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सत्यजीत राय

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सत्यजीत राय
Satyajit Ray
राय न्यूयोर्कमे (१९८१)
जन्म(१९२१-०५-०२)२ मई १९२१
मृत्यु२३ अप्रैल १९९२(१९९२-०४-२३) (७० वर्ष)
राष्ट्रियताब्रिटिश भारतीय (१९२१–१९४७)
भारतीय (१९४७–१९९२)
मातृसंस्थाकलकत्ता विश्वविद्यालय
व्यवसायनिर्देशक, निर्माता, पटकथा लेखक, गीतकार, सङ्गीतकार, कलगर, इलुस्ट्रेटर, लेखक
सक्रिय वर्ष१९५०–१९९२
उचाइ६ फिट ४ इन्च (१.९३ मि.) []
जीवनसाथी(सभ)बिजोया राय (वि. १९४९१९९२)
बालबच्चासन्दीप राय (पुत्र)
अभिभावक(सभ)सुकमार राय (पिता)
सुप्रभा राय (माता)
सम्बन्धीउपेन्द्र किशोर राय चौधरी (दादा)


सत्यजीत राय (बङ्गाली: About this sound সত্যজিৎ রায়  शत्तोजित् राय्) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय चलचित्र निर्देशक छल, जकरा बीसम शताब्दीक सर्वोत्तम चलचित्र निर्देशकसभमे गिन्ती कएल जाइत अछि ।[][][] रायक जन्म कलासाहित्यक जगतमे जानल मानल कोलकाता (तखन कलकत्ता) कऽ एक बङ्गाली परिवारमे भेल छल । हिनकर शिक्षा प्रेसिडेन्सी कौलेजविश्व-भारती विश्वविद्यालयमे भेल छल । ओ अपन करियरक शुरुवात व्यवसायिक चित्रकारक रुपमे केनए छल । फ्रान्सिसी चलचित्र निर्देशक जाँ रन्वार सँ भेट भेलाक बाद आ लन्डनमे इटालियन चलचित्र लाद्री दी बिसिक्लेत (बाइसाइकल चोर) देखलाक बाद चलचित्र निर्देशनक दिशामे हिनकर चाह बढल छल ।

राय अपन जीवन मे ३७ चलचित्रसभक निर्देशन केनए छल, जहिमे मुख्य चलचित्रसभ, वृत्त चित्रलघु चलचित्रसभ शामिल अछि । हिनकर पहिल चलचित्र पथेर पाञ्चाली (পথের পাঁচালী, पथक गीत) कान चलचित्रोत्सवमे 'सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख' पुरस्कार प्राप्त केनए छल । अपन जीवनकालमे हुनका कूल मिलाए ११ अन्तर्राष्ट्रिय पुरस्कार प्राप्त भेल छल । हुनकाद्वारा निर्देशित चलचित्र पथेर पाञ्चाली (পথের পাঁচালী, पथक गीत), अपराजितो (অপরাজিত, अपराजित) आ अपुर संसार (অপুর সংসার, अपूर्ण संसार) हिनकर प्रसिद्ध अपु त्रयीमे शामिल अछि । राय चलचित्र निर्माण सँ सम्बन्धित अनेकन काम स्वयम् करैत छल — पटकथा लिखनाए, अभिनेता खोजनाए आ ओ एक कुशल चलचित्र आलोचक सेहो छल । हुनका अपन जीवनकालमे अनेकन पुरस्कार आ सम्मान प्राप्त भेल जहिमे एकेडेमी मानद पुरस्कारभारत रत्न मुख्य छी ।


