बाबाधाम
वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर | |
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![]() तेलीय चित्र, सन् १७८२ | |
निर्देशाङ्क: | २४°२९′३३″उ॰ ८६°४२′००″पू॰ / २४.४९२५०°N ८६.७००००°Eनिर्देशाङ्क: २४°२९′३३″उ॰ ८६°४२′००″पू॰ / २४.४९२५०°N ८६.७००००°E |
अवस्थिति | |
देश: | भारत |
राज्य: | झारखण्ड |
जिला: | देवघर |
कला आ संस्कृति | |
मुख्य देवता: | बाबा वैद्यनाथ (भगवान शिव) |
प्रमुख पर्व: | महाशिवरात्रि |
मन्दिरसभक सङ्ख्या: | २२ |
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि | |
निर्माणकर्ता: | अज्ञात |
मन्दिर सञ्चालक: | बाबा बैद्यनाथ मन्दिर प्रबन्ध परिषद |
वेबसाइट: | babadham.org |
वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर (अङ्ग्रेजी:Baidyanath Temple) द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग म एक ज्योतिर्लिङ्ग क पुराणकालीन मन्दिर छी जे भारतवर्षक राज्य झारखण्डमे अतिप्रसिद्ध देवघर नामक स्थान पर अवस्थित अछि ।[१][२] पवित्र तीर्थ स्थल कारण लोग वैद्यनाथ धाम सहो कहैत अछि । जहि ठाम पर ई मन्दिर स्थित अछि ओ स्थानके "देवघर" अर्थात देवतासभक घर कहैत अछि । बैद्यनाथ ज्योतिर्लिङ्ग स्थित होमएके कारण ई स्थानक देवघर नाम मिलल अछि। ई ज्योतिर्लिङ्ग एक सिद्धपीठ अछि । कहल जाएत अछि कि ई ठाम पर आबै वालाक सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ण होएत अछि । आहि कारणस ई लिङ्गक "कामना लिङ्ग" सहो कहल जाएत अछि ।
स्थापना आ कथा[सम्पादन करी]
ई लिङ्गक स्थापना कालके इतिहास ई अछि कि एक बार राक्षसराज रावण हिमालय पर जा शिवजी के प्रसन्नताक लेल घोर तपस्या कएलक आ अपन सिर काटि-काटि शिवलिङ्ग पर चढाबैलेल शुरू करि देलक । एक-एक करि नौ सिर चढाबैक बाद दसम् सिर सेहो काट लेल छल कि शिवजी प्रसन्न भ प्रकट भ गेल । ओ हुनकर दसु सिर ज्यों-के-त्यों करि देलक आ रावण सँ वरदान माँगै लेल कहलक । रावण लंकामे जा ओ लिङ्गके स्थापित करैक लेल ओकरा ल जाए के आज्ञा माँग कएलक । शिवजी अनुमति त द देलखिन, मुदा ई चेतावनीक संग देलक कि यदि मार्गमे एकरा पृथ्वी पर राखि देभी त ओ ओतय अचल भ जाएत । अन्ततोगत्वा वाहि भेल । रावण शिवलिङ्ग ल चल लागल मुदा मार्गमे एक चिताभूमि एला पर ओकरा लघुशङ्का निवृत्ति क आवश्यकता भेल । रावण ओ लिङ्ग के एक अहीरक थमा लघुशङ्का-निवृत्ति करै लेल चलि गेल । एमहर ओ अहीर सँ लिङ्ग बहुत अधिक भारी अनुभव करि भूमि पर राखि देलक । फेर की छल, घुमला पर रावण पूरी शक्ति लगाए लिङ्ग नै उखाडि सकल आ निराश भ मूर्ति पर अपन अँगूठा गाडि लंका के लेल प्रस्थान कएलक । एमहर ब्रह्मा, विष्णु आदि देवतासभ आबि ओ शिवलिङ्गक पूजा कएलक । शिवजीक दर्शन होएते सभ देवी देवतासभ शिवलिङ्ग के वाहि स्थान पर प्रतिस्थापना करि देलक आ शिव-स्तुति करति वापस स्वर्ग चलि गेल । जनश्रुति व लोक-मान्यताक अनुसार ई वैद्यनाथ-ज्योतिर्लिङ्ग मनोवाञ्छित फल देव वाला छी ।