सामग्री पर जाएँ

सुग्रीव

मैथिली विकिपिडियासँ, एक मुक्त विश्वकोश

सुग्रीव रामायणक एक प्रमुख पात्र छी। ओ वालि कऽ अनुज छी। हनुमानक कारण रामसँ हुनकर मित्रता भेल छल। वाल्मीकि रामायणमे किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड आर युद्धकाण्डमे सुग्रीवक वर्णन वानरराजक रूपमे कएल गेल अछि। जखन रामसँ हुनकर मित्रता भेल तखन ओ अपन अग्रज वालिक भयसँ ऋष्यमूक पर्वत पर हनुमान आर किछ अन्य प्रियजन रीछ (ॠक्ष) (जामवन्त) तथा वानर सेनापतिसभक सँग रहि रहल छल। लङ्का पर चढ़ाईक लेल सुग्रीव द्वारा वानर आर ॠक्ष सेनाक प्रबन्ध कएल गेल छल।

वालिसँ वैर

[सम्पादन करी]
राम-सुग्रीव मिलाप

दुंदुभिक बड़का भाए मायावीक वालिसँ कोनो स्त्रीक लकऽ बड़ पुरान शत्रुता छल। मायावी एक राति किष्किन्धा आएल आ वालि कऽ द्वंद्वक लेल ललकारि देलक। ललकार स्वीकार करि वालि ओही असुरक पाछा भागल। सँगमे सुग्रीव सहो हुनकर सँग छल। भयके कारण भागति काल मायावी जमीनक नीचा बनल एक कन्दरामे घुसि गेल। वालि सहो ओकर पाछा-पाछा गेल। जाईसँ पहिने ओ सुग्रीव कऽ ई आदेश देलक कि जखन धरि ओ मायावीक वध करिके घुमि नै आबैत, तखन धरि सुग्रीव ओहि कन्दराक मुहान पर खड़ा भऽ पहरा दी। एक वर्षसँ अधिक अन्तरालक पश्चात कन्दराके मुहानसँ रक्त बहति बाहर आएल। सुग्रीव द्वारा असुरक चीत्कार तऽ सुनल परन्तु वालिक नै। एही समझकऽ कि हुनकर अग्रज रणमे मारल गेल, सुग्रीव द्वारा ओ कन्दराके मुँह कऽ एक शिलासँ बन्द करि देलक आ वापस किष्किन्धा चलि गेल जब ओ ई समाचार सबकऽ सुनेलनि ।[] मन्त्रिसभ द्वारा सलाह करि सुग्रीवक राज्याभिषेक करि देलगेल। किछ समय पश्चात वालि प्रकट भेल आ अपन अनुज कऽ राजा देखि बहुत कुपित भेल। सुग्रीव द्वारा हुनका समझाबऽ कऽ भरसक प्रयत्न केलनि परन्तु वालि द्वारा हुनकर कोनो बात नै सुनी आर सुग्रीवके राज्य तथा पत्नी रूमा कऽ हड़पि कऽ हुनका देश-निकाला कऽ देलनि। डरके कारण सुग्रीव द्वारा ऋष्यमूक पर्वतमे शरण लेलक जहिठाम शापके कारण वालि नै जा सकैत छल। अही ठाम सुग्रीव कऽ मिलाप हनुमानक कारण रामसँ भेल।[]


सुग्रीव-वालि द्वंद्व

[सम्पादन करी]

लक्ष्मण कऽ शान्त करनाइ

[सम्पादन करी]
तारा आ सुग्रीव लक्ष्मणक सँग

लंका युद्धमे

[सम्पादन करी]
राम आ लक्ष्मण सुग्रीवसँ युद्धक मन्त्रणा करैत


बाह्य जडीसभ

[सम्पादन करी]

सन्दर्भ सामग्रीसभ

[सम्पादन करी]
  1. "मायावीक वध", मूलसँ २००९-०९-२१ मे सङ्ग्रहित, अन्तिम पहुँच २०१२-०५-०१  |dead-url= प्यारामिटर ग्रहण नहि कएल (सहायता)
  2. "सुग्रीवसँ वैर", मूलसँ २०१२-०२-१७ मे सङ्ग्रहित, अन्तिम पहुँच २०१२-०५-०१  |dead-url= प्यारामिटर ग्रहण नहि कएल (सहायता)

एहो सभ देखी

[सम्पादन करी]