जीवनी

प्रारम्भिक जीवन एवं शिक्षा

सत्यजीत राय के वंशक कम सँ कम दश पीढिसभ पहिने धरि के जानकारी मौजूद अछि।[] हुनकर दादा उपेन्द्रकिशोर राय चौधरी लेखक, चित्रकार, दार्शनिक, प्रकाशक आ अपेशेवर खगोलशास्त्री छल। ओ साथ ही ब्राह्म समाज के नेता सेहो छल। उपेन्द्रकिशोर के पुत्र सुकुमार राय लकीर सँ हटिके बाङ्ग्ला मे बेतुकी कविता लिखलक्। ओ योग्य चित्रकार आ आलोचक सेहो छल। सत्यजीत राय सुकुमार आ सुप्रभा राय के पुत्र छल। हुनकर जन्म कोलकाता मे भेल। जखन सत्यजीत केवल तीन वर्ष के छल तँ हुनकर पिता के देहान्त भऽ गेल छल। हुनकर परिवार के सुप्रभाक मामूली तलब पर गुजारा करए पडल। राय कोलकाता के प्रेजीडेन्सी कलेज सँ अर्थशास्त्र पढलक्, मुद्दा हुनकर रुचि हरदम हि ललित कलासभ मे ही रहल। १९४० मे हुनकर माता आग्रह केलक कि ओ गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित विश्व-भारती विश्वविद्यालय मे आगा पढे। राय के कोलकाताक वातावरण पसन्द छल आ शान्तिनिकेतन के बुद्धिजीवी जगत सँ ओ खास प्रभावित नै छल।[] माता के आग्रह आ ठाकुर के प्रति हुनकर आदर भावक कारण सँ अन्ततः ओ विश्व-भारती जाए के निश्चय केलक। शान्तिनिकेतन मे राय पूर्वी कला सँ बहुत प्रभावित भेल। बाद मे ओ स्वीकार केलक कि प्रसिद्ध चित्रकार नन्दलाल बोस[]बिनोद बिहारी मुखर्जी सँ ओ बहुत किछ सीखलक्। मुखर्जी के जीवन पर ओ बाद मे एक वृत्तचित्र द इनर आई सेहो बनौलक् अजन्ता, एलोराएलिफेन्टा की गुफाओं के देखि के बाद ओ भारतीय कला के प्रशंसक बनि गेल।[]

चित्रकला

१९४३ मे पाँच सालक कोर्स पूरा करै सँ पहिने राय शान्तिनिकेतन छोडि देलक आ कोलकाता वापस आवि गेल जतय ओ ब्रिटिश विज्ञापन अभिकरण डी. जे. केमर मे कार्य केनाए शुरु केलक। हिनकर पदके नाम “लघु द्रष्टा” (“junior visualiser”) छल आ महिना के केवल अस्सी रुपैयाक तलब छल। मुद्दा दृष्टि रचना राय के बहुत पसन्द छल आ हुनकर साथ अधिकतर बढिया ही व्यवहार कएल जाइत छल, मुद्दा एजेन्सी के ब्रिटिश आ भारतीय कर्मीसभक बीच किछ खिचाव रहैत छल किया कि ब्रिटिश कर्मीसभक अधिक तलब मिलैत छल। साथ ही राय के लगैत छल कि “एजेन्सी के ग्राहक प्रायः मूर्ख होएत छल”।[] १९४३ के लगभग ही ओ डी.के. गुप्ता द्वारा स्थापित सिग्नेट प्रेस के साथ सेहो काम करै लगल। गुप्ता राय कोके प्रेस मे छपै वाला नयाँ किताबसभक मुखपृष्ठ रचै के कहलक् आ पूरा कलात्मक मुक्ति देलक। राय बहुत किताबसभक मुखपृष्ठ बनौलक्, जाहिमे जिम कार्बेट के म्यान-ईटर्स अफ कुमाऊँ (Man-eaters of Kumaon, कुमाऊँ के नरभक्षी) आ जवाहर लाल नेहरु के डिस्कभरी अफ इन्डिया (Discovery of India, भारत की खोज) शामिल अछि। ओ बाङ्ग्ला के जानल-मानल उपन्यास पथेर पाञ्चाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) के बाल संस्करण पर सेहो काम केलक, जेकर नाम छल आम आँटिर भेँपु (আম আঁটির ভেঁপু, आम की गुठली की सीटी)। राय ई रचना सँ बहुत प्रभावित भेल आ अपन पहिल चलचित्र एही उपन्यास पर बनाएल गेल। मुखपृष्ठ के रचना करवाक साथ ओ ई किताब के भितर के चित्र सेहो बनौलक्। एहीमे सँ बहुत सँ चित्र हुनकर चलचित्र के दृश्यसभमे दृष्टिगोचर होएत अछि।[१०]

