रुद्राष्टकम्

मैथिली विकिपिडियासँ, एक मुक्त विश्वकोश
ई बक्साके: देखु  संवाद  सम्पादन

हिन्दू धर्म
पर एक श्रेणीक भाग

Om
इतिहास · देवता
सम्प्रदाय · आगम
विश्वास आ दर्शनशास्त्र
पुनर्जन्म · मोक्ष
कर्म · पूजा · माया
दर्शन · धर्म
वेदान्त ·योग
शाकाहार  · आयुर्वेद
युग · संस्कार
भक्ति {{हिन्दू दर्शन}}
ग्रन्थ
वेदसंहिता · वेदांग
ब्राह्मणग्रन्थ · आरण्यक
उपनिषद् · श्रीमद्भगवद्गीता
रामायण · महाभारत
सूत्र · पुराण
शिक्षापत्री · वचनामृत
सम्बन्धित विषय
दैवी धर्म ·
विश्वमे हिन्दू धर्म
गुरु · मन्दिर देवस्थान
यज्ञ · मन्त्र
शब्दकोश · हिन्दू पर्व
विग्रह
पोर्टल: हिन्दू धर्म

हिन्दू मापन प्रणाली

श्री रुद्राष्टकम् (संस्कृत:श्री रुद्राष्टकम्) स्तोत्र महाज्ञानी लंकेश रावण या दशाननद्वारा भगवान् शिवक स्तुति हेतु रचित एवम प्रथम गायित अछि । एकर उल्लेख श्री रामचरितमानसक उत्तर काण्डमे आबति छै ।

श्री रुद्राष्टकम्[सम्पादन करी]

शिवके समर्पित ई स्तोत्र तुलसीदासक रामचरितमानस सँ लेल गएल अछि ।

॥ अथ रुद्राष्टकम् ॥

नमामीशमीशान निर्वाणरूपम् ।
विभुम् व्यापकम् ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजम् निर्गुणम् निर्विकल्पम् निरीहम् ।
चिदाकाशमाकाशवासम् भजेऽहम् ॥१॥

निराकारमोङ्कारमूलम् तुरीयम् ।
गिराज्ञानगोतीतमीशम् गिरीशम् ।
करालम् महाकालकालम् कृपालम् ।
गुणागारसंसारपारम् नतोऽहम् ॥२॥

तुषाराद्रिसङ्काशगौरम् गभीरम् ।
मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारुगङ्गा ।
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥३॥

चलत्कुण्डलम् भ्रूसुनेत्रम् विशालम् ।
प्रसन्नाननम् नीलकण्ठम् दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरम् मुण्डमालम् ।
प्रियम् शङ्करम् सर्वनाथम् भजामि ॥४॥

प्रचण्डम् प्रकृष्टम् प्रगल्भम् परेशम् ।
अखण्डम् अजम् भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयः शूलनिर्मूलनम् शूलपाणिम् ।
भजेऽहम् भवानीपतिम् भावगम्यम् ॥५॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी ।
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारि ।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारि ।
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि ॥६॥

न यावद् उमानाथपादारविन्दम् ।
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखम् शान्ति सन्तापनाशम् ।
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥७॥

न जानामि योगम् जपम् नैव पूजाम् ।
नतोऽहम् सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानम् ।
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥८॥

रुद्राष्टकमिदम् प्रोक्तम् विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषाम् शम्भुः प्रसीदति॥

॥ इति श्री रुद्राष्टकम् सम्पूर्णम् ॥


भगवान रुद्रक यी अष्टक शंकर जी कs स्तुतिक लेल छै । जे मनुष्य एकरा प्रेमस्वरूप पढ़ति छै , श्रीशंकर जी अहि सं प्रसन्न होति अछि ।

एहो सभ देखी[सम्पादन करी]

click to go to a copy of this page as wikisource.org page having Hindi text of शिव रुद्राष्टक