियालीमा
- तिम्रै शीतल वक्षःस्थलमा
- यो कविको शैशवकाल बित्यो,
- हाँस्यो, खेल्यो, वन कुञ्ज घुम्यो
- मेरो प्यारो ओखलढुंगा !
सिद्धिचरण श्रेष्ठक कविता ओखलढुंगाक छी। ओ १९९२ सालमे (२३ वर्षक उमेर)मे ओखलढुंगा रचेने छल। इ कविता नेपाली साहित्यक एकटा प्रकृतिपरक कविता छी। ई ओखलढुंगालगायत १९९२ सालधरिमे सिद्धिचरणक निर्झर, साँझमा हिमालयको दृश्य', 'प्रातकालीन किरण', 'जूनकीरी', 'सपनाझैँ देखेँ तिनलाई', 'वर्षा आयो', 'वसन्तजहिने कविता शारदामे प्रकाशित भेल छल। खास कैर १९९२ सालधरिक सिद्धिचरणक कविता आ लक्ष्मीप्रसाद देवकोटाका सेहो शारदामे प्रकाशित कविता (मुनामदन खण्डकाव्यसमेत)तर्फ आकषिर्त हाईत प्रसिद्ध समीक्षक सूर्यविक्रम ज्ञवाली नेपाली साहित्याकाशका दुई नयाँ तारा शीर्षक समीक्षा प्रकाशित कऽ आ ओहिमे ओ लक्ष्मीप्रसाद आ सिद्धिचरणल नेपाली कविताक क्षेत्रमे लेखनाथ पौड्यालके समयके परम्परागरगत -परिष्कारवादी कविताधारसँ अलग नवीन -स्वच्छन्दतावादी कविता परम्पराके चर्चा करैते ई दुइ कवि लक्ष्मीप्रसाद आ सिद्धिचरणके 'नेपाली साहित्याकाशका दुई नयाँ तारा'क रूपमे उपस्थापित भेलावाद लक्ष्मीप्रसाद आ सिद्धिचरणक ख्याति फैलेल लगल छल।
केवल कक्षा आठधरिक मात्र स्कुलक औपचारिक शिक्षा हासिल कैर सिद्धिचरण १९९० सालमे बीए, बीएल पइढ़ लक्ष्मीप्रसाद देवकोटासग पूर्वोक्त प्रकार एकसाथ 'नेपाली साहित्याकाशका नयाँ तारा'क उपाधि पावल, सूर्यविक्रम ज्ञवालीजहिना दिग्गज समालोचकसँ―चानचुने बात नै छी । तहिना अर्थात् १९९२-९३ सालधरिमे सिद्धिचरणल औपचारिक नै भेला वादो अनौपचारिक शिक्षा अर्थात् स्व-अध्ययनसँ, अपना के काते उपर तक उठा सकेछी तथ्य प्रमाणित होइत अछि, साथै सिर्जनासँ हुनका लक्ष्मीप्रसाद देवकोटाजहिना दैवी वर प्राप्त, गडगिफ्टेड, जन्मजात कवि छ्थिन्न सेहो प्रमाणित होइत अछि। यथार्थमे खासकैर इ दुइ कवि -लक्ष्मीप्रसाद आ सिद्धिचरण सर्वप्रथम नेपाली साहित्यमे लेखनाथ, सम प्रवृतिक परिष्कारवादी काव्यधारा विपरीत स्वच्छन्दतावादी काव्यधाराक नया युगक प्रवर्तन-प्रतिष्ठापन केने छल। एहिप्रकार नया युगमे प्रवर्तक-प्रतिष्ठापक होइत लक्ष्मीप्रसाद आ सिद्धिचरण; इ कविद्वय ओही बखत, अर्थात् १९९२-९३ सालक सेरोफेरोम वस्तुतः 'युगकवि' बनल छाथि। पछा २००२ सालपछा लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा महाकविक रूपमे प्रख्यात भेल नेपाली साहित्य जगतमे 'युगकवि' उपाधि सिद्धिचरण श्रेष्ठमे सीमित आ रुढ भऽ गेल । युगकवि सिद्धिचरण १९९५ सालसँ एकतन्त्रीय जहानिया राणाशासनक विरुद्ध स्पष्टतः विद्रोही एवं क्रान्तिकारी कविक रूपमे लक्ष्मीप्रसाद देवकोटासे अग्रणी देखापरल। ई तथ्य तलक प्रसंगसभसँ स्पष्ट होइत अछि ।