राय दुइटा नयाँ फन्ट सेहो बनौलक् — “राय रोमन” आ “राय बिजार”। राय रोमन के १९७० मे एक अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता मे पुरस्कार मिलल छल। कोलकाता मे राय एक कुशल चित्रकार मानल जाइत छल। राय अपन पुस्तकसभक चित्र आ मुखपृष्ठ स्वयम् ही बनावैत छल आ चलचित्रसभक लेल प्रचार सामग्री के रचना सेहो स्वयम् ही करैत छल।

चलचित्र निर्देशन

१९४७ मे चिदानन्द दासगुप्ता आ अन्य लोगसभक साथ मिलि के राय कलकत्ता चलचित्र सभा शुरु केलक, जाहिमे हुनका अनेकौं विदेशी चलचित्रसभ देखवाक अवसर मिलल। ओ द्वितीय विश्वयुद्ध मे कोलकाता मे स्थापित अमरीकन सैनिकसभ सँ दोस्ती करि लेनए अछि जे हुनका शहर मे देखाएल जा रहल नयाँ-नयाँ चलचित्रसभक बारे मे सूचना दैत छल। १९४९ मे राय दूर की रिश्तेदार आ लम्बे समय सँ हुनकर प्रियतमा बिजोय राय सँ विवाह केलक। हुनका एकटा बेटा भेल, सन्दीप, जे अखन स्वयम् चलचित्र निर्देशक छी। एही साल फ्रान्सीसी चलचित्र निर्देशक जाँ रन्वार कोलकाता मे अपन चलचित्र के शूटिङ्ग करै मे आएल। राय देहात मे उपयुक्त स्थान खोजवाक मे रन्वार के सहायता केलक। राय हुनका पथेर पाञ्चाली पर चलचित्र बनावेक अपन विचार बतौलक् तँ रन्वार हुनका एही लेल प्रोत्साहित केलक।[११] १९५० मे डी.जे. केमर राय के एजेन्सी के मुख्यालय लन्दन भेजलक्। लन्दन मे बिताएल तीन महिनामे राय ९९ चलचित्रसभ देखलक्। एहीमे शामिल छल, वित्तोरियो दे सीका के नवयथार्थवादी चलचित्र लाद्री दी बिसिक्लेत्ते (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) जे हुनका भितर धरि प्रभावित केलक। राय बाद मे कहलक् कि ओ सिनेमा सँ बाहर आएल तँ चलचित्र निर्देशक बनवाक के लेल दृढसङ्कल्प लेनए छल।[१२]

चलचित्रसभमे मिलल सफलता सँ रायक पारिवारिक जीवनमे अधिक परिवर्तन नै आएल। ओ अपन माँ आ परिवार के अन्य सदस्यसभक साथ ही एक भाडा के मकान मे रहैत रहल।[१३] १९६० के दशक मे राय जापान के यात्रा केलक आ ओतय जानल-मानल चलचित्र निर्देशक अकीरा कुरोसावा सँ मिलल। भारत मे सेहो ओ अक्सर शहर के भागम-भाग वाला माहौल सँ बचै के लेल दार्जीलिङ्ग वा पुरी जेहन जगह पर जाके एकान्त मे कथानक पूरा करैत छल।

बीमारी एवं निधन

१९८३ मे चलचित्र घरे बाइरे (ঘরে বাইরে) पर काम करैत समय राय के दिल के दौरा पडल जाहिसँ हुनकर जीवन के बाँकी ९ सालसभमे हुनकर कार्य-क्षमता बहुत कम भऽ गेल। घरे बाइरे के छायाङ्कन राय के पुत्र के सहायता सँ १९८४ मे पूरा भेल। १९९२ मे हृदय के दुर्बलता के कारण रायक स्वास्थ्य बहुत बिगडि गेल, जाहिसँ ओ कखनो उभर नै पावलक्। मृत्यु सँ किछ ही सप्ताह पहिने हुनका सम्मानदायक एकेडेमी पुरस्कार देल गेल। २३ अप्रैल १९९२ मे हुनकर देहान्त भऽ गेल। हुनकर मृत्यु होए पर कोलकाता शहर लगभग ठहर गेल आ हजारौँ लोग हुनकर घर पर हुनका श्रद्धाञ्जली दैके लेल आएल।[१४]

