स्वामी दयानन्द सरस्वती
स्वामी दयानन्द सरस्वती Dayananda Saraswati | |
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जन्म | मूलशङ्कर तिवारी / ब्रह्मचारी जंका शुद्ध चैतन्य १२ फरबरी १८२४ टंकारा, गुजरात |
मृत्यु | ३० अक्टुबर १८८३ अजमेर, राजस्थान | (५९ वर्ष)
राष्ट्रियता | भारतीय |
उपाधि/सम्मान | सिन्धी मारहू |
खोजकर्ता छी | आर्य समाज |
गुरू | विरजानन्द दण्डीश |
दर्शन | वेदसभक दिस चली |
साहित्यिक काजसभ | सत्यार्थ प्रकाश (१८७५) |
Influence on
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महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (१८२४-१८८३) आधुनिक भारतक महान चिन्तक, समाज-सुधारक आ देशभक्त छलाह । हिनकर वाल्य कालक नाम 'मूलशङ्कर'[१] छल ।
हिनका द्वारा १८७४मे एकटा महान आर्य समाज सुधारक सङ्गठन - आर्य समाजक स्थापना कएल गेल छल । ओ एक सन्यासी आ एक महान चिन्तक छलाह । ओ वेदसभक सत्ताकऽ सदैब सर्वोपरी मानैत छल । स्वामीजी द्वारा कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य आ सन्यास कऽ अपन दर्शनक चारि स्तम्भ बनौलक । हिनका द्वारा सबसँ पहिल १८७६ में 'स्वराज्य'क नारा देल गेल जकर बादमे लोकमान्य तिलक द्वारा आगा बढ़ाओल गेल छल ।
स्वामी दयानन्दक विचार सँ प्रभावित महापुरुषसभक सङ्ख्या अङ्ख्य अछि, एहिमे प्रमुख नाम अछि- मादाम भिकाजी कामा, पण्डित लेखराम आर्य, स्वामी श्रद्धानन्द, पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी, श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर, लाला हरदयाल, मदनलाल ढींगरा, राम प्रसाद 'बिस्मिल', महादेव गोविन्द रानडे, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय इत्यादि। स्वामी दयानन्दक प्रमुख अनुयायिसभमे लाला हंसराज द्वारा १८८६ में लाहौरमे 'दयानन्द एंग्लो वैदिक कलेज'क स्थापना कएल गेल आ स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा १९०१में हरिद्वारक लग कांगड़ीमे गुरुकुलक स्थापना कएल गेल ।
प्रारम्भिक जीवन[सम्पादन करी]
ज्ञानक खोज[सम्पादन करी]
ज्ञान प्राप्तिक पश्चात[सम्पादन करी]
आर्य समाजक स्थापना[सम्पादन करी]
वैचारिक आन्दोलन, शास्त्रार्थ एवं व्याख्यान[सम्पादन करी]
समाज सुधारक कार्य[सम्पादन करी]
स्वराज्यक प्रथम सन्देशवाहक[सम्पादन करी]
क्रान्तिकऽ विमर्श[सम्पादन करी]
अङ्ग्रेजके कड़ा जवाब[सम्पादन करी]
हत्याक षड्यन्त्र[सम्पादन करी]
अन्तिम शब्द[सम्पादन करी]
स्वामी दयानन्दक योगदानके सम्बन्धमे महापुरुषसभक विचार[सम्पादन करी]
लेखन आ साहित्य[सम्पादन करी]
आर्योद्देश्यरत्नमाला[सम्पादन करी]
गोकरुणानिधि[सम्पादन करी]
व्यवहारभानु[सम्पादन करी]
स्वीकारपत्र[सम्पादन करी]
संस्कृतवाक्यप्रबोधः[सम्पादन करी]
एहो सभ देखी[सम्पादन करी]
बाह्य जडीसभ[सम्पादन करी]
- समाज-सुधारक स्वामी दयानंद (राजश्री कासलीवाल)
- नवजागरण के पुरोधा स्वामी दयानंद (अमर उजाला)
- स्वामी दयानंद के जीवन पर विशेष बातचीत
- महर्षि दयानन्द द्वारा लिखित व प्रकाशित ग्रन्थों पर एक दृष्टि (मनमोहन आर्य)
- ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका
- यजुर्वेद भाष्य
- महर्षि दयानन्द का मोक्षविषयक चिन्तन (ज्ञानवाक्)
सन्दर्भ सामग्रीसभ[सम्पादन करी]
- ↑ Madhur Athaiya (1971). Swami Dayanand Saraswati. National Council of Educational Research and Training. आइएसबिएन 978-93-5048-418-0. https://books.google.com/books?id=aFhvBQAAQBAJ.