१९९५ सालमे फत्तेबहादुर सिंहक सम्पादनमे प्रकाशित नेपाली विहार नामक कवितासंग्रहमे सिद्धिचरणक तीनटा नेवारी कविता राष्ट्रिय गान', 'वर्षा' र 'गंगुखुसी छापलक, जहिमे वर्षा शीर्षक कवितामे क्रान्तिबिना थन दैमखु स्वच्छ शान्ति अर्थात् 'क्रान्तिबिना यहाँ हुँदैन स्वच्छ शान्ति' पंक्ति परल छल । ई पंक्तिमे मुखरति कवि सिद्धिचरणक क्रान्तिचेत १९९६-९७ सालधरिमे उत्तरोत्तर प्रखर पावैत गेल कविका परचिय (१९९५), चम्क युवक (१९९५)जहिन कविता आ विश्वव्यथा (१९९६-९७)जहिना शोककवितासँ स्पष्ट होइत अछि । अपन चारवर्षके बेटा विश्वचरण श्रेष्ठक मृत्युशोकमे लेखिल तथा शारदाक १९९६ भदौक अंकमे कुछा अंश प्रकाशित भेल ई विश्वव्यथाक कुछ पंक्ति ई छी :
- आज नखाऔँ, नसुतौँ आओ,
- सब मिली हडताल मचाऔँ
- कसरी चल्ला विधिको सृष्टि
- लौ त्यसको पाइन हेरौँ !
ओही बखत स्वेच्छाचारी क्रूर जहानिया राणाशासनक समयमे कवि सिद्धिचरणक अहिने खुलेआम विद्रोह अपनावैत खालक अभिव्यक्तिसँ तत्कालीन निरंकुश शासनसँ मात्र नै, अपितु सृष्टिकर्ता स्वयं परमेश्वरसग सेहो विद्रोह कैर अति आतुर रहल खुलासा भेल।
वास्तवमे कवि सिद्धिचरण अपन उपर्युल्लिखित कवितासभमे ओहिबखत जनमानसमे भित्रर गुसै गेल आ आरो कोई मुखरति तुलना नै सकल एकतन्त्रीय क्रूर जहानिया राणाशासनविरोधी युगीन विद्रोह आ क्रान्तिक आवाजके नै वाणी दिन अग्रसर रहल।
सेवा, पेसा आ संलग्नता
[सम्पादन करी]- १. भूकम्प पीडितोद्वार समितिका कारिन्दा(१९९०)
- २. शारदाका सम्पादक(१९९१)
- ३. दैनिक आवाज पत्रिकाका प्रधान सम्पादक(२००७)
- ४. कविता पत्रिकाका संस्थापक(२०१२)
- ५. नेपाल राजकीय प्रज्ञा-प्रतिष्ठानका सदस्य(२०१४)
- ६. कविता प्रतिकाका प्रधान सम्पादक(२०१८)
- ७. शारदा पत्रिककाका सम्पादक(२०२२)
- ८. कविता महोत्सबका संस्थापक(२०२२)
- ९. राजसभा स्थायी समितिका सदस्य(२०२८)
कृति
[सम्पादन करी]कविता संग्रह
[सम्पादन करी]- १. मेरो प्रतिबिम्ब (२०२१),
- २. कोपिला (२०२१),
- ३. कुहिरो र घाम (२०४५),
- ४. सिद्धिचरणका प्रतिनिधि कविता (२०४५),
- ५. तिरमिर तारा (२०४६) आ
- ६. बाँचिरहेको आवाज (२०४६)
खण्डकाव्य
[सम्पादन करी]- १. उर्वशी (२०१७),
- २. ज्यानमारा शैल (२०२३),
- ३. मंगलमान (२०४९)आ
- ४. आँसु (२०५०)
सम्मान/पुरुस्कार
[सम्पादन करी]- भूकम्प तक्मा (१९९०),
- त्रिभुवन पुरुस्कार (२०२७),
- रत्नश्री सुवर्ण पदक (२०३१),
- पृथी प्रज्ञा पुरुस्कार (२०४५),
- बेधनिधि पुरुस्कार (२०४६),
- गोरखा दक्षिण बाहु,
- त्रिशक्तपट्ट आ
- श्रीरामपट्ट[१]
सन्दर्भ सामग्रीसभ
[सम्पादन करी]- ↑ नेपाली कविता आ आख्यान- मोहनराज शर्मा आ खगेन्द्रप्रसाद लुइँटेल