चलचित्रसभ

अपु के वर्ष (१९५०–५८)

राय निश्चय करि रखने छल कि हुनकर पहिल चलचित्र बाङ्गला साहित्य के प्रसिद्ध बिल्डुङ्ग्सरोमान पथेर पाञ्चाली पर आधारित होएत, जेकरा बिभूतिभूषण बन्द्योपाध्याय १९२८ मे लिखने छल। ई अर्ध-आत्मकथात्मक उपन्यास मे एक बङ्गाली गाम् के लडका अपु के बडका होए के कहानी अछि। राय लन्दन सँ भारत फिर्ता होएत समुद्रयात्रा के दौरान ई चलचित्र के रूपरेखा तैयार केलक। भारत पहुँचलाक बाद राय एक कर्मीदल एकत्रित केलक जाहिमे क्यामेराम्यान सुब्रत मित्र आ कला निर्देशक बन्सी चन्द्रगुप्ता के बाहेक कोनो दोसर के चलचित्रसभक अनुभव नै छल। अभिनेता सेहो लगभग सभ गैरपेशेवर छल। चलचित्रक छायाङ्कन १९५२ मे शुरु भेल। राय अपन जमापूञ्जी ई चलचित्र मे लगा देलक, ई आशा मे कि पहिने किछ शट लेए पर कतौ सँ पैसा मिल जाएत, मुद्दा एहन नै भेल। पथेर पाञ्चाली के छायाङ्कन तीन वर्ष के लम्बा समय मे भेल — जखन सेहो राय वा निर्माण प्रबन्धक अनिल चौधरी कतौ सँ पैसा के जुगाड करि पावैत छल, तखन छायाङ्कन भऽ पावैत छल। राय एहन स्रोत सँ धन लेए सँ मना करि देलक जे कथानक मे परिवर्तन करवाक चाहैत छल वा चलचित्र निर्माताक निरीक्षण करवाक चाहैत छल। १९५५ मे पश्चिम बङ्गाल सरकार चलचित्र के लेल किछ ऋण देलक जाहिसँ आखिरकार चलचित्र पूरा भेल। सरकार सेहो चलचित्र मे किछ बदलाव करावे के चाहलक् (ओ चाहैत छल कि अपु आ ओकर परिवार एक “विकास परियोजना” मे शामिल होए आ चलचित्र सुखान्त होए) मुद्दा सत्यजीत राय एही पर कोनो ध्यान नै देलक।[१५]

पथेर पाञ्चाली १९५५ मे प्रदर्शित भेल आ बहुत लोकप्रिय रहल। भारत आ अन्य देशसभमे सेहो ई लम्बा समय धरि सिनेमा मे लगल रहल। भारत के आलोचकसभ एकरा बहुत सराहालक्। द टाइम्स अफ इन्डिया लिखलक् — “एकर कोनो आओर भारतीय सिनेमा सँ तुलना करनाए निरर्थक अछि। [...] पथेर पाञ्चाली तँ शुद्ध सिनेमा अछि।”[१६] अमरीका मे लिन्डसी एन्डरसन चलचित्र के बारे मे बहुत बढिया समीक्षा लिखलक्।[१६] मुद्दा सभ आलोचक चलचित्र के बारे मे ओतेक उत्साहित नै छल। फ्रास्वा त्रुफो कहलक् — “गंवारसभक हाथ सँ खाना खाएत देखावे वाला चलचित्र हमरा नै देखवाक अछि।”[१७] न्यूयोर्क टाइम्स के प्रभावशाली आलोचक बज्ली क्राउथर सेहो पथेर पाञ्चाली के बारे मे बहुत खराब समीक्षा लिखलक्। एकर बावजूद ई चलचित्र अमरीका मे बहुतरास समय धरि चलल।

