वसन्त पञ्चमी
वसन्त पञ्चमी Vasant Panchami | |
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![]() वसन्त कऽ पर्व | |
आधिकारिक नाम | वसन्त पञ्चमी |
अन्य नाम |
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समुदाय |
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पूजन सम्बन्धित रङ्ग | पियर |
पावनिसभ | पूजा आ सामाजिक कार्यसभ |
तिथि | माघ शुक्ल पञ्चमी |
वसन्त पञ्चमी हिन्दूसभक पर्व छी । ई दिन विद्याक देवी सरस्वतीक पूजा कएल जाइत अछि । ई पूजा पूर्वी भारत आ नेपालमे हर्ष उल्लासक साथ मनाएल जाइत अछि । ई दिन महिलासभ पियर वस्त्र धारण करैत अछि । ई पर्व वेदाङ्गज्योतिषकालमे वसन्त ऋतु मधु (आर्तव चैत्रमास) मासमे मनाएल जाइत छल । बादमे मात्र वार्हस्पत्यसंत्सरक निरयण माघ शुक्ल पञ्चमीमे मनवैलेल सुरु कएल गेल । जकरा एखनो वसन्त पञ्चमी कहल जाइत अछि ।
प्राचीन भारत आ नेपालमे पूरे सालके जे छ मौसमसभमे बाँटल जाइत छल ओहिमे वसन्त लोकसभक सभसँ मोन पोसन्द मौसम छल । जखन फूलसभ पर बहार आएल जाइत अछि, खेतमे सैरसो कऽ सोना चमके लगैत, जौ आ गहूँम कऽ बाली फले लगैत अछि , आमसभक गाछ पर मझर आवि जाइत आ हर दिशामे रङ्ग-बिरंगी पुतलीसभ मँडरावे लगैत अछि। वसन्त ऋतुक स्वागत करैक लेल माघ महिनाक पाँचम दिन एक बडका समारोह मनावल जाइत छल जाहीमे विष्णु आ कामदेवक पूजा होइत, इ वसन्त पञ्चमीक पावनि कहलावैत छल ।