राय के आगामी चलचित्र अपराजितो के सफलता के बाद हिनकर् अन्तरराष्ट्रीय करियर पूरा जोर-शोर सँ शुरु भऽ गेल। ई चलचित्र मे एक नवयुवक (अपु) आ ओकर माँ के आकाङ्क्षासभक बीच अक्सर होए वाला खिचाव के देखाएल गेल अछि। मृणाल सेनऋत्विक घटक सहित अनेकौं आलोचक एकरा पहिल चलचित्र सँ बेहतर मनैत अछि। अपराजितो के भेनिस चलचित्रोत्सव मे स्वर्ण सिंह (Golden Lion) सँ पुरस्कृत कएल गेल। अपु त्रयी पूरा करै सँ पहिने राय दुइटा आओर चलचित्रसभ बनौलक् — हास्यप्रद पारश पत्थरजमीन्दारसभ के पतन पर आधारित जलसाघरजलसाघर के हुनकर सभसँ महत्त्वपूर्ण कृतिसभमे गिनल जाइत अछि।[१८]

अपराजितो बनावैत राय त्रयी बनावे के विचार नै केनए छल, मुद्दा भेनिस मे उठल एक प्रश्न के बाद हुनका ई विचार बढिया लगल।[१९] ई शृङ्खला के अन्तिम कडी अपुर संसार १९५९ मे बनल।

सन्दर्भ सामग्रीसभ

  1. "Archived copy"मूलसँ 11 August 2003 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच 2003-08-14 {{cite web}}: Unknown parameter |deadurl= ignored (|url-status= suggested) (help)CS1 maint: archived copy as title (link)
  2. Tmh (2007). Book Of Knowledge Viii, 5E. Tata McGraw-Hill Education. आइएसबिएन 9780070668065. https://books.google.co.in/books?id=iT_L433p6tIC&pg=PT33&lpg=PT33&dq=greatest+filmmakers+of+the+20th+century+Satyajit+Ray. 
  3. Robinson, W. Anderson। "Satyajit Ray"Encyclopædia Britannicaमूलसँ 26 December 2015 कऽ सङ्ग्रहित। {{cite web}}: Unknown parameter |deadurl= ignored (|url-status= suggested) (help)
  4. "Iconic filmmaker Satyajit Ray's 94th birth anniversary celebrated"Daily News and Analysis। 2 May 2015। मूलसँ 3 May 2015 कऽ सङ्ग्रहित। {{cite news}}: Unknown parameter |deadurl= ignored (|url-status= suggested) (help)
  5. सेटन 1971, p. 36
  6. रॉबिनसन २००३, p. ४६
  7. सेटन १९७१, p. ७०
  8. सेटन १९७१, pp. ७१–७२
  9. रॉबिनसन २००३, pp. ५६–५८
  10. रॉबिनसन २००५, p. ३८
  11. रॉबिनसन २००५, pp. ४२–४४
  12. रॉबिनसन २००५, p. ४८
  13. रॉबिनसन २००३, p. ५
  14. अमिताव घोष। "Satyajit Ray"। डूम ऑनलाइन। मूलसँ 2005-04-04 कऽ सङ्ग्रहित। अन्तिम पहुँच १९ जून, २००६ {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= (help); Unknown parameter |dead-url= ignored (|url-status= suggested) (help)
  15. सेटन १९७१, p. ९५
  16. १६.० १६.१ सेटन १९७१, pp. ११२–१५
  17. "Filmi Funda Pather Panchali (1955)"। द टेलिग्राफ। २० अप्रैल, २००५ {{cite news}}: Check date values in: |date= (help); Unknown parameter |accessmonthday= ignored (help); Unknown parameter |accessyear= ignored (|access-date= suggested) (help)
  18. म्याल्कम डी.। 36064,00.html "Satyajit Ray: The Music Room"। गार्डियन.को.यूके। अन्तिम पहुँच १९ जून, २००६ {{cite web}}: Check |url= value (help); Check date values in: |accessdate= (help)
  19. वुड १९७२, p. ६१

बाह्य जडीसभ

सत्यजीत रायक सम्बन्धमे विकिपिडियाक भातृ योजनासभमे ताकी:

उद्घरण विकिउद्रघरणसँ
चित्र आ मिडीया कमन्ससँ

एहो सभ देखी